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भगोड़ा अमृतपाल सिंह 37 दिन बाद आखिरकार पकड़ में आ ही गया. पंजाब पुलिस ने रविवार को अमृतपाल को मोगा जिले के रोडे गांव से गिरफ्तार कर लिया. पंजाब में कानून-व्यवस्था न बिगड़े, इसलिए उसे सीधे असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया है. यहां उसे स्पेशल सेल में रखा गया है.
अमृतपाल सिंह 18 मार्च से ही फरार चल रहा था. उसी दिन पंजाब पुलिस ने अमृतपाल और उसके खालिस्तानी समर्थकों को पकड़ने के लिए क्रैकडाउन शुरू किया था.
अमृतपाल ने पिछले साल सितंबर में खुद को 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया घोषित कर दिया था. ये वही संगठन है जिसे पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने शुरू किया था. पिछले साल फरवरी में कार एक्सीडेंट में दीप सिद्धू की मौत हो गई थी.
खुफिया एजेंसियों के डोजियर में सामने आया था कि अमृतपाल सिंह भारत के खिलाफ खतरनाक साजिश रच रहा था. उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से ट्रेनिंग भी ली थी. इसके अलावा अमृतपाल पर कई ऐसे गंभीर आरोप हैं, जिसमें उसे लंबी सजा हो सकती है.
लेकिन अमृतपाल को क्यों पकड़ रही थी पुलिस?
- इसी साल 23 फरवरी को अमृतपाल और उसके वारिस पंजाब दे संगठन से जुड़े लोगों ने अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया था.
- अमृतपाल और उसके समर्थकों के हाथ में लाठी-डंडे और तलवार थी. आठ घंटों तक चला ये पूरा बवाल अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत तूफान की रिहाई की मांग को लेकर हुआ था.
- लवप्रीत तूफाने को पुलिस ने बरिंदर सिंह नाम के शख्स को अगवा और मारपीट करने के आरोप में हिरासत में लिया था. हालांकि, इस पूरे बवाल के बाद 24 फरवरी को पुलिस ने उसे छोड़ दिया था.
- 23 फरवरी की इसी घटना में पुलिस ने अमृतपाल और उसके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज किया था. ये उसके खिलाफ पहला केस था. इसी मामले में अमृतपाल को पकड़ने के लिए पुलिस ने 18 मार्च को ऑपरेशन शुरू किया था.
आर्म्स एक्ट में भी दर्ज है केस
- 18 मार्च को अमृतपाल तो भागने में कामयाब रहा था, लेकिन उसके कई साथी पकड़े गए थे. पुलिस ने एक गाड़ी को भी पकड़ा था. साथ ही सात आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था.
- इन आरोपियों के पास से 12 बोर की 6 बंदूकें और 193 जिंदा कारतूस बरामद हुए थे. पुलिस ने बताया था कि हरमिंदर सिंह को हथियारों के साथ पकड़ा गया था. उसने पूछताछ में बताया था कि अमृतपाल ने ये कारतूस गुरभेज नाम के शख्स ली थी.
- इस मामले में पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. मामले में अमृतपाल सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया था.
और क्या-क्या आरोप हैं अमृतपाल पर?
- इन सबके अलावा अमृतपाल सिंह पर और भी कई केस दर्ज हैं. अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक अमृतपाल को सात एफआईआर में आरोपी बनाया गया है.
- पहली एफआईआर अजनाला पुलिस थाने पर बवाल से जुड़ी है. जबकि, दूसरी एफआईआर आर्म्स एक्ट से जुड़े मामले में दर्ज की गई थी.
- इसके अलावा अमृतपाल पर रैश ड्राइविंग और सरकारी सेवक के आदेश की अवज्ञा करने का आरोप भी है. इतना ही नहीं, उसके खिलाफ एक्सटॉर्शन और किडनैपिंग का भी केस है.
एनएसए भी लगा है अमृतपाल पर
- फरारी के बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए भी लगा दिया था. इस कानून को बेहद सख्त माना जाता है. इसके तहत पुलिस संदिग्ध व्यक्ति को 12 महीनों तक हिरासत में रख सकती है.
- इस कानून के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने तक बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है. जरूरत पड़ने पर इसकी अवधि 3-3 महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है.
- इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है. हिरासत में रखने के लिए संदिग्ध पर आरोप तय करने की जरूरत भी नहीं होती.
- गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार को बताना पड़ता है कि इस व्यक्ति को जेल में रखा गया है और उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है.
- हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाईकोर्ट के एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपील कर सकता है. उसे वकील भी नहीं मिलता. जब मामला कोर्ट में जाता है तब सरकारी वकील कोर्ट को मामले की जानकारी देते हैं.
दुबई गया, फिर जॉर्जिया में ली थी ट्रेनिंग
- अमृतपाल सिंह 12वीं की पढ़ाई के बाद दुबई चला गया था. वो वहां ट्रक चलाया करता था. अमृतपाल करीब 9 साल तक भारत से बाहर ही रहा.
- खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, अमृतपाल सिंह दुबई की सड़कों पर ट्रक चलाया करता था. दुबई में ही वो खालिस्तानी विचारधारा के समर्थकों के संपर्क में आया.
- खुफिया सूत्रों ने बताया कि अमृतपाल जब दुबई में था, तब वो जसवंत सिंह रोडे के संपर्क में था. जसवंत सिंह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का प्रमुख और खालिस्तानी समर्थक लखबीर सिंह रोडे का भाई है. - इतना ही नहीं, दुबई में ही अमृतपाल खालिस्तानी समर्थक परमजीत सिंह पम्मा के संपर्क में भी था.
- खुफिया सूत्रों के मुताबिक, अमृतपाल जब दुबई से निकल रहा था, तभी वो आईएसआई के संपर्क में आया. आईएसआई ने उसे धर्म के नाम पर भोले-भाले सिख नौजवानों को बरगलाने को कहा. माना जाता है कि इसके लिए आईएसआई ने उसे फंडिंग की थी.
- भारत आने से पहले अमृतपाल को आईएसआई ने जॉर्जिया में ट्रेनिंग दी. उसको पंजाब में आतंकवाद बढ़ाने के लिए तैयार किया गया.
भारत के खिलाफ क्या साजिश रच रहा था अमृतपाल?
- अमृतपाल भारत के खिलाफ खतरनाक साजिश रच रहा था. खुफिया एजेंसियों के डोजियर में सामने आया है कि अमृतपाल नशामुक्ति केंद्रों और गुरुद्वारों का इस्तेमाल हथियार जमा करने और युवाओं को आत्मघाती हमले के लिए तैयार करने में कर रहा था.
- अलग-अलग एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर तैयार इस डोजियर में दावा किया गया है कि अमृतपाल आईएसआई और विदेशों में बैठे खालिस्तानी समर्थकों के इशारे पर काम कर रहा था. वो युवाओं को 'खड़कूस' यानी मानव बम बनाने के लिए उकसा रहा था.
- इतना ही नहीं, अमृतपाल 'आनंदपुर खालसा फ्रंट' यानी एकेएफ के नाम से प्राइवेट आर्मी भी बना रखी थी. अब तक की जांच में अधिकारियों को हथियार, गोला-बारूद, यूनिफॉर्म और जैकेट मिली हैं. इन पर AKF लिखा हुआ है.
- अधिकारियों ने बताया कि 'वारिस पंजाब दे' की ओर से चल रहे नशामुक्ति केंद्रों और अमृतसर के गुरुद्वारे में अवैध रूप से हथियार जमा कर रखे थे. नशामुक्ति केंद्रों में आने वाले युवाओं को बहला-फुसलाकर 'गन कल्चर' की ओर धकेला जा रहा था.
- इन युवाओं को आतंकवादी दिलावर सिंह का रास्ता चुनने के लिए उकसाया जा रहा था. दिलावर सिंह सुसाइड बॉम्बर था. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या आत्मघाती हमले में हो गई थी. ये हमला दिलावर सिंह ने ही किया था.
क्या अमृतपाल कभी बाहर नहीं आ पाएगा?
फिलहाल तो उसके बाहर आने की कोई उम्मीद नहीं है. उसे एनएसए के तहत हिरासत में रखा गया है. एनएसए के तहत पुलिस अमृतपाल को कम से कम तीन महीने के लिए हिरासत में तो रख ही सकती है. उसके बाद तीन-तीन महीने करके एक साल तक बढ़ा सकती है. इसके अलावा उस पर कई आपराधिक मामले भी हैं, जिनमें उसे लंबी सजा हो सकती है.