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25 हजार लोगों के लिए 8 टॉयलेट, न खाना-न पानी... हमास के 'आतंक' की सजा भुगत रहा गाजा

इजरायल और हमास की जंग में गाजा के लोग पिस रहे हैं. जंग शुरू होने के बाद गाजा पट्टी के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. अस्पताल बंद होने लगे हैं. लोगों को खाना-पानी तक नहीं मिल पा रहा है. जंग के इन तीन हफ्तों में गाजा के हालात कैसे बदल गए? पढ़िए...

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गाजा में हालात बहुत खराब होते जा रहे हैं. (फाइल फोटो- AP)
गाजा में हालात बहुत खराब होते जा रहे हैं. (फाइल फोटो- AP)

41 किलोमीटर लंबी और 10 किलोमीटर चौड़ी गाजा पट्टी खंडहर में तब्दील हो चुकी है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. और ये सब 21 दिनों में हुआ है.

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सात अक्टूबर को गाजा पट्टी से हमास ने जब इजरायल पर 5 हजार रॉकेट दागे, तब शायद उसके इस नतीजे की उम्मीद भी नहीं होगी. हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर ऐसी एयरस्ट्राइक की कि अब वहां इमारतों के मलबे और कीचड़ के अलावा और कुछ नजर नहीं आता. इन्हीं मलबों और कीचड़ के बीच लाशें दबी हुईं हैं.

साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाजा पट्टी को 'धरती का जहन्नुम' कहा था. और अब ये सचमुच किसी जहन्नुम से कम नहीं है. 

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा पट्टी में रहने वाले 133 फिलिस्तीनी परिवार ऐसे हैं जिनके 10 या उससे ज्यादा सदस्य मारे जा चुके हैं. 109 परिवारों ने अपने 6 से 9 सदस्य और 403 परिवार 2 से 5 सदस्यों को खो चुके हैं. ये आंकड़े 7 अक्टूबर से 24 अक्टूबर के बीच के हैं.

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फिलिस्तीनियों शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNRWA के प्रमुख का कहना है कि गाजा के लिए जो मदद आ रही है, वो सिर्फ 'टुकड़ों से ज्यादा' नहीं हैं और इससे लोगों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.

(फोटो क्रेडिटः AP)

'समंदर में बूंद...'

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हर व्यक्ति को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए हर दिन कम से कम 15 लीटर पानी चाहिए. लेकिन गाजा में तो लोगों के पास पीने तक के लिए पानी नहीं है तो बाकी जरूरतों के क्या ही कहने?

ब्लॉकेड की वजह से गाजा में भी मदद भी नहीं जा पा रही है. जंग शुरू होने से पहले जहां गाजा में हर दिन 400 से 500 ट्रक आते-जाते थे. वहीं अब रोजाना बमुश्किल 20 ट्रक पहुंच पा रहे हैं.

डब्ल्यूएचओ में इमरजेंसी चीफ डॉ. माइकल रयान ने कहा, 'सिर्फ 20 ट्रक गाजा पहुंच पा रहे हैं. ये समंदर में एक बूंद डालने के बराबर है. ये 20 ट्रक नहीं होने चाहिए. कम से कम 2,000 ट्रक होना चाहिए.'

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 22 अक्टूबर को 44 हजार पानी की बोतल पहुंचाई गईं. ये सिर्फ 22 हजार लोगों की एक दिन की जरूरत ही पूरा कर सकती है. गाजा में 23 लाख लोग रहते हैं तो इतना पानी सिर्फ एक फीसदी आबादी की जरूरत को ही पूरा कर सकता है.

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ऑक्सफैम का कहना है कि गाजा में पानी की बोतल स्टॉक में ही नहीं है. और जहां है वहां ये पांच गुना ज्यादा दाम में बिक रही है, जिस कारण आम लोग इसे खरीद ही नहीं पा रहे.

वहां हालात किस हद तक खराब हो रहे हैं, इसे ऐसे समझिए कि लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. ये इतना गंदा है कि एक लीटर पानी में 3000 मिलिग्राम नमक है, जिससे उनकी तबीयत पर खराब असर पड़ रहा है.

(फोटो क्रेडिटः AP)

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भुखमरी जैसे हालात!

कहने को तो वैसे साल 2005 में इजरायल ने गाजा पट्टी से अपना नियंत्रण वापस ले लिया था. और 2007 से वहां हमास ही सरकार चलाता है. लेकिन गाजा पट्टी में अब भी सबकुछ इजरायल की मर्जी से ही होता है.

जंग शुरू होने के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी की पूरी घेराबंदी की बात कही थी. इसका मतलब था कि गाजा को मिलने वाली बिजली, पानी, खाना और ईंधन पर रोक लगा देना.

वैसे तो जंग शुरू होने से पहले भी गाजा के हालात बहुत ठीक नहीं थे, लेकिन अब ये और बदतर हो गए हैं. लोगों को खाना तक नहीं मिल पा रहा है. 

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ब्रिटिश संस्था ऑक्सफैम ने हाल ही में रिपोर्ट में दावा किया है कि इजरायल भुखमरी को गाजा में हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. 

अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पहले भी गाजा में खाना पहुंचाती थीं. लेकिन जंग शुरू होने के बाद से पहले के मुकाबले सिर्फ दो फीसदी खाना ही गाजा पहुंच पा रहा है. ऑक्सफैम का कहना है कि सात अक्टूबर से पहले तक हर 14 मिनट में एक ट्रक खाना लेकर गाजा पहुंचता था. लेकिन अब तीन घंटे 12 मिनट में एक ट्रक गाजा जा रहा है. 

फिलिस्तीनियों शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था का कहना है कि गाजा के लोगों को चावल और दाल भी मिल रहा है, लेकिन ये बेकार है, क्योंकि लोगों के पास इन्हें पकाने के लिए साफ पानी और ईंधन ही नहीं है.

(फोटो क्रेडिटः AP)

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ईंधन की कमी सबसे बड़ी समस्या

जब से ये जंग शुरू हुई है तब से ही ईंधन की कमी बड़ी समस्या बन गई है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पहले हर दिन 780 ट्रक ईंधन लेकर गाजा पहुंचते थे. लेकिन अब सब ठप है. अब ईंधन के लिए राफा बॉर्डर के पास बने एकमात्र फ्यूल पंप पर निर्भरता है.

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11 अक्टूबर से गाजा में बिजली है ही नहीं. वहां पूरी तरह ब्लैकआउट हो गया है. और ईंधन की कमी के चलते धीरे-धीरे अस्पतालों से लेकर बेकरियां तक बंद होने लगीं हैं. 

जंग शुरू होने के बाद से अब तक 35 अस्पतालों में से 12 और 72 हेल्थ क्लिनिक्स में से 46 बंद हो गईं हैं. और जो चल रहीं हैं, वहां भी कुछ ही दिनों का ईंधन बचा है. वहां सिर्फ इमरजेंसी सर्विसेस ही चल रहीं हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि गाजा में ईंधन की सख्त जरूरत है, क्योंकि बगैर इसके अस्पतालों में न तो बिजली होगी और न ही साफ पानी. इन्क्यूबेटर्स के जरिए जिन बच्चों को लाइफ सपोर्ट दिया जा रहा है, वो भी बंद हो जाएगा.

डब्ल्यूएचओ से जुड़े डॉ. रिचर्ड पीपरकोर्न का कहना है कि 12 बड़े अस्पतालों को क्रिटिकल कंडिशन वाले मरीजों के लिए हर दिन कम से कम 94,000 लीटर ईंधन की जरूरत है. ऐसे में एक हजार किडनी मरीजों को डायलिसिस की तत्काल जरूरत है, 130 प्रीमैच्योर बच्चे इन्क्यूबेटरपर हैं, दो हजार कैंसर मरीज हैं और कई वेंटिलेटर्स पर हैं. इन सबकी जान का खतरा है.

(फोटो क्रेडिटः AP)

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विस्थापन... एक बुरा सपना

सात अक्टूबर से अब तक 14 लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैम्प में रहने को मजबूर हैं. इनमें से करीब छह लाग लोग संयुक्त राष्ट्र के कैम्प में रह रहे हैं. वहीं, एक लाख से ज्यादा लोग स्कूल, अस्पताल, चर्चों में रह रहे हैं. 

गाजा में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि समेर अब्देलजाबेर ने इसे 'बुरा सपना' बताया है. उन्होंने कहा कि गाजा के लोगों के लिए ये बुरे सपने की तरह है और उनके पास इससे जागने का कोई रास्ता नहीं है. 

उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के शेल्टर में क्षमता से तीन गुना ज्यादा लोग रह रहे हैं. एक छोटे क्लासरूम के बराबर कमरे में 70-70 लोग हैं. ये वहीं खाते हैं, पीते हैं, सोते हैं और अपने परिवार की देखभाल करते हैं. उनका कहना है कि 25 हजार लोगों के लिए सिर्फ आठ टॉयलेट है.

(फोटो क्रेडिटः AP)

गाजा जाने के तीन रास्ते, खुला सिर्फ एक

गाजा दो तरफ से इजरायल से घिरा है, जबकि इसके पश्चिम में समंदर और दक्षिण में मिस्र है. गाजा में आना-जाना करना है तो उसके लिए इजरायल की इजाजत लेनी पड़ती है. 

गाजा पहुंचने के लिए तीन रास्ते यानी बॉर्डर क्रॉसिंग हैं. पहला रास्ता- इरेज क्रॉसिंग है जो उत्तरी गाजा को इजरायल से जोड़ता है. दूसरा रास्ता- केरेम शेलोम क्रॉसिंग है जो इजरायल-मिस्र और गाजा की सीमा पर है. तीसरा रास्ता- रफा क्रॉसिंग है मिस्र और गाजा की सीमा पर है. यही एकमात्र रास्ता है जहां इजरायल की सीमा नहीं लगती है. हालांकि, इसके बावजूद यहां इजरायल का अच्छा-खासा दखल है.

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अभी गाजा में जो भी मानवीय सहायता पहुंच रही है, वो रफा क्रॉसिंग के जरिए ही पहुंच रही है. जंग के बाद रफा क्रॉसिंग को भी बंद कर दिया था, लेकिन बाद में इसे खोल दिया गया.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 7 अक्टूबर के बाद से इरेज और केरेम शेलोम क्रॉसिंग बंद है. उस दिन से ही मरीजों को इजरायल या वेस्ट बैंक भी जाने नहीं दिया जा रहा है. इजरायल में गाजा के चार हजार नागरिक भी फंसे हुए हैं. इनमें से कइयों को गिरफ्तार कर लिया गया है और कइयों को वेस्ट बैंक में शेल्टर भेज दिया गया है.

इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि गाजा के साथ लगने वाले समंदर में भी इजरायली सेना ने प्रतिबंध लगा दिया है.

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