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मतदान से 48 घंटों तक दुकानों में शराबबंदी, क्या नशा करके पहुंचे तो छिन जाएगा वोटिंग का अधिकार?

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग कल 26 अप्रैल को होगी. इससे पहले प्रशासन ने शराब बिक्री पर रोक लगा दी है. ये पाबंदी कल शाम 6 बजे तक जारी रहेगी. मतदान पूरी तरह से फेयर हो, इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन ऐसा बंदोबस्त करता है. लेकिन क्या हो अगर वोटर शराब के नशे में पोलिंग स्टेशन पहुंच जाए?

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लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग कल है. (Photo- Getty Images)
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग कल है. (Photo- Getty Images)

इलेक्शन के एलान के साथ ही कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाता है. ये पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए है कि वे नियमों में रहते हुए काम करें ताकि इलेक्शन पारदर्शी ढंग से पूरा हो सके. हालांकि इसी दौरान काफी गड़बड़घोटाला भी होता है. अक्सर इलेक्शन पीरियड में भारी शराब जब्त होती है. ये एक तरह की रिश्वत होती है, जो पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए देने की तैयारी में होती है. ट्रेंड देखते हुए इलेक्शन कमीशन ने पूरी मशीनरी बना दी, जो अवैध शराब पर नजर रखती है.

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ये आचार संहिता तो हुई कैंडिडेट और पार्टियों के लिए. लेकिन अगर वोटर शराब पीकर मतदान केंद्र पहुंचे तो उसे रोकने के लिए क्या किया जाए! 

ड्रंक वोटर के साथ क्या किया जाए, इसपर कोर्ट में अक्सर बहसाबहसी होती रही.

10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें हर पोलिंग बूथ पर ब्रेदएनालाइजर लगाने की मांग की गई थी. मामला आंध्रप्रदेश का था. वहां की हाई कोर्ट ने भी पिटीशन पर फटकारते हुए कहा था कि पोलिंग स्टेशन्स पर अधिकारी होते हैं. उस दि्न इलाके में ड्राई डे होता है. यहां तक कि खुद वोटर नहीं चाहता कि वो नशे में कोई भी ऐसी हरकत करे, जिससे सबकी निगाह में आ जाए, या उसका मतदान किसी गफलत में बेकार चला जाए. इसलिए ब्रेदएनालाइजर की कोई जरूरत ही नहीं. ये याचिका पब्लिसिटी पाने का स्टंट लग रही है. यही बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी. 

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is it illegal to vote while drunk general election photo PTI

दुकानों से लेकर मिलिट्री कैंटीन में भी रोक

वोटर नशा करके मतदान न करे, इसके लिए पोलिंग स्टेशन्स पर 48 घंटों के लिए शराबबंदी हो जाती है. ये देसी-विदेशी शराब की दुकानों, प्रीमियम रिटेल वेंडरों और होटल-रेस्त्रां के बार पर भी लागू होती है. यहां तक कि मतदान से पहले मिलिट्री कैंटीन भी शराब नहीं बेच सकतीं. ये बैन काउंटिंग के रोज भी लागू रहता है. भांग की फुटकर बिक्री पर भी रोक लगी हुई है. 

इलेक्शन ठीक से हो सके, इसके लिए ईसी सारे इंतजाम करती है. काउंटिंग के समय शराब पर पाबंदी भी इसी का हिस्सा है ताकि वोटर पूरे होश में अपना वोट दे. ये भी हो सकता है कि वो पोलिंग बूथ पर नशे की हालत में कोई हंगामा करे, इसे रोकने के लिए भी ड्राई डे घोषित किया जाता है. 

क्या घर पर शराब पीकर मतदान केंद्र जा सकते हैं

ये रोक उन सभी स्थानों पर है, जहां मतदान हो रहा हो. ऐसे में एक बात ये उठती है कि ठीक है, प्रशासन ने अल्कोहल बैन लगा दिया, लेकिन क्या वोटर घर पर शराब पीकर वोट देने जा सकता है? अगर ऐसा हो तो वहां मौजूद संबंधित अधिकारी क्या उसका वोट देने का अधिकार निरस्त कर सकते हैं, जैसा झूठा हलफनामा देने वाले उम्मीदवारों के साथ होता है? या फिर उसकी गिरफ्तारी भी हो सकती है? 

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हंगामा करें या नुकसान की आशंका हो, तभी एक्शन

यहां ये समझ लें कि हमारे यहां शराब पीना गैरकानूनी नहीं, जब तक कि नशे में आप किसी को या खुद को, या फिर किसी प्रॉपर्टी को नुकसान न पहुंचाएं. लेकिन जब भी आप ऐसा करते हैं तो कानून सख्त हो जाता है. मिसाल के तौर पर शराब पीकर गाड़ी चलाना जुर्म है. इससे डर रहता है कि आप कोई नुकसान कर देंगे. यही आशंका इतनी बड़ी है कि अगर कोई नशे में गाड़ी चलाए तो उसपर मोटर व्‍हीकल एक्‍ट 1988 की धारा-185 के तहत एक्शन हो सकता है.

is it illegal to vote while drunk general election photo AP

वोटर अगर शराब के नशे में मतदान केंद्र पहुंचे तो उसके नुकसान पहुंचाने का डर कहीं ज्यादा रहता है. हो सकता है कि वो अपना वोट मनचाहे उम्मीदवार की जगह किसी और को दे दे. ये भी हो सकता है कि वो नशे में मारपीट करे, या दूसरे लोगों को अपनी पसंदीदा पार्टी में वोट करने को कहे. या फिर अपनी पार्टी के नाम पर नारेबाजी, या विरोधी के खिलाफ कुछ बोलने लगे. इससे बाकी मतदाताओं पर असर पड़ता है.

कौन कर सकता है कार्रवाई

इसे ही रोकने के लिए नियम हैं. जैसे प्रिसाइडिंग अधिकारी के पास ये हक है कि वो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 131 के तहत ऐसे हुड़दंगी पर कार्रवाई कर सके. उसे जेल भी भेजा जा सकता है. पोलिंग स्टेशन पर मौजूद सुरक्षा अधिकारी खुद भी एक्शन ले सकते हैं. 

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इलेक्शन में मतदान के दौरान 48 घंटों तक शराब बिक्री पर पाबंदी रहती है. इस दौरान अगर कोई शराब की दुकान या बार खुली रहे, या फिर कहीं भी शराब की भारी मात्रा आती-जाती दिखे तो इसकी शिकायत निकटस्थ पुलिस स्टेशन में की जा सकती है. हालांकि अगर कोई चुपचाप अपने घर पर अल्कोहल ले और वोटिंग के दौरान हंगामा किए बगैर मतदान करे तो इसपर कोई जुर्म नहीं बनता. 

चूंकि शराब रिश्वत का एक रूप रही तो इलेक्शन की तारीख का एलान होते ही चुनाव आयोग एक्शन में आ जाता है. कोई गाड़ी शराब की पेटियों से लदी दिखे या संदेहास्पद भी लगे तो तुरंत उसकी चेकिंग होती है और सामान सीज कर लेते हैं. बाद में शराब एक साथ नष्ट कर दी जाती है. 

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