लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका. ये 19 जून से 1 जून तक चलेगा, जिसके बाद मतगणना की जाएगी. इलेक्शन के एलान के बाद ही आचार संहिता लागू हो जाती है. लेकिन ये वो वक्त भी है, जब सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने की अपनी आखिरी कोशिश करती हैं, फिर चाहे वो तोहफे देना हो. यही वजह है कि हर चुनाव के दौरान इलेक्शन कमीशन की मशीनरी अवैध कैश और करोड़ों रुपयों की शराब जब्त करती रही है. ऐसा पूरे चुनाव तक रोज हो सकता है. लेकिन इतना सब कुछ कहां से आता है, और इस भंडार का क्या होता है, जानिए.
पहले ताजा मामला जानते चलें
अभी डेट अनाउंस ही हुई, लेकिन अवैध नगदी और लिकर के मामले आने भी लगे हैं. बुधवार को कर्नाटक में पौने 6 करोड़ कैश और 21 करोड़ से ज्यादा कीमत की अवैध शराब पाई गई. ये तो कुछ नहीं. इसके अलावा 24 किलोग्राम ड्रग्स और 27 करोड़ के आसपास सोना-चांदी भी मिले. फ्लाइंड स्क्वाड, राज्य पुलिस और सर्विलांस टीम ने अलग-अलग हिस्सों में ये अवैध चीजें सीज कीं. बता दें कि कर्नाटक में दो चरणों में, 26 अप्रैल और 7 मई को चुनाव होंगे.
इलेक्शन के दौरान ये जो नगदी, शराब, ड्रग्स या कपड़े-गहने बरामद होते हैं, ये काला धन है. असल में इलेक्शन कमीशन ने चुनाव लड़ने के लिए लगने वाली रकम की लिमिट तय की है. अक्सर पार्टियों समेत कैंडिडेट खुद को जिताने की कोशिश में उससे कहीं ज्यादा पैसे खर्च करते हैं. इसका आधिकारिक एलान तो होता नहीं, बल्कि होता ये है कि उम्मीदवार चुपके से अपनी ब्लैक मनी को अपने चुनाव क्षेत्र में बांटने लगता है.
पैसों के अलावा ये चीजें भी मिलती रहीं
ये कैश की शक्ल में भी हो सकता है, या किसी दूसरे रूप में भी, जो भी वोटर को पसंद आए. कई बार महिला वोटरों को साड़ियां, बुजुर्गों को शॉल, चादरें दी जाती हैं. शराब और दूसरी तरह के नशीले पदार्थ दिए जाते हैं. कुल मिलाकर, सारी तिकड़म लगाकर वोटर को अपने पक्ष में करने की मुहिम चल पड़ती है.
चुनावी बिगुल बजते ही काम शुरू
यह बात चुनाव से संबंधित अधिकारी भी जानते हैं. यही वजह है कि इलेक्शन की घोषणा के बाद से सर्विलांस सख्त हो जाता है. रास्ते में जगह-जगह चेकिंग चलती रहती है. अगर कोई गाड़ी संदेहास्पद लगे तो तुरंत उसे देखा जाता है. लोगों से पूछताछ होती है. बहुत बार मुखबिर भी इस काम में डिपार्टमेंट की मदद करते हैं. वे बताते हैं कि फलां जगह पर अवैध शराब या कैश मिल सकता है.
इसके बाद EC की टीम सक्रिय हो जाती है. वो पहले तो भारी मात्रा में मिले कैश या फ्रीबीज को सीज करती है, जो वहां से चुनाव आयोग के पास चला जाता है.
सामान बरामद करने वाली टीम कैसी
जब्ती करने वाली टीमों के कई लेयर होते हैं. इसमें एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट होता है, जो सुनवाई करता है. एक सीनियर पुलिस ऑफिसर, पुलिस टीम, वीडियोग्राफर और हथियारबंद दस्ता भी होता है. फ्लाइंग स्क्वाड यानी उड़नदस्ते का काम है, अवैध कैश की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचना. जबकि स्टेटिक सर्विलांस टीम पूरे चुनाव क्षेत्र में फैली हुई होती है. पुलिस विभाग के पास भी अवैध चीजों को सीज करने का अधिकार होता है. जब्त करने के प्रोसेस की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है.
क्या होता है बरामदगी के बाद
शुरुआती पूछताछ EC करती है. इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जिम्मा लेता है. अगर इसमें पता लग जाए कि कैश चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए था, तो एफआईआर की जाती है.
कोर्ट में केस चलता है. अगर इस दौरान साबित हो जाए कि पैसे इलेक्शन परपस के लिए नहीं थे, तो संबंधित व्यक्ति उसे वापस ले सकता है. लेकिन ये बात साबित करने के लिए कई दस्तावेज होने चाहिए, जैसे कैश ट्रांजेक्शन, पासबुक में एंट्री आदि.
सरकारी कोष में जाता है कैश
अदालत को अलग लगे कि कैश या जो भी तोहफे थे, वो चुनाव के रिजल्ट पर असर डालने के लिए जा रहे थे, तो उसे संबंधित जिले के खजाने में जमा करा दिया जाता है. अक्सर चुनाव के बाद भी इस कैश पर कोई दावा नहीं करता क्योंकि इससे इमेज पर असर हो सकता है. साथ ही ये भी बात है कि इलेक्शन तो हो चुका. अब इस काले धन का कोई मतलब नहीं. कैश के अलावा कीमती धातुओं को भी सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है.
क्या होता है अवैध शराब का
चाहे विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, अवैध शराब लगातार सीज होती रहती है. ये वोटरों में बांटी जाती है ताकि वे फलां पार्टी के पक्ष में मतदान करें. चुनाव के दौरान अगर भारी मात्रा में शराब मिले तो पहले उसकी वैधता चेक की जाती है. अगर इसके कागज नहीं हैं तो जब्त करके रख लिया जाता है, और बाद में उसे किसी भारी वाहन से कुचलकर नष्ट कर दिया जाता है.