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मजाक करना और मजाक उड़ाना- क्यों दोनों पर अलग तरह से रिएक्ट करता है ब्रेन?

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी को लेकर कॉमेडियन कुणाल कामरा विवादों में घिर चुके हैं. इससे पहले भी कई स्टैंड-अप कॉमेडियन्स के मजाक नेताओं से लेकर आम लोगों तक को उकसाते रहे. वैसे कॉमेडी केवल हंसी-ठिठोली तक सीमित नहीं, बल्कि ये ब्रेन के खास हिस्से को एक्टिव कर ऐसी प्रतिक्रिया देती है, जैसा किसी खतरे के समय होता है.

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कॉमेडियन कुणाल कामरा के मजाक पर शिवसेना भड़की हुई है.
कॉमेडियन कुणाल कामरा के मजाक पर शिवसेना भड़की हुई है.

महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे के खिलाफ पैरोडी सॉन्ग को लेकर विवादों में घिरे कॉमेडियन कुणाल कमारा की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. मामले पर पूछताछ के लिए कॉमेडियन को समन भेजा जा चुका. इससे पहले भी कई कॉमेडियन्स कथित अभिव्यिक्ति की आजादी को लेकर घिरते रहे. लेकिन मजाक करने पर अगर लोगों को हंसी आती है, तो मजाक उड़ाना या व्यंग्य में आखिर ऐसा क्या है, जो लोगों को इस हद तक गुस्सा दिला देता है. 

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साइकोलॉजी में मजाक उड़ाने पर बुरा लगने को लेकर कई स्टडीज हुईं. ये कहती हैं कि मॉकिंग सोशल थ्रेट और फेस थ्योरी से जुड़ी बात है. ये थ्योरी कहती है कि हर शख्स, फिर चाहे वो बच्चा ही क्यों न हो, लोगों में अपना फेस बचाए रखना चाहता है. ऐसे में नेता या जाने-पहचाने लोग जब मजाक का केंद्र बनते हैं तो यह उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा को धक्का लगाता लगता है.

राजनीति में, जब किसी नेता का मजाक उड़ता है, तो उनके समर्थकों को यह व्यक्तिगत हमला लग सकता है. यही वजह है कि कामरा की टिप्पणी पर शिवसेना कार्यकर्ता नाराज हो गए. इसे सोशल आइडेंटिटी थ्योरी भी कहते हैं. 

मजाक करने या मजाक उड़ाने में ब्रेन के अलग-अलग हिस्से एक्टिव होते हैं. दोनों ही इमोशन्स के लिए कैटालिस्ट का काम करते हैं लेकिन अलग तरीकों से. मजाक करने या जोकिंग के दौरान प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स सक्रिय हो जाता है. यह क्रिएटिव सोच और ह्यूमर का सेंटर है. जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में छपी स्टडी के अनुसार, जिन लोगों का प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स ज्यादा सक्रिय होता है, उनका सेंस ऑफ  ह्यूमर भी बढ़िया रहता है. जब कोई अच्छा मजाक बनाता या सुनता है, तो डोपामाइन रिलीज होती है, जिससे खुशी मिलती है. 

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kunal kamra controversial remark on eknath shinde maharashtra how brain reacts on mocking photo Unsplash

मजाक उड़ाने या मॉकिंग में ब्रेन का एमिग्डाला सक्रिय हो जाता है. यह मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो खतरे, डर और गुस्से की भावना को नियंत्रित करता है. जब कोई व्यक्ति मजाक उड़ाए जाने पर अपमानित महसूस करे तो एमिग्डाला तुरंत काम करने लगता है. ये तब भी होता है जब शख्स किसी खतरे की स्थिति में हो. यानी मॉकिंग और डेंजर के लिए दिमाग एक जैसा रिएक्शन देता है.

इस दौरान हाइपोथैलेमस भी सक्रिय हो जाता है, खासकर तब जबकि शख्स मजाक को बहुत गंभीरता से ले. यह फाइट या फ्लाइट को ट्रिगर करता है. इससे व्यक्ति या तो चुप हो जाता है, या फिर लड़ने पर तुल जाता है. 

मजाक कई बार इतनी तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है कि इससे युद्ध, हिंसा या राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है. फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली हेब्दो धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर तीखा व्यंग्य करने के लिए जानी जाती थी. साल 2015 में इस पत्रिका के दफ्तर पर आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 10 से ज्यादा जानें गईं. अस्सी के दशक में ईरान-इराक जंग के दौरान दोनों ही देशों ने एक-दूसरे का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, यहां तक कि ऐसे प्रोग्राम बनने लगे जो व्यंग्य करते थे. इसके बाद दोनों के बीच तनाव और बढ़ने लगा. बाद में दूसरों के बीच-बचाव से इसपर रोक लगाई गई. 

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kunal kamra controversial remark on eknath shinde maharashtra how brain reacts on mocking photo AFP

शार्ली हेब्दो केस के बाद बहस होने लगी कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और धार्मिक या निजी सोच के बीच लकीर कैसे खींची जाए. एक तबके का मानना है कि व्यंग्य और मजाक की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए, जबकि दूसरा इसपर कंट्रोल की बात करने लगा. कई देशों में मॉकिंग पर काबू के लिए नियम-कानून भी हैं. 

- जर्मनी में मजाक उड़ाने की आजादी है, लेकिन कुछ चीजें बैन हैं. जैसे दूसरे देशों के नेताओं को घेरना. साल 2016 में एक जर्मन कॉमेडियन जॉन बोएमरमन ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का मजाक उड़ाती हुई एक कविता लिखी. तुर्की इसपर नाराज हो गया और जर्मनी को अपने ही नागरिक पर एक्शन लेना पड़ा. 

- रूस में राजनेताओं, खासकर पुतिन को लेकर कोई व्यंग्य या मजाक नहीं हो सकता. सरकार विरोधी व्यंग्य को फेक न्यूज की कैटेगरी में रखा जाता है. यहां तक कि सोशल मीडिया पर मीम्स शेयर करने पर भी सजा हो सकती है, अगर वो नेताओं पर हो. 

- अमेरिका में फ्री स्पीच बड़ी बात रही. वहां एक शो चलता है- सैटरडे नाइट लाइव. इसमें हर हफ्ते नेताओं का जमकर मजाक बनता है. डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में इस शो ने उन पर खूब व्यंग्य किया, लेकिन ट्रंप इसपर कोई एक्शन नहीं ले सकते थे. 

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