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कुवैत की एक बिल्डिंग में लगी आग से अब तक दर्जनों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में 40 से ज्यादा भारतीय हैं. जिस बिल्डिंग में आग लगी, उसे NBTC ग्रुप ने किराये पर लिया था. इस बिल्डिंग में 196 मजदूर रह रहे थे.
ये आग बुधवार तड़के चार बजे के आसपास लगी थी. जिस वक्त आग लगी, उस समय सभी 196 मजूदर सो रहे थे. किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला. कुवैत के गृहमंत्री शेख फहद अल यूसुफ अल सबाह ने बिल्डिंग मालिक की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं.
कुवैत के अधिकारियों ने बताया कि मंगाफ की एक इमारत में लगी आग की वजह से 49 विदेशी मजदूरों की मौत हो गई है, जिनमें करीब 40 भारतीय हैं.
कुवैत एक ऐसा देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक विदेशी कामगारों पर निर्भर है. वहां रहने वाले ज्यादातर भारतीय मजदूरी करते हैं. इस मजदूरी से उनकी कमाई तो अच्छी हो जाती है, लेकिन यहां जिंदगी जीना मुश्किल होता है. ज्यादा कमाई का लालच देकर ठेकेदार और मालिक मजदूरों को कमरों में ठूंस-ठूंसकर भर देते हैं. ऐसे में जानते हैं कि इन सबके बावजूद भारत से लगभग 33सौ किलोमीटर दूर बसा कुवैत भारतीयों को पसंद क्यों है?
कितने भारतीय हैं कुवैत में?
कुवैत के भारतीय दूतावास के मुताबिक, कई सालों से कुवैत काफी हद तक भारतीयों पर निर्भर है. यहां लगभग 10 लाख भारतीय रहते हैं, जो कुवैत की कुल आबादी का 21 फीसदी है. इतना ही नहीं, कुवैत की कुल वर्कफोर्स में भी 30 फीसदी भारतीय ही हैं.
कुवैत की पब्लिक अथॉरिटी फॉर सिविल इन्फोर्मेंशन (PACI) के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2023 तक कुवैत की आबादी 48.59 लाख थी. इसमें भी 33 लाख से ज्यादा आबादी विदेशी नागरिकों की थी.
आंकड़ों की मानें तो कुवैत में लगभग 30 लाख मजदूर या कामगार हैं. आंकड़े बताते हैं कि कुवैत में विदेशियों की जितनी आबादी रहती है, उनमें से 75% मजदूरी करते हैं.
आंकड़ों के अनुसार, कुवैत में सरकारी सेक्टर में 5.09 लाख और 16.38 लाख प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं. सरकारी सेक्टर में साढ़े चार फीसदी भारतीय हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर में 30 फीसदी भारतीय हैं.
कुवैत में भारतीयों की आबादी भी 10 लाख के पार चली गई है. 10 लाख भारतीयों में से 8.85 लाख से ज्यादा भारतीय वहां मजदूरी करते हैं.
कुवैत में भारतीयों के बाद सबसे ज्यादा कामगार मिस्र के हैं. मिस्र के 4.77 लाख कामगार कुवैत में काम करते हैं. इसके अलावा, कुवैत में 28 फीसदी से ज्यादा डोमेस्टिक हेल्पर भी भारतीय महिलाएं ही हैं.
लेकिन ऐसा नहीं है कि कुवैत में भारतीय सिर्फ मजदूरी ही करते हैं. भारतीय दूतावास के मुताबिक, कुवैत में एक हजार से ज्यादा भारतीय डॉक्टर हैं. 500 डेंटिस्ट भारतीय हैं और 24 हजार से ज्यादा नर्स भारतीय हैं.
भारतीयों की पसंद क्यों है कुवैत?
इसकी कई सारी वजहे हैं. पहली वजह तो यही है कि कुवैत में काम करना ज्यादा आसान है. यहां ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं पड़ती और कमाई भी ज्यादा होती है. यहां पर किसी से भी एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता. अगर किसी दिन काम ज्यादा कराया भी जाता है, तो ओवरटाइम देना होता है. ओवरटाइम भी दो घंटे से ज्यादा नहीं हो सकता.
वैसे तो कतर में न्यूनतम मजदूरी का कोई नियम नहीं है. लेकिन इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की गाइडलाइंस के मुताबिक, विदेशों में काम करने वाले भारतीय कामगारों का मिनिमम वेज तय है. खाड़ी देशों में काम करने वाले कामगारों के लिए 2016 में काम की 64 कैटेगरी में मिनिमम वेज तय किया गया था. यहां काम करने वाले भारतीयों को 300 से 1050 डॉलर तक की सैलरी मिलती है.
रहना-खाना-पीना... सब सस्ता
रिसर्च फर्म वर्कयार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कुवैत दुनिया के सबसे सस्ती जगहों में से एक है. यहां रहना, खाना-पीना सब सस्ता है.
यहां पर एक बेडरूम वाला फ्लैट 250 से 300 दीनार के किराये पर मिल जाता है. वहीं, दो बेडरूम वाला फ्लैट का किराया हर महीने 300 से 400 दीनार के बीच होता है. यहां पर रहने वाले भारतीय मिल-बांटकर फ्लैट किराये पर ले लेते हैं. जैसे दो भारतीय परिवार दो बेडरूम वाला फ्लैट किराये पर ले लेते हैं.
बैचलर्स को भी यहां 75 से 100 दीनार के मंथली रेंट पर रूम मिल जाता है. आमतौर पर कुवैत में एक व्यक्ति के महीनेभर के खाने का खर्चा भी 50 से 75 दीनार ही होता है.
इतना ही नहीं, अगर किसी व्यक्ति की हर महीने की सैलरी 600 दीनार से ज्यादा है, तो वो कार खरीद सकता है. यहां कार खरीदने के लिए मंथली सैलरी कम से कम 600 दीनार होनी चाहिए. यहां पर एक अच्छी सेकंड हैंड कार ढाई से तीन हजार दीनार में मिल जाती है.
कुवैत में काम करने वाले भारतीयों के अधिकार
- काम करने पर सैलरी जरूर मिलेगी. अगर आपको नौकरी से निकाला जाता है या खुद छोड़ते हैं तो भी कोई कंपनी या ठेकेदार सैलरी नहीं रोक सकता.
- हर साल 30 दिन छुट्टी जरूरी मिलेगी. अगर इन 30 छुट्टियों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो फिर कंपनी या ठेकेदार एक्स्ट्रा पे करेगा.
- कुवैत में काम करते हुए अगर इमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होते हैं, तो प्रवासी भारतीय बीमा योजना के तहत 75 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलती है.
- यहां बीमार होने पर 15 दिन की छुट्टी ले सकते हैं और इस दौरान कोई पैसा भी नहीं कटता. अगर 15 दिन से ज्यादा की छुट्टी लेते हैं तो तीन-चौथाई सैलरी मिलती है.
- हर हफ्ते एक दिन की छुट्टी मिलती है. अगर वीक ऑफ पर काम करते हैं तो कंपनी या ठेकेदार न्यूनतम मजदूरी का 50% ज्यादा देगा. हर दिन एक घंटे का ब्रेक भी मिलता है.
- हर दिन 6 घंटे और हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं करवाया जा सकता. अगर ज्यादा काम करवाया जाता है तो ठेकेदार या कंपनी को ओवरटाइम देना होगा. ये ओवरटाइम बेसिक वेज से 25% ज्यादा होगा.
- 30 साल से कम उम्र की भारतीय महिलाएं डोमेस्टिक हेल्पर का काम नहीं कर सकतीं. भारत सरकार ने ये प्रतिबंध लगाया है. इतना ही नहीं, डोमेस्टिक हेल्पर को छोड़कर बाकी दूसरे कामों में लगी महिलाओं से रात के 10 बजे से सुबह 7 बजे तक काम नहीं करवाया जा सकता.
- भारत की तरफ से विदेश में काम करने वालों को बीमा कवरेज भी मिलता है. विदेश में काम करते हुए अचानक मौत होने या विकलांग होने पर 10 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है. किसी विवाद में फंसने पर 30 हजार रुपये तक का कानूनी खर्च भी सरकार उठाती है.