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हिंदू ही नहीं, इस्लाम और यहूदी धर्म में भी खानपान पर सख्ती, Israel की संसद में कोशर ही उपलब्ध, क्या है ये?

तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने दावा किया कि इसमें जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया, जो कि हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है. मामले की सीबीआई जांच की मांग हो रही है. वैसे हिंदू अकेला धार्मिक समुदाय नहीं, जिसमें खानपान पर परहेज हो. यहूदी देश इजरायल में नियम इतना सख्त है कि संसद से लेकर सरकारी इमारतों में धार्मिक लिहाज से शुद्ध खाना ही मिलेगा.

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धार्मिक तरीके से बने यहूदी खाने को कोशर कहते हैं. (Photo- Unsplash)
धार्मिक तरीके से बने यहूदी खाने को कोशर कहते हैं. (Photo- Unsplash)

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार में तिरुपति मंदिर का लड्डू बनाने में पशु चर्बी का उपयोग हो रहा था. इसके बाद से पूरे देश का माहौल गरमाया हुआ है. राज्य कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने केस की सीबीआई जांच की मांग करते हुए इसे करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावना पर चोट बताया. कई दूसरे देशों में भी खाने में धार्मिक प्रतिबंध रहता आया है, जैसे इजरायल में कोशर की मान्यता है. इसे लेकर गैर-धार्मिक या दूसरे महजब के लोग नाराज भी होते रहे. 

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एयरपोर्ट में हो चुका बड़ा विवाद

साल 2016 में इजरायल के इंटरनेशनल एयरपोर्ट बेन गुरियन को लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी ने एक बड़ा फैसला लिया. उन्होंने वहां मौजूद सभी फूड स्टॉल और रेस्त्रां में सिर्फ कोशर भोजन पकाना और परोसना शुरू किया. यहूदी लोग सिर्फ कोशर खाना खाते हैं, जिसका मतलब है शुद्ध. इसमें जानवरों को काटने या पकाने की अलग प्रोसेस है.

धार्मिक यहूदियों ने तो इसे पसंद किया लेकिन उदारवादी नाराज हो गए. वे कहने लगे कि गैर-धार्मिक या दूसरा मजहब मानने वालों के साथ नाइंसाफी हो रही है. विदेशी यात्री भी नाराज होने लगे. आखिरकार एयरपोर्ट को इसमें कुछ ढील देनी पड़ी. अब वहां कोशर और गैर-कोशर दोनों तरह का खाना मिलता है. 

सरकारी दफ्तरों में शुद्धता पर जोर 

इजरायल की संसद और सभी सरकारी इमारतों में पूरी तरह से वही खाना मिलेगा, जो यहूदी धर्म में शुद्ध कहलाए. इसपर भी कई धर्मनिरपेक्ष सांसद नाराजगी जता चुके. इसपर इजरायली सरकार ने तर्क दिया कि वे चाहें तो शाकाहारी भोजन चुन सकते हैं, जिसमें कोशर या नॉन-कोशर जैसा झंझट नहीं लेकिन संसद समेत तमाम सरकारी जगहों पर यहूदी खाना ही मिलेगा. यहूदी देश की सेना को भी कोशर डायट ही मिलती रही.

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इसपर भी बहस होती लेकिन जल्द ही ठंडी पड़ जाती है. सरकार डायट में धार्मिक कट्टरता को लेकर बहुत सख्त है. 

israel kosher certification on food products amid controversy over laddu prasadam in tirupati temple india photo Getty Images

क्या है कोशर

ये हिब्रू शब्द है, जिसका मतलब है शुद्ध या खा सकने लायक. यहूदी परंपरा में पशुओं को चुनने और काटने का अलग नियम है, जिसे शेखिता कहते हैं. काटने के दौरान जानवर का सेहतमंद और होश में रहना जरूरी है. धार्मिक तरीके से पशु को मारने का काम एक ट्रेंड शख्स ही करेगा. अगर जानवर की मौत अपने-आप हो जाए तो यहूदी उसे नहीं खा सकते. 

इन चीजों पर मनाही

इस धर्म में मीट और दूध को एक साथ नहीं लिया जा सकता. यहां तक कि डेयरी प्रोडक्ट और मांस के लिए पकाने-खाने के बर्तन भी अलग होते हैं. कई पशु-पक्षियों का खाना वर्जित है. गाय, भेड़, बकरी कोशर में आते हैं, वहीं सूअर, ऊंट जैसे पशु इससे बाहर हैं. 

वैसे तो इजरायल में ब्रेड रोज के खानपान का हिस्सा है लेकिन कुछ खास त्योहारों के दौरान इसपर पक्की पाबंदी रही. वे ऐसी कोई चीज नहीं खा सकते, जिसमें खमीर हो. ये उन यहूदियों की याद में है, जो अपने क्षेत्रों से भगा दिए गए थे और जिनके पास जाते हुए खमीर वाली रोटियां साथ रखने का भी समय नहीं था. 

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israel kosher certification on food products amid controversy over laddu prasadam in tirupati temple india photo Getty Images

मुस्लिमों का खानपान भी कुछ-कुछ यहूदियों से मिलता-जुलता

इस्लाम में पशुओं को धार्मिक ढंग से मारने को जबह कहते हैं. सूअर का मांस दोनों ही धर्मों में मना है. हालांकि मुस्लिम कोशर को हलाल से अलग रखते हैं. हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है जायज. इस्लामिक नियम के हिसाब से अगर आप शरीयत के मुताबिक जिबह करें, तभी मीट खाया जा सकता है, वरना नहीं. यही वजह है कि इजरायल में रहने वाले मुस्लिम नागरिक आमतौर पर कोशर डायट नहीं लेते, बल्कि हलाल को ही मानते हैं. 

यहूदियों के लिए कोशर सर्टिफिकेट

इस्लाम को मानने वाले धार्मिक तौर पर शुद्ध खाना खाएं, या वैसे ही उत्पाद खरीदें, इसके लिए हलाल सर्टिफिकेट दिया जाता है. ये मीट से लेकर दवाओं और कॉस्मेटिक्स तक पर मिलता है. इसी तरह से यहूदियों के लिए कोशर सर्टिफिकेट है. यह पक्का करता है कि प्रोडक्ट यहूदियों की धार्मिक आस्था के मुताबिक हो. खासकर यह खाने-पीने की चीजों पर आता है. लेकिन दवाओं पर भी ये दिखने लगा है.

कोशर सर्टिफिकेशन एजेंसी ये सुनिश्चित करती है. यहूदी परंपरा के अनुकूल होने पर प्रोडक्ट पर एक ठप्पा लगता है, जिसे हेक्जर कहते हैं. इसे देखकर खरीदार तय कर सकता है कि उसे प्रोडक्ट लेना है या नहीं. 

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हिंदुओं की बात करें तो इसमें धार्मिक खानपान पर जोर तो दिया जाता है लेकिन इसका कोई सेंट्रल सर्टिफिकेशन सिस्टम नहीं, जो तय करे कि फलां चीज धार्मिक लिहाज से शुद्ध है. उत्पाद शाकाहारी है, केवल इसके लिए ग्रीन डॉट होता है.

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