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पहले ईरान ने पाकिस्तान में और फिर पाकिस्तान ने ईरान में एयरस्ट्राइक कर दी. दोनों ने दावा किया है कि ये हवाई हमले आतंकी संगठन के ठिकानों पर किए गए हैं.
इसकी शुरआत ईरान ने की. ईरान ने मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जैश अल-अद्ल नाम के आतंकी संगठन के ठिकानों पर मिसाइलें गिराईं. अगले दिन पाकिस्तान ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के ठिकानों पर हमला किया.
पाकिस्तान ने दावा किया कि ईरान के हमले में दो बच्चियों की मौत हो गई. जबकि, ईरान ने पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक में 9 लोगों की मौत का दावा किया है.
इसके बाद से ही दोनों मुल्कों के बीच तनाव बना हुआ है. और इस पूरे तनाव के केंद्र में है- बलूचिस्तान. वो इलाका जो पाकिस्तान से लेकर ईरान तक में फैला हुआ है. ईरान दावा करता है कि पाकिस्तान वाले बलूचिस्तान में जैश अल-अद्ल एक्टिव है. तो पाकिस्तान का भी दावा है कि ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में बीएलए एक्टिव है. कुल मिलाकर दोनों ही बलूचिस्तान से अपने-अपने यहां आतंकवाद बढ़ने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं.
कैसा है बलूचिस्तान?
बलूचिस्तान तीन देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान तक फैला हुआ है. इसका उत्तरी हिस्सा अफगानिस्तान के निमरुज, हेलमंड और कंधार तक फैला हुआ है. पश्चिमी हिस्सा ईरान में है, जिसे सिस्तान-बलूचिस्तान कहा जाता है. बाकी सब पाकिस्तान में है.
क्षेत्रफल के लिहाज से ये पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. इसका नाम यहां रहने वाले बलोच लोगों के नाम बलूचिस्तान पड़ा. ये लगभग साढ़े तीन लाख वर्ग किलोमीटर के हिस्से में फैला हुआ है. पाकिस्तान की जमीन का करीब 44 फीसदी हिस्सा भी बलूचिस्तान में ही पड़ता है.
बलूचिस्तान भले ही पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन वहां महज सवा करोड़ की आबादी ही रहती है. ये पूरा इलाका गैस और कोयला जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन उसके बावजूद यहां बहुत गरीबी है.
बलूचिस्तान में अलगाववाद!
1947 में बंटवारे के बाद बलूचिस्तान पाकिस्तान के पास चला गया. लेकिन बलूच लोगों का कहना है कि उन्हें जबरदस्ती पाकिस्तान में शामिल किया गया. वो आजाद रहना चाहते थे. इस कारण वहां के लोगों का पाकिस्तान की सरकार और सेना के साथ संघर्ष शुरू हो गया, जो आज भी जारी है.
बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले कई संगठन है. बताया जाता है कि बलूच और पाकिस्तान सरकार के बीच संघर्ष की शुरुआत 1948 में ही हो गई थी. विकास और राजनीतिक प्रतिनिधित्व मामले में प्रांत को नजरअंदाज करने का आरोप बलूच लोग लगाते रहे हैं.
वहीं, बलूचिस्तान में उठ रही इस अलगाववाद और उग्रवाद की आवाज को पाकिस्तान की सेना और पुलिस दबाती रही है. कई बलूच एक्टिविस्टों की हत्या, किडनैपिंग और टॉर्चर करने के आरोप पाकिस्तानी सेना पर लगते रहे हैं.
बलूचिस्तान कैसे बना अखाड़ा?
बलूचिस्तान आज पाकिस्तान और ईरान के बीच जंग का नया अखाड़ा बनता जा रहा है. दोनों ही देश एक-दूसरे पर आतंकियों को पालने-पोसने और उसे उनके खिलाफ इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हैं. दोनों ओर से सीमापार से होने वाले हमलों में कई पुलिसकर्मियों, जवानों और आम लोग मारे जा चुके हैं.
ईरान, पाकिस्तान पर सुन्नी समूह जैश अल-अद्ल को बलूचिस्तान में पनाह देने का आरोप लगाता है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान से जैश अल-अद्ल के आतंकी ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हैं.
हाल ही में दिसंबर 2023 में जैश अल-अद्ल के आतंकियों ने सिस्तान-बलूचिस्तान में एक ईरानी पुलिस स्टेशन पर हमला किया था. इस हमले में 11 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
वहीं, पाकिस्तान आरोप लगाता है कि सिस्तान-बलूचिस्तान में बलूचिस्तान के अलगाववादी समूह एक्टिव हैं. 2023 में ईरान से ऑपरेट होने वाले आतंकवादी संगठनों के हमलों में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के कुल 10 जवान मारे गए थे.
ईरान की मजबूरी!
ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान में मौजूद जैश अल-अद्ल के ठिकानों पर हवाई हमला किया. पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया. ईरान का ये कदम इसलिए भी खतरनाक माना जा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न राष्ट्र है.
पाकिस्तान और ईरान 900 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा साझा करते हैं. बताया जाता है कि सीमा पर सिर्फ बाड़ लगी है, जो दोनों मुल्कों को बांटती है.
ईरान जैश अल-अद्ल को अपने कट्टर दुश्मन सऊदी अरब के प्रॉक्सी के रूप में देखता है. पाकिस्तान, सऊदी अरब के ज्यादा करीब है और ईरान को यही बात बर्दाश्त नहीं. ईरान दावा करता है कि सुन्नी समूह होने के कारण इसे अल-कायदा और तालिबान का साथ भी मिलता है. और इसके लिए वो पाकिस्तान को भी दोषी मानता है.
दूसरी एक मजबूरी ये भी है कि पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट और ईरान में चाबहार पोर्ट बन रहा है. दोनों ही बलूचिस्तान से होकर गुजर रहे हें. ईरान अपने चाबहार पोर्ट को सुरक्षित रखना चाहता है, इसलिए वो सिस्तान-बलूचिस्तान में कोई अस्थिरता बर्दाश्त नहीं कर सकता.