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कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने राज्य में हुक्का बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही तंबाकू उत्पाद खरीदने की कानूनी उम्र को भी बढ़ा दिया है.
कर्नाटक विधानसभा में बुधवार को COTPA एक्ट यानी सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट को संशोधित कर दिया है. संशोधित बिल विधानसभा से पास हो गया है. संशोधित कानून में नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है.
इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. नोटिफिकेशन में बताया गया है कि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और तंबाकू से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए इस कानून में संशोधन किया गया है.
अब क्या-क्या बदल जाएगा?
- हुक्का बार बंदः इस बिल के पास होने के बाद अब राज्य में हुक्का बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा. हुक्का बार खोलने या चलाने पर रोक रहेगी.
- पब्लिक प्लेस में स्मोकिंग नहींः अब राज्य में पब्लिक प्लेस पर तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. सार्वजनिक जगहों पर स्मोकिंग पर भी रोक रहेगी.
- 21 साल उम्र तयः अब तक तंबाकू उत्पाद खरीदने की कानूनी उम्र 18 साल थी. लेकिन बिल को संशोधित कर इस उम्र को 21 साल कर दिया गया है. यानी, 21 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को सिगरेट या तंबाकू नहीं बेच सकते.
- इन जगहों पर बिक्री नहींः स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, चाइल्डकेयर सेंटर, हेल्थ सेंटर, मंदिर, मस्जिद और पार्क के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक रहेगी. ऐसी जगहों के 100 मीटर के दायरे में सिगरेट या तंबाकू बेचना प्रतिबंधित होगा.
सख्त सजा का प्रावधान
संशोधित कानून में सजा और जुर्माने को भी सख्त कर दिया गया है. किसी प्रतिबंधित जगह या 21 साल से कम उम्र के व्यक्ति को तंबाकू या सिगरेट बेचने पर 1000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा.
इसके अलावा हुक्का बार खोलने या चलाने का दोषी पाए जाने पर 1 से 3 साल तक की सजा का प्रावधान है. साथ ही 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
हुक्का बार पर बैन क्यों?
सरकार लंबे समय से हुक्का बार पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है. सरकार ने पिछले साल एक स्टडी के हवाले से बताया था कि 45 मिनट तक हुक्का पीना 100 सिगरेट पीने के बराबर है. इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हुक्का एक नशीला पदार्थ है, जिसमें निकोटिन या तंबाकू और स्वाद बढ़ाने वाले केमिकल कार्बन मोनोऑक्साइड होते हैं और ये स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है.
कर्नाटक में हर साल हुक्का बार चलाने वालों के खिलाफ दर्जनों केस दर्ज किए जाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में 18, 2021 में 25 और 2022 में 38 केस हुक्का बार चलाने वालों के खिलाफ दर्ज हुए थे.
कितनी सिगरेट पी लेते हैं भारतीय?
दुनिया की 18 फीसदी आबादी भारत में रहती है, लेकिन सिगरेट की खपत का महज 2 फीसदी ही यहां होता है. इसी वजह से सिगरेट की प्रति व्यक्ति खपत भारत में काफी कम है.
2018 में 'द टोबैको एटलस' की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर व्यक्ति सालाना औसतन 89 सिगरेट पीता है. जबकि, चीन में हर व्यक्ति सालभर में औसतन 2,043 सिगरेट पी जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते 12 साल में दो बार 'ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे' किया. पहला सर्वे 2009-10 में हुआ था और दूसरा 2016-17 में. इसमें सामने आया कि भारत में तंबाकू और सिगरेट या बीड़ी पीने वालों की संख्या में कमी आई है. 2009-10 के सर्वे में सामने आया था कि 14 फीसदी वयस्क भारतीय सिगरेट या बीड़ी पीते हैं, जो 2016-17 में घटकर 11 फीसदी से भी कम हो गए थे.
केंद्र सरकार के आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि भारत में सिगरेट का धुंआ उड़ाने वाले कम हुए हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के मुताबिक, 2015-16 में 13.6 फीसदी पुरुषों ने सिगरेट पीने की बात मानी थी, जबकि 2019-21 में ये आंकड़ा थोड़ा कम होकर 13.2 फीसदी पर आ गया.
कुल मिलाकर, अभी भी देखा जाए तो 13 फीसदी भारतीय सिगरेट पीते हैं. इनमें से आधे ऐसे हैं जो रोजाना पांच से ज्यादा सिगरेट पीते हैं.
सर्वे के मुताबिक, जितने लोगों ने सिगरेट पीने की बात मानी, उनमें से 80 फीसदी महिलाओं और 72 फीसदी पुरुषों ने हर दिन पांच से कम सिगरेट पीने की बात कही थी. वहीं, साढ़े सात फीसदी से ज्यादा महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने हर दिन 25 या उससे ज्यादा सिगरेट पीने की बात मानी थी. जबकि, हर दिन 25 या उससे ज्यादा सिगरेट पीने वाले पुरुषों की संख्या एक फीसदी से भी कम थी.