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अब कश्मीर की बजाए जम्मू बन रहा दहशतगर्दों का नया ठिकाना, भौगोलिक स्थिति या डेमोग्राफी- क्या है वजह?

जम्मू के कठुआ जिले में सोमवार को सेना की गाड़ी पर हुए आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए. घात लगाकर किए गए अटैक के बाद से सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रही है. तीन दिनों के भीतर यह आर्मी पर दूसरा हमला है. जम्मू, खासकर कठुआ आतंक का नया केंद्र है, जो 90 के दशक में भी टैररिस्ट्स का ठिकाना हुआ करता था.

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कठुआ जिले में सुरक्षाबल पर हमला हुआ. (Photo- PTI)
कठुआ जिले में सुरक्षाबल पर हमला हुआ. (Photo- PTI)

जम्मू-कश्मीर में कई चीजें बदलती दिख रही हैं. धारा 370 हटाने के बाद काफी समय तक यहां शांति रही, लेकिन हाल के महीनों में मामला अलग हुआ. कश्मीर तो फिर भी शांत है, लेकिन जम्मू दहशतगर्दों का नया ठौर बनता दिख रहा है. वे नागरिकों, तीर्थयात्रियों समेत सेना पर भी घात लगाकर हमले कर रहे हैं. ताजा हमला कठुआ में हुआ. ये वही इलाका है, जो कश्मीर के सबसे अस्थिर दौर में आतंकियों की पनाहगाह बना हुआ था. लेकिन ऐसा क्या हुआ है, जो आतंकी एक बार फिर जम्मू की तरफ मुड़ रहे हैं. 

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सोमवार को हुए हमले में क्या-क्या हुआ

कठुआ में सोमवार दोपहर मचेड़ी -किंडली-मल्हार रोड पर अटैक हुआ. ये इलाका जिला हेडक्वार्टर से लगभग सवा सौ किलोमीटर दूर है. आतंकियों ने रुटीन पेट्रोलिंग पर निकले सैन्य वाहन को टारगेट करते हुए ग्रेनेड्स की बौछार कर दी. हमले के तुरंत बाद वे घने जंगलों की तरफ भाग निकले. वहीं अटैक में पांच जवान शहीद हुए हैं, और कई घायल हैं. 

हमले को लेकर कई चौंकानेवाली बातें आ रही हैं. माना जा रहा है कि आतंकियों को लोकल शख्स ने ही गाइड किया होगा, वरना घटनास्थल से बचकर निकल सकना आसान नहीं. अटैक की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है. ये शैडो संगठन है, जो जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करता है. ये उन्हीं 7 आतंकियों का ग्रुप बताया जा रहा है जिनमें से 3 को डोडा में सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. 

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jammu surge in terrorist attacks photo PTI

कठुआ क्यों बन रहा टारगेट

नब्बे के दौरान कठुआ आतंकियों का बड़ा ठिकाना हुआ करता था, जहां से वे पूरे जम्मू-कश्मीर पर निशाना साधते. अब एक बार फिर ऐसा दिख रहा है. दरअसल इस जिले की बनावट ऐसी है कि यहां छिपना-छिपाना आसान है. जंगलों से सटे क्षेत्र में हमले के बाद आतंकी गायब हो सकते हैं, जैसा ताजा केस में दिख रहा है.

लेकिन एक बड़ी वजह और भी है, जो है इसकी जिओग्राफी. जिले के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा सटती है, तो दूसरी तरफ हिमाचल और पंजाब हैं. कठुआ उधमपुर, सांबा और डोडा जिलों से भी लगा हुआ है. नब्बे के दशक में यहां सुरक्षा बलों का बेस भी हुआ करता था ताकि आतंक पर रोक लगाई जा सके. 

क्या-क्या हो चुका जिले में

सोमवार को हुआ हमला कठुआ में दूसरा बड़ा अटैक है. 11 जून को हीरानगर के एक गांव में एक सुरक्षाकर्मी समेत दो आतंकी मारे गए थे. वहीं महीनेभर के भीतर जम्मू में यह सातवां अटैक है. इसकी शुरुआत 9 जून को हुई, जब टैररिस्ट्स ने रियासी में श्रद्धालुओं की बस को टारगेट किया था. दो दिनों के हीरानगर में हमला हुआ. 12 जून को डोडा में दो अटैक हुए थे. इसके बाद 26 जून को घटना दोहराई गई. 

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पिछले साल जम्मू में 40 से ज्यादा हमले

साफ दिख रहा है कि कश्मीर में तो शांति है, लेकिन आतंकवादी जम्मू को घेर रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये है कि धारा 370 हटने के बाद से घाटी में सुरक्षाबल भारी संख्या में बना हुआ है. वहां सेंध लगाना बेहद मुश्किल है. शायद इसी वजह से पाकिस्तान स्थित आतंकी जम्मू को निशाना बनाने की कोशिश में हैं. बता दें कि साल 2023 में भी ऐसी कोशिश हुई थी, जब जम्मू में 43 टैरर अटैक दर्ज किए गए. 

jammu surge in terrorist attacks photo AP

मॉनसून में बढ़ जाती है आतंकी गतिविधि!

बरसात में मामला और संवेदनशील हो जाता है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, तेज बारिश के दौरान मॉनिटरिंग सिस्टम पर असर होता है, जैसे फेंसिंग और इंफ्रारेड लाइट्स कमजोर या खराब हो जाती हैं. इसका फायदा आतंकी उठाते हैं और सीमा पार से आकर आतंक मचा जाते हैं. 

आबादी भी हो सकती है एक वजह

कश्मीर की तुलना में जम्मू की डेमोग्राफी अलग है. यहां हिंदू-मुस्लिम प्रतिशत 60:40 का मान सकते हैं. ऐसे में टैररिस्ट जानकर जिले को निशाना बना रहे हैं ताकि सांप्रदायिक भावनाएं उकसाकर दंगों जैसे हालात पैदा कर सकें. इससे उनकी आवाजाही और आसान हो जाएगी. 

होने वाले हैं विधानसभा चुनाव

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आर्टिकल 370 हटने के बाद से पहली बार यहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जल्द ही इनकी तारीख फाइनल हो जाएगी. आतंकवादी गुट इसलिए भी क्षेत्र में अस्थिरता और डर पैदा करना चाह रहे हैं ताकि राजनैतिक स्ट्रक्चर के साथ-साथ आम लोगों के इमोशन्स से भी छेड़छाड़ हो सके. 

जम्मू का फैलाव और बहुत जटिल स्ट्रक्चर का इस्तेमाल पहले भी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी करते रहे. वे इसके जरिए अपने लोगों को सीमा के इस-उस पार भेजते रहे. इसके लिए सुरंगों का भी उपयोग आम था. ड्रोन्स ने स्थिति और गंभीर बना दी है, जिससे हथियारों की सप्लाई भी हो रही है. 

jammu surge in terrorist attacks photo PTI

जम्मू में अचानक हिंसा बढ़ने के पीछे एक वजह सीमा पार आतंकियों की रहस्यमयी हत्याओं को भी माना जा रहा है. बता दें कि सीक्रेट किलर्स ने कुछ समय में आईएसआई के आमिर हमजा की गोली मारकर हत्या कर दी. हमजा फरवरी, 2018 को जम्मू के सुंजवान कैंप पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था. मुख्य आतंकी की मौत के बाद से पाकिस्तान काफी बौखलाया हुआ था. 

सुरक्षाबल वैसे तो काफी चौकन्ना हैं, लेकिन जम्मू की यही जिओग्राफी परेशान करने लगी है. यही कारण है कि सिक्योरिटी फोर्स घने जंगलों, जहां कोई आता-जाता नहीं, वहां भी चेकपॉइंट्स बना रही है. 

कौन से गुट हैं एक्टिव

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घाटी में कई टैररिस्ट गुट एक्टिव हो चुके हैं जिनके आगे-पीछे कोई नहीं दिखता. यानी वे हाल ही में बने और खुद को इंडिपेंडेंट बताते हैं. टीआरएफ, जम्मू कश्मीर गजवनी फोर्स, कश्मीर टाइगर्स और पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट इन्हीं में से हैं. TRF का अस्तित्व धारा 370 हटाने के बाद आया. ये संगठन भी ऑनलाइन शुरू हुआ था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने केवल ऑनलाइन एक्टिविटी के बाद संगठन कई दूसरे बड़े आतंकी गुटों के साथ मिला हुआ दिखा. वैसे ये जैश-ए-मोहम्मद का प्रॉक्सी है, यानी उसे कवर करने का काम करता है.

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