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कैसी है ईरान की स्पेशल फोर्स जिसने इजरायल पर किया हमला, क्यों कई देश इसे आतंकी गुट मानते हैं?

मिडिल ईस्ट में एक बार फिर उथल-पुथल मची हुई है. ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया, जिससे ये डर बढ़ गया कि दुनिया नए युद्ध में फंस सकती है. इजरायल जैसे ताकतवर और कई बड़ी शक्तियों का मित्र कहलाते देश पर अटैक ईरान के एक खास गुट ने किया, जिसका नाम है इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC).

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ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने इजरायल पर किया हमला. (Photo- AFP)
ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने इजरायल पर किया हमला. (Photo- AFP)

इजरायल फिलहाल गाजा में बसे हमास की तबाही में जुटा हुआ है. इसी बीच उसपर ईरान ने हमला बोलते हुए सैकड़ों ड्रोन, बैलेस्टिक मिसाइल तथा क्रूज मिसाइलें दागीं. इसकी जिम्मेदारी IRGC ने ली है. इस गुट का दावा है कि वो शांतिप्रिय है, और सिर्फ इस्लामिक देश पर घरेलू या विदेशी संकट की स्थिति में लड़ाई करता है. दूसरी तरफ यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और कनाडा इस गुट को आतंकी घोषित कर चुके. जानिए, क्या है इस संगठन का इतिहास, और इसे टैरर गुट मानने के पीछे कौन सी दलील है. 

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IRGC की स्थापना इस्लामिक क्रांति के तुरंत बाद हुई थी, जिसे सिपाह-ए-पासदरन भी कहा गया. तब ये एक छोटी सेना थी, जिसमें पारंपरिक लड़ाके नहीं, बल्कि वे लोग शामिल थे जो देश में इस्लामिक क्रांति चाहते थे. ईरान इससे पहले काफी आधुनिक देश हुआ करता है. ऐसे में इस्लामिक कानूनों का काफी विरोध भी हुआ. IRGC का मकसद इसी विरोध को खत्म करना था.

बाद में इस गुट को ईरानी कानून में वैध मान लिया गया. यहां तक कि उसे इतनी ताकत दे दी गई कि वो पॉलिटिकल और आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप कर सके. 

यह ट्रैडिशनल सेनाओं जैसी नहीं है, बल्कि ईरान की स्पेशल वैकल्पिक फोर्स है. सेना प्रमुख दावा करते हैं कि उनके पास एक लाख 90 हजार एक्टिव सैनिक हैं, जो जमीन, समुद्र और हवा तीनों जगहों पर काम करते हैं. ये सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को रिपोर्ट करती है. खामेनेई इसे इस्लाम के सैनिक कहते हैं. फोर्स की ताकत का अनुमान इससे लगा सकते हैं कि ये ईरान का बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम भी चलाती है. 

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islamic revolutionary guard corps attack israel photo AFP

इस्लामिक गार्ड कॉर्प्स के बैनर तले कई छोटे-मोटे सैन्य गुट भी चलते हैं. इसमें बसजी का नाम अक्सर आता रहा. ये पैरामिलिट्री फोर्स है, जिसका काम तय है. देश में सर्वोच्च लीडर के खिलाफ कोई भी प्रदर्शन सिर उठाए तो उसे कुचल देना. 

विदेश में भी ताकत बढ़ाने के लिए IRGC ने एक अलग फोर्स बना रखी है, जिसे क्वड्स फोर्स कहते हैं. इसका काम लेबनान से इराक और सीरिया तक को साधना है. 

शुरुआत में छोटे सैन्य समूह से शुरू हुआ ये संगठन अब देश की इकनॉमी में भी बड़ा योगदान दे रहा है. वो कॉर्पोरेट मिलिट्री की तरह काम करता है और कई सेक्टरों में पैसों का निवेश किया हुआ है. इसमें डिफेंस के साथ कंस्ट्रक्शन भी शामिल है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की इकनॉमी में इसकी एक तिहाई हिस्सेदारी है. कुल मिलाकर, ये भी मान सकते हैं कि पाकिस्तान के अंदरुनी मामलों में जितनी ताकत पाक सेना को दी गई है, उतनी या उससे कहीं ज्यादा ज्यादा ताकत ईरान में IRGC के पास है. 

ईरान की इस स्पेशल फोर्स को अमेरिका ने साल 2019 में टैरर गुट घोषित कर दिया क्योंकि ये हिज्बुल्लाह समेत मिडिल ईस्ट में कई आतंकवादी संगठनों को बनाने के लिए जिम्मेदार रहा. उसके समेत यूरोपियन यूनियन ने IRGC पर आरोप लगाया कि उसने सऊदी अरब में ड्रोन हमला कर तेल भंडार को काफी नुकसान पहुंचाया था. इराक में तैनात 6 से ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की हत्या के लिए ट्रंप प्रशासन ने इसी सैन्य समूह को जिम्मेदार मानते हुए साल 2019 में इसे टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन घोषित कर दिया. कनाडा में भी इसे गुट को आतंकी मानते हुए उसके बैनर तले काम करने वाले छोटे समूहों पर भी बैन लगा दिया गया. 

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islamic revolutionary guard corps attack israel photo Getty Images

कोई देश, किसी विदेशी गुट को फॉरेन टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (FTO) तभी मानता है, जब वो लगातार आतंक मचा रहा हो. साथ ही उसने कुछ न कुछ ऐसा किया हो, जिससे उसके लोगों या उसकी सीमा को नुकसान पहुंचा हो. अमेरिका का दबदबा ज्यादा होने के कारण अक्सर ये होता है कि उसके किसी संगठन को टैररिस्ट आर्गेनाइजेशन मानने के बाद यूरोपीय देश और कनाडा भी इस राह पर चल पड़ते हैं.

वहीं भारत में अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट 1967 है. गृह मंत्रालय इसकी लिस्ट बनाता है. वही तय करता है कि कौन से गुट आतंकी की श्रेणी में आएंगे, और कौन बाहर रहेंगे. कई गुट अलग विचारधारा के होते हैं, लेकिन अगर वे कत्लेआम न मचाएं, या पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान न करें तो टैरर ग्रुप में आने से बचे रहते हैं.

क्या फायदा है आतंकी गुटों की लिस्टिंग का 

- इससे देश अपने लोगों को आगाह करते हैं कि फलां समूहों से किसी भी तरह का संपर्क न रखें. 
- टैरर फाइनेंसिंग पर लगाम लगाई जाती है. जैसे वे सारे रास्ते बंद किए जाते हैं, जिनसे पैसे आतंकियों तक पहुंचें. 
- आतंकी गुटों से जुड़े संदिग्ध समूहों को किसी भी तरह का स्टेट डोनेशन बंद कर दिया जाता है.  
- जिस देश में टैरर गुट फल-फूल रहा हो, उसे सचेत किया जाता है.

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