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इजरायल-हमास जंग में क्यों कूदा दक्षिण अफ्रीका, क्या इंटरनेशनल कोर्ट इजरायल पर लगा सकेगा लगाम?

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस अगले दो दिन तक इजरायल मामले में सुनवाई करने वाला है. कोर्ट ये तय करेगी कि क्या इजरायल फिलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है. हैरान करने वाली बात ये है कि ICJ तक यह केस दक्षिण अफ्रीका लेकर गया. लेकिन अफ्रीका को इस मामले में क्या दिलचस्पी है, और क्या इजरायल अदालत का आदेश मानेगा?

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इजरायल और हमास के बीच तीन महीनों से लड़ाई जारी है. (Photo-Getty Images)
इजरायल और हमास के बीच तीन महीनों से लड़ाई जारी है. (Photo-Getty Images)

फिलिस्तीनी आतंकी गुट हमास और इजरायल के बीच बीते 3 महीनों से जंग जारी है. हमास का हेडक्वार्टर चूंकि गाजा में है इसलिए फिलिस्तीनी भारी मुसीबत में हैं. लगातार बम धमाकों के बीच मौतों की तस्वीरें आ रही हैं. गाजावासी दावा कर रहे हैं कि इजरायल उनके आम लोगों की हत्या कर रहा है. इधर इजरायल का कहना है कि वो चुन-चुनकर सिर्फ आतंकियों को खत्म कर रहा है. अब इसी मामले को लेकर साउथ अफ्रीका इंटरनेशनल कोर्ट पहुंच गया. उसकी मांग है कि इजरायल गाजा पट्टी पर हमले रोक दे, साथ ही उसपर एक्शन भी लिया जाए. 

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अफ्रीका क्यों उठा रहा है ये मामला

दक्षिण अफ्रीका का तर्क है कि वो मानवाधिकार मामले की तरह इस केस को देख रहा है और युद्ध नियमों को तोड़ने को लेकर कोई भी देश, कोर्ट तक जा सकता है. वो यही कर रहा है.

क्या राजनैतिक पैंतरा भी हो सकता है

इधर भीतर-भीतर इसका संबंध अफ्रीका में हो रहे इलेक्शन्स से भी दिखता है. जल्द ही वहां चुनाव होने वाले हैं. फिलहाल सत्ताधारी पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस का फिलिस्तीन मुद्दे से पुराना रिश्ता रहा. वहां के राष्ट्रपिता नेल्सन मंडेला ने कहा था उनके देश की आजादी तब तक अधूरी है, जब तक फिलिस्तीनियों को आजाद मुल्क नहीं मिल जाता. ताजा लड़ाई में गाजावासियों के नरसंहार को लेकर अफ्रीका इंटरनेशनल कोर्ट तक पहुंच गया. 

israel hamas war palestine casualties south africa seeks from international court of justice photo- Unsplash

क्या है नरसंहार के मायने

इसमें सीधा खून-खराबा तो शामिल है ही, साथ ही इंटरनेशनल लॉ इसे अलग तरह से भी देखता है. इसके मुताबिक, अगर कोई देश या संस्था, किसी एक जाति, धर्म, देश या नस्ल के लोगों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए उसकी पहचान बदलने की कोशिश करे तो वो नरसंहार ही है. जैसे चीन पर अक्सर आरोप लगता रहा कि वो उइगरों का नरसंहार कर रहा है क्योंकि वो सीधी मारपीट के अलावा कथित तौर पर उइगर बच्चों को उनके धर्म से भी दूर कर रहा है. 

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क्या है इंटरनेशनल कोर्ट

ये यूनाइटेड नेशन्स की न्यायिक शाखा है. जून 1945 में सैन फ्रांसिस्को में युद्ध अपराधों को लेकर जो बैठक हुई, उसी दौरान इसकी नींव पड़ गई. नीदरलैंड का हेग शहर इसका हेड ऑफिस है. 

क्या काम करता है

लगभग सारे इंटरनेशनल मामले ये देखता है, लेकिन मुख्य तौर पर इसके दो काम हैं. ये दो या कई देशों के आपसी मसले निपटाता है. इसके अलावा ये यूएन की एजेंसियों को कानूनी सलाह देता है. दो देशों के विवाद में युद्ध में हुआ नरसंहार और बलात्कार बड़ा मुद्दा हैं, जिसे लेकर देश यहां पहुंचते रहे.

israel hamas war palestine casualties south africa seeks from international court of justice photo AP

कब कर सकता है सुनवाई

- ICJ के साथ मुश्किल ये है कि खुद अपनी मर्जी से एक्शन नहीं ले सकता चाहे मामला कितना ही संगीन क्यों न हो.

- जब कोई देश अपील करता है तो ही अदालत सुनवाई शुरू कर सकती है.

- कोई संस्था, एनजीओ, या अकेला शख्स भी इस अदालत में संबंधित मामले रख सकता है.

- एक दिक्कत ये भी है कि वही देश या लोग कोर्ट तक पहुंच सकते हैं जो इसके सदस्य हों.

- अदालत जो भी फैसला ले, जरूरी नहीं कि आरोपी देश उसे माने ही. ये शुद्ध तौर पर उसकी मर्जी होती है.

- पहले भी अदालत दो देशों की लड़ाई में दखल देते हुए युद्धविराम की बात कह चुकी, लेकिन लड़ाई चलती रही. ताजा मामला रूस-यूक्रेन युद्ध का है, जो फरवरी 2022 से अब तक चल रहा है.

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क्या युद्ध रोकने को तैयार है इजरायल

फिलहाल जैसे हालात हैं, इस बात की संभावना कम है कि इजरायल जंग रोक देगा. उसने लगातार कहा है कि वो अपने लोगों को हमास से छुड़ाए बिना और हमास को खत्म किए बिना चैन से नहीं बैठेगा. तो लड़ाई चली आ रही है. लेकिन इस बीच ये भी दिख रहा है कि इजरायल के लिए अपने मकसद तक पहुंचना आसान नहीं.

इसका सबसे बड़ा कारण है गाजा की घनी आबादी. यहां काफी घनी बस्ती है और आतंकी आम लोगों के बीच ही बसे हुए हैं. ऐसे में हमला करना मुश्किल है. टैररिस्ट आम नागरिकों को ह्यूमन शील्ड बनाते हैं, ये पैटर्न अभी भी दिख रहा है. इससे पहले भी कई बार ग्राउंड अटैक के दौरान इजरायल को काफी नुकसान झेलना पड़ा था क्योंकि तब भी आतंकी रिहायशी इलाकों में छिप गए थे.

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