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खालिस्तानी समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह को गिरफ्तारी के तुरंत बाद असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में भेज दिया गया. इसी जेल में पहले से ही अमृतपाल के कई समर्थक भी बंद हैं. उसी के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर डिब्रूगढ़ जेल में ऐसा क्या है कि सभी सिख कट्टरपंथियों को पंजाब से दूर वहीं भेजा जा रहा है.
वैसे इसकी सबसे बड़ी वजह कानून-व्यवस्था को बताया जा रहा है. दरअसल, पंजाब की ही किसी जेल में अमृतपाल या उसके बाकी साथियों को रखने से माहौल बिगड़ने का डर था.
इसे ऐसे समझिए कि पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत सिंह तूफान को हिरासत में लिया था. लवप्रीत को अजनाला पुलिस स्टेशन में रखा गया था. इसके बाद अमृतपाल और उसके समर्थकों ने अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया. आखिरकार पुलिस को लवप्रीत को छोड़ना पड़ा.
अजनाला जैसा कांड फिर से न हो, इसलिए अमृतपाल और उसके साथियों को असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है.
असम पुलिस के मुताबिक, डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल की क्षमता 680 कैदियों की हैं. लेकिन 15 मार्च 2023 तक की स्थिति के अनुसार यहां 420 कैदी बंद हैं.
अमृतपाल के साथ-साथ उसके 9 साथी डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं. इनमें दलजीत सिंह कालसी, पप्पलप्रीत सिंह, कुलवंत सिंह धालीवाल, वरिंदर सिंह जोहाल, गुरमीत सिंह बुक्कनवाला, हरजीत सिंह, भगवंत सिंह, बसंत सिंह और गुरिंदरपाल सिंह औजला शामिल हैं.
इन सभी को एनएसए के तहत हिरासत में रखा गया है. इस कानून के तहत आरोपी को तीन महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. बाद में तीन-तीन महीना करके एक साल तक भी हिरासत में रख सकते हैं.
डिब्रूगढ़ जेल में कैसी है सिक्योरिटी?
असम में 6 सेंट्रल जेल हैं, उनमें से एक डिब्रूगढ़ में है. इसे बेहद सिक्योर जेल माना जाता है. खालिस्तानी समर्थकों के यहां होने से जेल और उसके आसपास सिक्योरिटी और भी टाइट कर दी गई है.
एक सीनियर अफसर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जेल के कंपाउंड के चारों तरफ असम पुलिस के ब्लैक कैट कमांडो और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं. अमृतपाल को बेहद टाइट सिक्योरिटी में स्पेशल सेल में रखा गया है. वहां पंजाब पुलिस के साथ-साथ असम पुलिस के जवान भी मौजूद हैं. 19 मार्च को यहां वारिस पंजाब दे संगठन से जुड़े चार लोगों को लाया गया था. तब से ही डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अंदर और बाहर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है.
57 CCTV कैमरे रख रहे नजर
अफसरों ने बताया कि जेल में खालिस्तानियों को रखा गया है, इसलिए यहां मल्टी-लेयर सिक्योरिटी की व्यवस्था की गई है. जेल के अंदर कैदियों और जेल में आने-जाने वालों की निगरानी करने के लिए 57 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. एक अधिकारी ने बताया कि जब हमें कहा गया कि पंजाब से कैदियों को लाया जाएगा, तो काम नहीं कर रहे सभी सीसीटीवी कैमरों को ठीक कर दिया गया और हाई मास्ट लाइटें लगा दी गईं.
कितनी खास है डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल?
डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल को 1859-60 में तैयार किया गया था. ये जेल 15.54 एकड़ में बनी हुई है. ये सबसे पुरानी और सबसे मजबूत जेलों में से एक है. इसका इस्तेमाल यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-I) के कई चरमपंथियों को रखने के लिए किया जाता था.