दुनिया की सबसे पुरानी डेमोक्रेसी कहलाते अमेरिका पर कई सवाल उठने लगे हैं. यहां तक कि उसकी व्यवस्था को सॉफ्ट क्लेप्टोक्रेसी कहा जा रहा है. राजनीति में इस टर्म का मतलब है, चोरों की अगुवाई में चलने वाला राज. दरअसल कुछ समय पहले वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट (FCPA) पर रोक लगा दी. यह नियम अमेरिकी अधिकारियों के विदेशी कंपनियों को रिश्वत देने से रोकता था. तो क्या इस एक्ट के हटने का मतलब यही है कि यूएस क्लेप्टोक्रेटिक हो रहा है?
अमेरिका फर्स्ट की बात करते ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव आदेश देते हुए उस विभाग का कामकाज रोक दिया, जो अमेरिकी अधिकारियों पर रोक लगाता था कि वे विदेशियों को किसी हाल में घूस न दें. ओवरसीज डील्स खासकर बिजनेस के लिए लेनदेन आम बात थी. लेकिन सत्तर के दशक में तत्कालीन अमेरिकी सरकार ने इसे पूरी तरह से रोकने का फैसला लिया. फॉरेन करप्ट प्रैक्टिस एक्ट 1977 बना, जो अब तक लागू था.
इसके लागू होते ही अमेरिकी सरकार ने यूरोपीय, एशियाई और अफ्रीकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाइयां शुरू कर दीं. वाइट हाउस का कहना था कि वो ग्लोबल स्तर पर पारदर्शिता बढ़ा रहा है. लेकिन इस नैतिक ढांचे में धीरे-धीरे दरारें आने लगीं. बीते एकाध दशक से वहां की राजनीति में कॉर्पोरेट पैसे का बढ़ता दखल दिखने लगा. ये इतना बढ़ा कि फर्क मुश्किल हो गया कि पॉलिसी लीडर बना रहे हैं या डोनर.
इसी माहौल में डोनाल्ड ट्रंप राजनीति में आए. वे बेसिकली कारोबारी हैं, जिनके काम करने के तरीकों पर शुरू से ही विवाद रहा. सत्ता में आने के बाद आमतौर पर नेता खुद को व्यावसाय से अलग कर लेते हैं लेकिन ट्रंप ने अपने होटल और गोल्फ क्लब को चालू रखा और दुनिया भर के डिप्लोमेट्स को वहां न्यौता दिया.
दूसरे कार्यकाल यानी अभी सत्ता में दोबारा आने के बाद उन्होंने FCPA पर भी अपनी राय दी. उनका कहना था कि इस एक्ट की वजह से अमेरिकी कंपनियां मार्केट में पिछड़ रही हैं. अगर दूसरे देश घूस दें और यूएस की कंपनियां न दे सकें और इसका असर देश पर पड़ेगा. FCPA की जांचें धीमी पड़ने लगीं और लगभग दो महीने पहले ट्रंप ने इसपर रोक ही लगा दी.
यहीं पर क्लेप्टोक्रेसी आती है. अमेरिका रूस के व्लादिमीर पुतिन से लेकर तुर्की और फिलीपींस के नेताओं को पहले क्लेप्टोक्रेट्स कहा करता था. अब उन्हीं के साथ ट्रंप की नजदीकियां हैं. इसे आसान ढंग से समझते हैं. एक अफ्रीकी देश का सैन्य शासक अपने यहां से करोड़ों लूटकर उन पैसों से अमेरिका में रियल एस्टेट खरीदता है, अमेरिकी व्यवस्था उसे रोकने की बजाय कानूनी रास्ता दे. फिर वही तानाशाह या उसका परिवार अमेरिका में बिजनेस करता और सेफ रहता है.
क्लेप्टोक्रेसी एक राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें सत्ता में बैठे लोग सरकारी संसाधनों और पद का इस्तेमाल करके निजी संपत्ति बनाते हैं. ये चोरी से चलने वाली सरकार है, जिसमें नेता और अधिकारी जनता के पैसे और संसाधन लूटते हैं. यह एक तरह का लीगलाइज्ड करप्शन है.
ट्रंप के आते ही देश में भ्रष्टाचार में बढ़त के आरोप लगने लगे. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के साल 2024 के करप्शन परसेप्शन्स इंडेक्स में अमेरिका का स्कोर 65 रहा, जो साल 2023 की तुलना में 4 अंक की गिरावट दिखाता है. यह एक दशक से भी ज्यादा समय में देश का सबसे निचला स्कोर है.
ट्रंप से पहले से भी अमेरिका पर क्लेप्टोक्रेसी के आरोप लगते रहे
- रूसी, चीनी, और अफ्रीकी तानाशाहों के पैसे अमेरिका में निवेश होते हैं, जैसे रियल एस्टेट.
- अमेरिका उन्हें पॉलिटिकल शरण दे देता है ताकि वे सुरक्षित रहते हुए निवेश कर सकें.
- यूएस में शेल कंपनियां भी हैं, जिसमें असली मालिक का नाम बताए बगैर कंपनी बनाई जा सकती है. इससे ब्लैक मनी वाइट की जा सकती है.
- अरबपति नेताओं को चुनावों के लिए पैसे देते हैं और फिर अपने लिए फायदमंद पॉलिसी बनवाते हैं.