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कहते हैं इश्क और जंग में सब जायज है. इश्क का तो पता नहीं... लेकिन जंग में सबकुछ जायज नहीं होता. जंग के अपने नियम होते हैं. कायदे होते हैं. उन्हीं नियमों के हिसाब से जंग लड़ी जाती है. जंग के दौरान इन नियमों को तोड़ा जाता है तो उसे 'युद्ध अपराध' यानी 'वॉर क्राइम' कहा जाता है.
इसी युद्ध अपराध के आरोप इजरायल और हमास पर भी लग रहे हैं. दोनों ही एक-दूसरे पर अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने के आरोप लगा रहे हैं.
हमास ने सात अक्टूबर से ही 200 से 250 नागरिकों को गाजा में बंधक बनाकर रखा है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसे युद्ध अपराध बताया है. वहीं, इजरायल की सेना पर भी इस जंग में व्हाइट फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है. हालांकि, इजरायल ने इस बात से इनकार किया है.
हमास पर क्यों लग रहे आरोप?: हमास ने सात अक्टूबर को गाजा पट्टी से इजरायल की ओर पांच हजार रॉकेट दागे. इसके अलावा हमास के सैकड़ों लड़ाके इजरायली सीमा में घुस आए और वहां कत्लेआम मचाया. 200 से 250 लोगों को बंधक बनाकर गाजा पट्टी में रखा हुआ है. हमास के हमलों में अब तक 1,400 इजरायली नागरिकों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है.
इजरायल पर क्यों लग रहे आरोप?: हमास का जवाब देने के लिए इजरायल ने जंग का ऐलान कर दिया. गाजा पट्टी पर हर दिन सैकड़ों हमले हो रहे हैं. इजरायल ने पिछले हफ्ते बताया कि जंग के शुरुआती छह दिन में लगभग 6,000 रॉकेट गाजा पट्टी पर दागे गए हैं. इजरायली हमलों में गाजा पट्टी में 4 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों के मारे जाने की खबर है.
आखिर क्या हैं युद्ध के नियम?
- 1939 से 1945 तक दूसरा विश्व युद्ध हुआ. भयंकर तबाही मची. साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए. इसी विश्व युद्ध में पहली बार परमाणु बम का भी इस्तेमाल हुआ. दूसरे विश्व युद्ध जैसी तबाही फिर न हो, इसे रोकने के लिए दुनिया के सारे देशों के नेता 1949 में स्विट्जरलैंड की राजधानी जेनेवा में एकजुट हुए. इसे जेनेवा कन्वेंशन कहा जाता है.
- जेनेवा में एकजुट हुए सारे देशों के नेताओं ने मिलकर कुछ नियम बनाए. ये नियम थे युद्ध के. इनमें तय हुआ कि कोई लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी? जंग में किसे मारा जा सकता है और किसे नहीं? किसे टारगेट किया जा सकता है और किसे नहीं? कैसे हथियारों का इस्तेमाल होगा?
- जेनेवा कन्वेंशन के दौरान युद्ध को लेकर जो नियम बने, उसे इंटरनेशनल ह्यूमैनेटिरियन लॉ (International Humanatarian Law) कहा गया. इसे लॉ ऑफ वॉर (Law Of War) भी कहते हैं. इसमें कुल 161 नियम हैं. इसे सभी 196 देशों ने मान्यता दी है. युद्ध के दौरान ने इन नियमों का पालन करने के लिए सभी देश बाध्य हैं.
- इसमें ये भी लिखा है कि कब जंग के दौरान लॉ ऑफ वॉर लागू होगा. अगर कोई लड़ाई एक ही देश के अंदर चल रही है तो ये लागू नहीं होगा. लेकिन जब दो देशों के बीच लड़ाई हो रही है और उसमें हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है तो ये कानून लागू होगा. इन नियमों को बनाने का मकसद उन लोगों की रक्षा करना था जो जंग नहीं लड़ते या जंग लड़ने की स्थिति में नहीं होते.
कहां हमला कर सकते हैं और कहां नहीं?
- नियमों में साफ लिखा है कि जंग के दौरान आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जा सकता. रिहायशी इलाकों, इमारतों, स्कूल, कॉलेज और घरों को निशाना नहीं बनाया जा सकता. आम नागरिकों के अलावा मेडिकल वर्कर्स और पत्रकारों को निशाना नहीं बना सकते.
- अस्पतालों और मेडिकल यूनिट पर भी हमला नहीं किया जा सकता. इन सबके अलावा ऐतिहासिक धरोहरों, धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक धरोहर पर भी अटैक करना मना है. आम नागरिकों के लिए बनाए गए शेल्टर पर भी हमला नहीं कर सकते. डिमिलिटराइज्ड जोन में भी अटैक नहीं किया जा सकता.
- इसके अलावा कोई भी हमला करने से पहले चेतावनी देनी जरूरी है. बिना चेतावनी दिए कोई देश किसी दूसरे देश के खिलाफ जंग शुरू नहीं कर सकता. इतना ही नहीं, जंग से प्रभावित इलाकों से आम नागरिकों को निकालने की जिम्मेदारी भी देश पर ही होती है. आम नागरिकों को शील्ड के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और उन्हें निकलने से नहीं रोका जा सकता.
- युद्ध के दौरान सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना गलत नहीं होगा. जंग के दौरान अगर दुश्मन देश का सैनिक सरेंडर कर रहा है, तो उसके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया जाएगा. उसका सम्मान किया जाएगा और उसकी सारी मदद की जाएगी. अगर युद्धबंदी बनाए जाते हैं तो उनके साथ भी मानवीय व्यवहार करना जरूरी है.
नियम तोड़े तो युद्ध अपराध माना जाएगा
- इंटरनेशनल ह्यूमैनेटेरियन लॉ की चैप्टर 44 में युद्ध अपराध का जिक्र किया गया है. अगर कोई भी देश इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे युद्ध अपराध माना जाएगा. ऐसा होने पर उस देश के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है. ये मुकदमा व्यक्तियों पर चलता है.
- आम नागरिकों को निशाना बनाना, उन्हें बंधक बनाना, संपत्तियों पर कब्जा करना, अमानवीय बर्ताव करना, टॉर्चर करना, जानबूझकर हत्या करना, युद्धबंदियों को ट्रायल से रोकना जैसे बर्ताव युद्ध अपराध में गिने जाते हैं.
- सोमवार को रूस ने कीव में एक टीवी टॉवर पर मिसाइल अटैक किया था, ये युद्ध अपराध में नहीं गिना जाएगा. हालांकि, इसमें आम नागरिक मारे जाते हैं तो ये युद्ध अपराध होगा. अगर सड़क, ब्रिज, पावर स्टेशन और फैक्ट्रियों का इस्तेमाल सेना कर रही है तो उसे टारगेट किया जा सकता है.
- अगर सेना नहीं है तो किसी शहर, इमारत, गांव को निशाना नहीं बनाया जा सकता. ऐसी जगहों पर बमबारी या हमला करना युद्ध अपराध माना जाएगा. अगर धार्मिक संस्थान, ऐतिहासिक धरोहरों, स्कूल, अस्पतालों पर अटैक किया जा रहा है या उन पर कब्जा किया जा रहा है तो इसे युद्ध अपराध कहा जाएगा.
- इसी तरह से अगर युद्ध के दौरान हत्याएं होती हैं, बलात्कार हो रहे हैं, टॉर्चर किया जा रहा है, लोगों को गुलाम बनाया जा रहा है, बंधक बनाया जा रहा है तो ये भी युद्ध के नियमों के खिलाफ होगा.
युद्ध अपराध करने पर क्या होता है?
युद्ध अपराधों की जांच इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) करती है. आईसीसी सभी सदस्य देशों में होने वाले युद्ध अपराधों की जांच करने का आदेश दे सकती है.
आईसीसी के पास नियम तोड़ने वाले देशों के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और पीड़ितों के लिए मुआवजे का आदेश देने की ताकत है.
हालांकि अमेरिका, रूस, चीन, भारत और इजरायल जैसे देश आईसीसी के सदस्य नहीं हैं. इसलिए ये आईसीसी के फैसलों को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं.