गाजा पट्टी के आतंकी गुट हमास ने हाल में चार इजरायली बंधकों के शव लौटाए, जिसके बदले इजरायल को 600 से ज्यादा कैदी उसे लौटाने पड़े, जो तेल अवीव की जेलों में कैद थे. सीजफायर का पहला चरण 1 मार्च को खत्म होगा, उससे पहले यह आखिरी होस्टेज एक्सचेंज हैं. इस बीच हमास की बर्बरता के अलावा ये बात भी हो रही है कि आखिर इतने सारे फिलिस्तीनी भी किस जुर्म में इजरायल की हिरासत में रहे.
डोनाल्ड ट्रंप के वाइट हाउस आने के लगभग साथ ही साथ इजरायल और हमास के बीच एक साल से ज्यादा वक्त से चली आ रही लड़ाई में छोटा पड़ाव आ गया. सीजफायर का ये पड़ाव अगले कुछ ही रोज में खत्म हो जाएगा. इससे पहले शर्तों के मुताबिक बंधकों और कैदियों का लेनदेन हुआ. लेकिन हमास ने सैकड़ों कैदियों के बदले बंधकों के शव लौटाए.
इसे लेकर ट्रंप अब हमास पर हमलावर हैं. वाइट हाउस में प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हमास ने चार युवा लोगों के शव भेजे. उनकी मौत यूं ही नहीं हुई होगी. ये सब बहुत परेशान करने वाला है. इससे पहले भी ट्रंप ने धमकाया था कि हमास ने जल्द ही और सकुशल सभी बंधकों को न लौटाया तो वे चुप नहीं रहेंगे.
ट्रंप के खौफ के बीच हमास तीन चरणों में इस सीजफायर के लिए राजी हुआ था
- पहले स्टेप के तहत 19 जनवरी से 1 मार्च तक गाजा पट्टी में युद्धविराम रहेगा. यही चरण खत्म होने जा रहा है.
- दूसरे फेज के लिए तय था कि फरवरी के पहले हफ्ते सब ठीक रहा तो इस चरण के लिए बात होगी, लेकिन ये बातचीत शुरू ही नहीं हुई.
- तीसरे चरण में गाजा पट्टी को दोबारा बसाया जाएगा. ये लंबा चरण हो सकता है. इस दौरान इजरायल कुछ और कैदियों को हमास को सौंपता.
इजरायली जेलों में क्यों हैं फिलिस्तीन के लोग
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया, जिसमें हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए. साथ ही आतंकी गुट ने करीब ढाई सौ लोगों को बंधक बना लिया. इन्हीं लोगों को छोड़ने के बदले वो इजरायली जेलों में बंद कैदियों को छु़ड़वा रहा है. दावा किया जा रहा है कि इजरायल प्रिजन सर्विस (आईपीएस) ने बड़ी संख्या में किशोरों को भी जेलों में डाल रखा है. यहां औसतन हर पांच में से एक शख्स जेल जाता है, जबकि पुरुषों के मामले में संख्या हर पांच में से दो हो जाती है.
इजरायल में काम करने वाली मानवाधिकार संस्था हामोक्ड के मुताबिक, इस साल की जनवरी तक वहां की जेलों में 10 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी कैद थे. 7 अक्टूबर को हमास के अटैक के बाद इनकी संख्या बढ़ी. ये वे लोग हैं, जिन पर इजरायल को या तो शक है, या फिर जिन्होंने हमास के सपोर्ट में कोई न कोई एक्टिविटी की. इनमें से लगभग एक-तिहाई बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रखे हुए हैं.
यूनाइटेड नेशन्स का डेटा और डराता है. साल 1967 में जब अरब देशों से लड़ाई के बाद इजरायल ने येरूशलम, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंकपर कब्जा किया, उसके बाद से अब तक करीब 8 लाख फिलिस्तीनी कभी न कभी अरेस्ट हो चुके हैं. यहां बता दें कि पूरे गाजा पट्टी की आबादी करीब 22 लाख है, जिसके मुताबिक हिरासत में लिए हुए लोगों की संख्या काफी ज्यादा है.
इनमें से कई गिरफ्तारियां बिना आरोप या मुकदमे के की गईं, जिसे एडमिनिस्ट्रेटिव अरेस्ट कहा जाता है. यह तेल अवीव की विवादास्पद पॉलिसी है, जिसके तहत किसी शख्स को बिना किसी आरोप या मुकदमे के अनिश्चितकाल तक डिटेन किया जा सकता है. यह आमतौर पर 6 महीनों की होती है लेकिन सैन्य आदेशों के तहत इसे बढ़ाया जा सकता है. इसमें कोई सार्वजनिक सुनवाई नहीं होती, सबूत गुप्त रहते हैं, और वकील को भी पूरी जानकारी नहीं दी जाती.
इजरायल का कहना है कि यह नीति नेशनल सेफ्टी के लिहाज से जरूरी है, खासकर उन मामलों में जहां खुफिया सोर्सेज की सुरक्षा के चलते सार्वजनिक रूप से सबूत पेश नहीं किए जा सकते. लेकिन यही सीक्रेसी उसके इरादों पर सवाल खड़ी करती रही.
इन्हें जेल क्यों हुई
जीत के तुरंत बाद इजरायल ने मिलिट्री ऑर्डर 101 जारी किया. इसमें कई ऐसी चीजों को अपराध की श्रेणी में रखा गया, जिसे ज्यादातर देश फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मानते हैं.
- इजरायल-ऑक्युपाइड इन जगहों पर प्रदर्शनी की मनाही है.
- किसी तरह का इजरायल-विरोधी नारा नहीं लगाया जा सकता.
- पॉलिटिकल मटेरियल छापा या बांटा नहीं जा सकता.
- इजरायल-विरोधी संस्था को किसी भी तरह का सपोर्ट नहीं दिया जा सकता.
मिलिट्री ऑर्डर 101 के बाद भी कई संशोधन हुए. गाजा पट्टी में फिलहाल इसमें कई तरह की छूट है, जबकि वेस्ट बैंक में अब भी ज्यादातर नियम लागू हैं. तीन साल बाद एक और ऑर्डर आया, इसमें मिलिट्री कोर्ट बनाए गए. इनका मकसद मामलों को जल्दी और ज्यादा मानवीयता से निपटाना था. वहीं एनजीओ आरोप लगाते हैं कि इसके बाद बहुत से मिलिट्री ऑर्डर लगातार आए, जिसमें फिलिस्तीनियों के सिविक और पॉलिटिकल एक्सप्रेशन्स पर लगाम लगा दी गई.
कितनी जेलें हैं
फिलहाल तेल अवीव में 30 जेलें और हिरासत केंद्र हैं जहां फिलिस्तीनी रखे जाते हैं. चौथे जेनेवा कंवेंशन के मुताबिक, प्रशासनिक क्षेत्रों से लोगों को उठाकर अपने यहां रखना गलत है, लेकिन इजरायल कथित तौर पर इसे नजरअंदाज करते हुए वेस्ट बैंक या गाजा पट्टी के लोगों को अपने यहां रख रहा है.
कितने नाबालिग बंदी
इजरायल की जेलों में फिलिस्तीनी कैदियों की संख्या समय-समय पर कम-ज्यादा होते रहती है. इसमें बच्चे भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इसपर कई रिपोर्ट्स कीं.
इन्हीं में से एक रिपोर्ट 'सिचुएशन ऑफ ह्यूमन राइट्स इन पेलेस्टीनियन टैरिटरीज ऑक्युपाइड' में दावा है कि तेल अवीव फिलिस्तीनी बच्चों की गिरफ्तारी भी करता रहा. इजरायली सेना हर साल लगभग 700 ऐसे लोगों पर मुकदमा चलाती है, जिनकी उम्र 18 साल से कम है. सबसे कॉमन अपराध पत्थरबाजी है, जिसपर लंबी कैद भी हो सकती है, अगर साबित हो सका कि पत्थरबाज ने गाड़ी या घर के भीतर मौजूद लोगों को मारने के इरादे से ऐसा किया है. बता दें कि साल 2011 से अब तक पत्थरबाजी के चलते कई इजरायलियों की जान गई.