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क्या चांद पर अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स की मुलाकात एलियन्स से हुई थी, क्यों बीते 50 सालों में कोई भी इंसान नहीं पहुंचा वहां?

चांद, जहां सबसे पहले इंसानी कदम पड़े, उसपर बीते 50 सालों से कोई नहीं गया. ये बात कई सवाल खड़े करती है. क्या वहां जाना अंतरिक्ष में दूर-दराज जाने से भी ज्यादा खर्चीला है या फिर कुछ ऐसा है कि वहां जाना ही खतरे से खाली नहीं? एक कंस्पिरेसी थ्योरी दावा करती है कि चांद पर अमेरिका की एलियन्स से मुलाकात हो चुकी.

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चांद पर जीवन की संभावना पर बार-बार बात होती रही. सांकेतिक फोटो (NASA/Unsplash)
चांद पर जीवन की संभावना पर बार-बार बात होती रही. सांकेतिक फोटो (NASA/Unsplash)

साल 1969 को चांद पर पहली बार ह्यूमन क्रू पहुंचा. इसके बाद पांच और अमरीकी अभियान चांद पर भेजे गए. साल 1972 के बाद सिलसिला थम गया. तब से कोई भी इंसान चंद्रमा की धरती पर नहीं उतरा. इस बात ने कई वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया. इसी बीच अपोलो 11 मिशन यानी चंद्रमा पर सबसे पहले इंसानों के पहुंचने की रिकॉर्डिंग गायब हो गई. इन रील्स में मूनवॉक से लेकर वापसी और चांद के ओनो-कोनों की वीडियो थी. 

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रॉ टेप्स गायब हो गए

इन्हीं टेप्स के गायब होने के बाद ये थ्योरी आई. कहा गया कि शायद टेप में कुछ ऐसा था, जो चंद्रमा की असलियत थी. शायद चांद पर बहुत कुछ अलग था. या शायद वहां एलियन्स रहते हों. यहां तक कि मूनवॉक करने वाले इंसानों की उनसे मुलाकात भी हुई. चूंकि उस दौरान किसी भी चीज का लाइव टेलीकास्ट नहीं होता था, बल्कि रॉ को एडिट करके दिखाया जाता था, लिहाजा अमेरिका ने असल टेप छिपाकर उतना ही दिखाया, जितना जरूरी लगा. 

थ्योरिस्ट के मुताबिक चांद का बहुत छोटा सा हिस्सा ही हमें पता लगा. ये असल में भीतर से खोखला है और वहां गहरे गड्ढों में दूसरी सभ्यता रहती है. 

is there alien life on the moon conspiracy theory did chandrayaan three mission- photo Pixabay

हॉलो मून की थ्योरी को बल मिला एक रिजल्ट से

असल में मिशन अपोलो के दौरान चंद्रमा के भीतर की हलचल का पता लगाने के लिए सिस्मोमीटर लगाया गया था. इस दौरान सतह से 20 से 30 किलोमीटर नीचे अलग तरह की आवाजें सुनाई देने लगीं, जैसे कोई घंटी बज रही हो. इस तरह की आवाज खोखली या कम डेन्सिटी वाली जगहों पर ही सुनाई देती है. तो चांद के खाली हिस्सों में क्या होगा? कुछ न कुछ ऐसा है, जिसकी हमें जानकारी नहीं. 

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यूएफओ एक्सपर्ट ने सुनाई अलग कहानी

साइंटिस्ट और यूएफओ विशेषज्ञ स्कॉट वेरिंग इससे भी एक कदम आगे निकल आए. उन्होंने दावा किया चांद के भीतर जो विशालकाय गड्ढे हैं, उन्हीं में एलियन्स की बस्तियां होंगी. अपनी बात को साबित करने के लिए वेरिंग ने कई रॉ वीडियोज का सहारा लिया. बाद में वे वीडियो भी गायब हो गए. कंस्पिरेसी पर भरोसा करने वाले वैज्ञानिक बड़ी संख्या में हैं, जो मानते हैं कि साल 1972 में आखिरी बार चांद पर जाने के दौरान एलियन्स ने अमेरिका को या तो चेतावनी दी होगी, या फिर कुछ तो ऐसा हुआ होगा, जिसके बाद टेप गायब हुए और फिर कोई दोबारा वहां नहीं गया. 

is there alien life on the moon conspiracy theory did chandrayaan three mission- photo Pixabay

धरती की तरह आई होगी कयामत

मिलता-जुलता दावा साल 2018 में वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी ने भी किया. उनके मुताबिक लाखों या फिर करोड़ों साल पहले चांद पर जीवन रहा होगा. पानी रहा होगा और वो सारी चीजें रही होंगी, जो धरती पर होती हैं. ये जीवन उल्कापिंडो या फिर विशालकाय ज्वालामुखियों में विस्फोट से पैदा हुआ होगा. लेकिन फिर स्पेस में लगातार हो रहे बदलावों से जीवन खत्म भी हो गया होगा. ये वैसा ही है, जैसे धरती भी अब तक 5 मास एक्सटिंक्शन से गुजर चुकी, जिसमें कई प्रजातियां गायब हो गईं. ये थ्योरी सच के ज्यादा करीब लगती है, लेकिन प्रमाण इसका भी अब तक नहीं मिला. 

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चांद पर क्यों नहीं जा रहे देश?

चंद्रमा पर पहली बार जब इंसानी मिशन पहुंचा, तब हालात अलग थे. कोल्ड वॉर चल रहा था और अमेरिका हर हाल में सबसे ताकतवर कहलाना चाहता था. इसी होड़ में उसने चांद पर अपने लोगों को भेजा. हालांकि ये बहुत महंगा मिशन था. इसके बाद काफी सालों तक चुप्पी रही. बाद में पूर्व राष्ट्रपति डब्ल्यू जॉर्ज बुश और फिर डोनाल्ड ट्रंप ने भी ह्यूमन क्रू भेजने की बात की, लेकिन भारी-भरकम बजट की वजह से बात आगे नहीं बढ़ सकी. अंदाजा लगा लीजिए कि जब अमेरिका इससे पीछे हट रहा है तो बाकियों का हाल क्या होगा. वैसे चीन समेत कई देशों ने एक डेडलाइन तय की है, जिसमें वे चांद पर अपने लोगों को भेजेंगे. 

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