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पुतिन से मिलने बख्तरबंद ट्रेन से रूस पहुंचे किम जोंग, कैसी है वो शाही ट्रेन, जिससे उनके दादा-पिता भी करते रहे यात्रा?

उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग ज्यादातर विदेश यात्राएं ट्रेन से ही करते रहे. ये मामूली नहीं, बल्कि हथियाबंद ट्रेन है, जिसमें रॉयल सुविधाएं हैं. किम से पहले उनके दादा और पिता भी इस रॉयल ट्रेन से ही आना-जाना करते रहे. यानी इसे एक तरह से खानदानी ट्रेन भी कह सकते हैं. सफर के दौरान लीडर के मनोरंजन के लिए डांसर्स का दल भी रहता है.

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किम जोंग उन की रॉयल ट्रेन अक्सर चर्चा में रहती है. सांकेतिक फोटो (AP)
किम जोंग उन की रॉयल ट्रेन अक्सर चर्चा में रहती है. सांकेतिक फोटो (AP)

नॉर्थ कोरिया के सैन्य शासक किम जोंग उन मंगलवार सुबह रूस पहुंच चुके हैं. माना जा रहा है कि वे व्लादिवोस्तोक शहर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे. डेढ़ साल से चले आ रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ये मीटिंग नए मोड़ लाने वाली हो सकती है. हो सकता है कि किम और पुतिन दोनों एक-दूसरे को किसी तरह की मदद दें. लेकिन इस सबके बीच एक खास बात ये है कि बाकी लीडरों की तरह किम हवाई यात्रा नहीं, बल्कि ट्रेन से सफर करते हैं. हर तरह की सुविधाओं वाली ये ट्रेन अपने-आपमें भारी-भरकम इतिहास रखती है.

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लीक नहीं हो पाती देश की ज्यादातर बातें

वैसे तो किम जोंग के बारे पुख्ता बातें कम ही पता लगती हैं, खासकर किम की कमियों के कमजोरियों के बारे में क्योंकि इससे अमेरिका को भी धमकाते इस छोटे देश पर खुद खतरा आ सकता है. इसके बाद भी बीच-बीच में कुछ न कुछ नया सामने आ ही जाता है.

हवाई सफर टालते रहे शासक

माना जाता है कि किम जोंग को उड़ने से डर लगता है. ये डर खानदानी है, यानी उनके पिता और दादा के बारे में भी यही कहा जाता रहा. यहां तक कि किम से पहले ये दोनों कोरियाई नेता भी ट्रैवल से बचते रहे और बहुत जरूरी होने पर ही देश से बाहर जाते. इसमें भी जहां तक मुमकिन हो, अपनी ट्रेन से यात्रा करते.

kim jong un north korea heads up by special train to meet russia putin representation photo Reuters

रूस से गिफ्ट में मिली थी ट्रेन

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सोवियत लीडर जोसेफ स्टालिन ने पचास के शुरुआती दशक में किम के दादा किम 2 संग को एक ट्रेन तोहफे में दी थी. उसके बाद साल 1950 में कोरियन युद्ध के दौरान संग ने इसी ट्रेन को अपने हेडक्वार्टर की तरह इस्तेमाल किया और यहीं से दक्षिण कोरिया के खिलाफ युद्ध के लिए अपनी रणनीति बनाई थी. भीतर की तरफ लकड़ी के बेहद भारी काम वाली ये ट्रेन जल्द ही किम खानदान की शाही ट्रेन बन गई.

पिता की मौत ट्रेन सफर के दौरान 

उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया कोरियन सेंट्रल टेलीविजन की मानें तो साल 2011 में किंग जोंग इल की मौत भी इसी ट्रेन के भीतर काम करते हुए हुई थी. वे तब किसी राजनीतिक काम से प्योंगयांग से बाहर सफर कर रहे थे, जिस दौरान ट्रेन में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा.

kim jong un north korea heads up by special train to meet russia putin representation photo AP
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी रेल यात्रा के शौकीन माने जाते हैं. (Photo- AP)

नहीं हो सकता किसी हमले का असर

तीन पीढ़ियों से चली आ रही ट्रेन लगभग 250 मीटर लंबी और सारी अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है. इसके सारे डिब्बे बख्तरबंद हैं, जिसपर गोली-बारूद का असर नहीं होता. साल 2004 में उत्तर कोरियाई शहर योंगचोन की रेलवे लाइन में एक बारूदी विस्फोट हुआ, जिसमें 150 से ज्यादा जानें गई थीं. ब्लास्ट से कुछ पहले ही ट्रेन उस लाइन से गुजरी थी. इसके बाद से ट्रेन की सुरक्षा और तगड़ी हो गई.

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इतनी सख्त है सिक्योरिटी

उत्तर कोरिया के भीतर ट्रेन कहीं भी जाए, लगभग एक दिन पहले से ही लाइन्स की चेकिंग शुरू हो जाती है और उस रास्ते को ब्लॉक कर दिया जाता है. यहां तक कि वर्तमान तानशाह ने ऐसा बंदोबस्त करवाया कि इस ट्रेन के निकलने से ठीक पहले एक और प्राइवेट ट्रेन भी उसी पटरी से जाती है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. पीछे-पीछे किम की शाही ट्रेन होती है, जिसके बाद एक और ट्रेन भी रहती है, जिसमें अतिरिक्त सिक्योरिटी और बाकी चीजें रहती हैं.

kim jong un north korea heads up by special train to meet russia putin representation photo Reuters

हर किस्म का खाना मिलता है

लग्जरी लाइफ जीने के लिए जाने जाते इस तानाशाह की ट्रेन भी उतनी ही राजसी है. इसमें 22 बोगियों हैं. हर बोगी में विशाल बाथरूम भी है और डायनिंग भी है. सफर कर रहे लोग आमतौर पर या तो किम के परिवारवाले होते हैं, या किम खुद. साथ में पोलित ब्यूरो के अधिकारी और सैन्य दस्ता चलता है. इन सबके लिए खाने-पीने का खास इंतजाम रहता है. ट्रेन में दुनिया से लगभग सभी हिस्सों के खास व्यंजन बनाने वाले शेफ मौजूद होते हैं. 

मनबहलाव के लिए भी कई ग्रुप्स होते हैं

लंबे सफर के दौरान अगर लीडर बोरियत महसूस करने लगें तो उनके मनोरंजन के लिए डांसर्स का दल रहता है. इंटरनेशनल मीडिया में इस बात का बार-बार जिक्र आता है कि किम के मनबहलाव के लिए ट्रेन में भी लड़कियां चलती हैं, जिन्हें लेडी कंडक्टर कहा जाता है. इसके अलावा हर कोच में टेलीविजन है. लेकिन इसमें कुछ ही चैनल आते हैं, जो उत्तर कोरियाई विकास की ही जानकारी दें.

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