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कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी 'आरक्षण' के मसले पर फंसती दिख रही है. कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने ओबीसी आरक्षण से मुस्लिम कोटे को खत्म कर लिंगायत और वोक्कालिगा को जगह दी तो इस पर बवाल बढ़ गया.
बवाल इतना बढ़ गया कि सुप्रीम कोर्ट ने बोम्मई सरकार के मुस्लिम कोटे को खत्म करने के फैसले पर ही प्रश्नचिह्न सा लगा दिया. मुस्लिम कोटे को खत्म करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'ये फैसला भ्रामक अनुमानों पर आधारित है. आपके फैसले लेने की प्रक्रिया का आधार त्रुटिपूर्ण और अस्थिर लग रहा है.'
इसके बाद कर्नाटक सरकार ने साफ कर दिया कि 24 मार्च को उसने जो आदेश जारी किया था, उस पर अमल करने पर 18 अप्रैल तक रोक रहेगी. कर्नाटक सरकार ने कहा कि नए आदेश के तहत 18 अप्रैल तक सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में नई भर्तियां नहीं होंगी.
ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटे का मामला क्या है? मुस्लिम कोटा हटाकर लिंगायत और वोक्कालिगा को कितना आरक्षण दिया गया? इस पूरे मामले को सात प्वॉइंट में समझिए...
1. क्या था 24 मार्च का आदेश?
- बीते महीने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग में कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. सबसे अहम मसला था मुस्लिम आरक्षण का.
- मीटिंग के बाद 24 मार्च को एक सरकारी आदेश जारी हुआ. इसने ओबीसी आरक्षण में बदलाव कर दिया. सरकार ने ओबीसी आरक्षण से मुस्लिम कोटे को बाहर कर दिया.
- ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटा 4 फीसदी का था. उन्हें हटाकर वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा को शामिल किया गया. मुस्लिम कोटे का 4 फीसदी आरक्षण वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा में दो-दो फीसदी बांट दिया गया.
2. इससे क्या बदल गया?
- ओबीसी आरक्षण का पूरा ढांचा बदल गया. कर्नाटक में 32 फीसदी ओबीसी आरक्षण है. पहले इसी में 4 फीसदी कोटा मुस्लिमों का था.
- दरअसल, ओबीसी आरक्षण पहले पांच कैटेगरी में बंटा था. इनमें 1, 2(a), 2(b), 3(a) और 3(b) कैटेगरी थीं. मुस्लिमों को 2(b) कैटेगरी के तहत चार फीसदी आरक्षण दिया जाता था.
- सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए चार कैटेगरी ही कर दी. इनमें 1, 2(a), 2(c) और 2(d) में बांट दिया. 2(b) को खत्म ही कर दिया गया.
- 2(c) में 6 फीसदी आरक्षण कर दिया और इसमें वोक्कालिगा को भी शामिल कर दिया गया. 2(d) के तहत 7 फीसदी आरक्षण में वीरशैव-लिंगायतों के अलावा ईसाई, जैन और मराठाओं को भी जोड़ दिया गया.
3. वोक्कालिगा और लिंगायतों को कितना आरक्षण?
- वोक्कालिगा का कोटा पहले 4 फीसदी था, तो वहीं लिंगायतों का कोटा 5 फीसदी था. वहीं, अब नए आदेश के बाद मुस्लिमों का 4 फीसदी कोटा खत्म किया और 2-2 फीसदी वोक्कालिगा और लिंगायतों का कोटा बढ़ा दिया गया.
- लिहाजा, अब वोक्कालिगा समुदाय का कोटा 4 से बढ़कर 6 फीसदी हो गया और लिंगायतों का कोटा 5 से बढ़कर 7 फीसदी हो गया.
4. तो क्या मुस्लिम आरक्षण खत्म?
- हां भी और नहीं भी. पहले मुस्लिमों को ओबीसी में ही 4 फीसदी का आरक्षण मिलता था. लेकिन अब इसकी बजाय आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए तय 10 फीसदी में से ही आरक्षण दिया जाएगा.
5. लेकिन ऐसा क्यों किया सरकार ने?
- सरकार ने ये दलील दी है कि धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान नहीं है.
- सीएम बसवराज बोम्मई ने इसे 'साहसिक कदम' बताते हुए जिक्र किया कि कैसे आंध्र प्रदेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के आरक्षण को अदालत में चुनौती दी गई और इसे रद्द कर दिया गया.
- उन्होंने ये भी तर्क दिया कि चूंकि पात्रता मानदंड जैसे कि आय ओबीसी और EWS दोनों श्रेणियों पर लागू होते हैं, इसलिए मुसलमानों को 2(b) श्रेणी से बाहर करने से कोई बदलाव नहीं आएगा. असल में बिना किसी बदलाव के वो 4 फीसदी से 10 फीसदी के पूल में आ जाएंगे.
6. तो क्या वोक्कालिगा-लिंगायत खुश हैं इससे?
- वोक्कालिगा और लिंगायत कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं. अनुमान के मुताबिक, कर्नाटक में वोक्कालिगा की आबादी 12 से 14 फीसदी है. जबकि, लिंगायतों की तादाद 16 से 17 फीसदी है.
- कुल मिलाकर कर्नाटक की तकरीबन 30 फीसदी आबादी वोक्कालिगा और लिंगायत है. लिंगायत उत्तर और मध्य तो वोक्कालिगा दक्षिणी कर्नाटक का बड़ा समुदाय है.
- हालांकि, कोटा बढ़ने के बावजूद वोक्कालिगा और लिंगायत बहुत ज्यादा खुश नहीं है. वो इसलिए क्योंकि वोक्कालिगा अपने 12 फीसदी और लिंगायत समुदाय के पंचमशाली उप-समूह की ओर से 15 फीसदी आरक्षण की मांग की गई थी.
7. SC के आदेश के बाद क्या फिर पुरानी व्यवस्था लागू?
- नहीं. कर्नाटक सरकार ने अभी सुप्रीम कोर्ट से सिर्फ यही कहा है कि वो 18 अप्रैल तक नए आदेश पर अमल नहीं करेगी.
- कर्नाटक सरकार ने साफ किया है कि 18 अप्रैल तक नए आदेश के तहत सरकारी नौकरियों में न तो भर्तियां होंगी और न ही शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन होंगे.
- सरकार के जवाब से साफ होता है कि सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक सिर्फ आदेश के अमल पर रोक है. सरकार ने आदेश वापस लेने या पुरानी व्यवस्था को ही बहाल करने की बात नहीं कही है.