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कर्नाटक चुनाव के नतीजों से पहले जान लीजिए... 'जमानत जब्त' होने का मतलब क्या?

देश में पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक, हर चुनाव लड़ने पर उम्मीदवार को एक रकम जमा करानी होती है जिसे जमानत राशि कहा जाता है. तय वोट से कम वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार की जमानत राशि जब्त कर ली जाती है.

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हर चुनाव के लिए एक तय रकम जमा करानी होती है, जिसे जमानत राशि कहते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हर चुनाव के लिए एक तय रकम जमा करानी होती है, जिसे जमानत राशि कहते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

'इनकी तो जमानत जब्त हो गई...', 'ये तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए...', शनिवार को जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे तो आपको ऐसे शब्द सुनाई देने लगेंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि जमानत जब्त होना क्या होता है.

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दरअसल, हर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को एक तय रकम चुनाव आयोग में जमा करानी होती है, इसे ही 'जमानत राशि' कहा जाता है. अगर कोई उम्मीदवार तय वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है. 

ये जमानत राशि हर चुनाव की अलग-अलग होती है. पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक, हर चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार को जमानत राशि देनी होती है. 

कितनी होती है जमानत राशि?

- ये बात तो पहले ही बता चुके हैं कि हर चुनाव के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का जिक्र रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में जबकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का जिक्र प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में किया गया है. 

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- लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग और एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है. जबकि, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए एक ही राशि होती है. 

किस चुनाव में कितनी राशि?

- लोकसभा चुनाव : सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है.

- विधानसभा चुनाव : सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.

- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव : सभी वर्गों के लिए जमानत राशि की रकम एक ही होती है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.

क्यों हो जाती है जमानत जब्त?

- चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है. 

- मान लीजिए किसी सीट पर 1 लाख वोट पड़े हैं और वहां 5 उम्मीदवारों को 16,666 से कम वोट मिले हैं, तो उन सभी की जमानत जब्त कर ली जाएगी. 

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- यही फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए 1/6 वोट हासिल करने होते हैं.

किन हालातों में वापस हो जाती है जमानत राशि?

- उम्मीदवार को जब 1/6 से ज्यादा वोट हासिल होते हैं तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है. 

- जीतने वाले उम्मीदवार को भी उसकी रकम वापस कर दी जाती है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों.

- वोटिंग शुरू होने से पहले अगर किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को रकम लौटा दी जाती है.

- उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने या फिर नामांकन वापस लेने की स्थिति में जमानत राशि वापस कर दी जाती है.

 

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