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लेबनानियों को शरण दे रहा सीरिया अपने नागरिकों के लिए भी असुरक्षित, फिर क्यों पहुंच रहे लाखों रिफ्यूजी?

आतंकी गुट हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर को खत्म करने के लिए इजरायल लगातार हमले कर रहा है. इस बीच लेबनान से लाखों लोग सीरिया में शरण ले चुके. लेकिन ये देश खुद ही सुरक्षित नहीं. इसके चार कोनों पर चार अलग-अलग गुटों का दबदबा है. इनमें से 60% हिस्से पर तानाशाह राष्ट्रपति बशर अल-असद का कंट्रोल है, जिनके शासन में लोगों के गायब होने की खबरें आती रहीं.

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लेबनान से भागकर बड़ी संख्या में लोग सीरिया पहुंच रहे हैं. (Photo- Getty Images)
लेबनान से भागकर बड़ी संख्या में लोग सीरिया पहुंच रहे हैं. (Photo- Getty Images)

हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बीते कुछ समय से इजरायल रुक-रुककर हमले कर रहा है. इसमें लेबनानी टॉप लीडरशिप की एक लेयर खत्म हो चुकी. लेकिन इसका असर लेबनानी आबादी पर भी है. हवाई और जमीनी हमलों के बचने के लिए वे पड़ोसी देश सीरिया भाग रहे हैं. यूएनएचसीआर के डेटा की मानें तो अब तक लगभग पौने दो लाख लोग सीरियाई सीमा पार कर चुके. लेकिन सीरिया तो खुद ही लंबे समय तक सिविल वॉर से जूझता रहा. ऐसे में शरण लेने के लिए वो कितना सुरक्षित देश है?

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साल 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ. तब से इस साल की शुरुआत तक वहां के 14 मिलियन लोग दूसरे देशों की तरफ पलायन कर गए, या अपने ही यहां विस्थापित हुए. ज्यादातर ने जर्मनी, जॉर्डन, इराक, इजिप्ट और लेबनान में शरण ली. यूएन रिफ्यूजी एजेंसी यूएनएचसीआर इसे दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट में रखता है. अब अंदरुनी लड़ाई रुक चुकी लेकिन खुद सीरियाई नागरिक मानते हैं कि वापस लौटना सेफ नहीं. वहीं पड़ोसी देश लेबनान के लोग यहां शरण लेने आ रहे हैं. 

कैसे रिश्ते बने हुए हैं

दोनों देशों के बीच रिश्ते घट-बढ़ होते रहे लेकिन कुल मिलाकर देखें तो धार्मिक और सांस्कृतिक समानता की वजह से दोनों ही मुल्कों में आवाजाही आम रही. दोनों जगहों पर अरब और इस्लामिक कल्चर की गहरी छाप है. आपस में रोटी-बेटी का भी रिश्ता रहा. दोनों के बीच हिजबुल्लाह भी एक कड़ी रही. लेबनान के शिया सशस्त्र गुट ने सीरियाई वॉर के दौरान बशर असद की सरकार को सपोर्ट किया. इससे राजनैतिक संबंध भी बने. 

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lebanese refugees in syria amid israel hezbollah conflict supported by iran photo AP

जहां तक शरण देने की बात है तो साल 2011 में जब सीरिया में सिविल वॉर चल रहा था, तब लेबनान ने बड़ी संख्या में सीरियाई शरणार्थियों को शरण दी. अनुमान है कि लेबनान में करीब 1.5 मिलियन सीरियाई शरणार्थी हैं. अब लेबनान से भी लोग इस पड़ोसी देश में ठौर खोज रहे हैं. सीरिया खुद अस्थिर है लेकिन चूंकि वो वक्त-बेवक्त इस देश में रिफ्यूजी भेजता रहा इसलिए फिलहाल वो भी सीमा पार करने वालों पर कोई रोकटोक नहीं कर रहा. 

क्या सीरिया का कोई हिस्सा सेफ है

लाखों लेबनानी कुछ ही हफ्तों के भीतर सीरिया की सीमा में प्रवेश कर गए. इस बीच चर्चा हो रही है कि ये देश खुद ही अस्थरिता और गरीबी का शिकार है. यहां तक कि भीतर ही भीतर ये चार हिस्सों में बंट चुका है. चारों ही कुछ कम, कुछ ज्यादा लेकिन असुरक्षित हैं. 

- सीरिया का 60 फीसदी हिस्सा सीरियाई तानाशाह बशर अल-असद के कंट्रोल में है. इसे असद की सेना संभालती है. 

- इसके उत्तर-पश्चिमी इलाके पर उग्रवादी समूह हयात तहरीर अल-शाम का कब्जा है, जो चरमपंथी सोच रखता और उसी तरह से डील करता है. 

- उत्तरी सीमा तुर्किए से सटी हुई है, जहां तुर्क सेना कब्जा किए हुए है. उसका आरोप है कि ऐसा न करने पर सीमा पार से चरमपंथी वहां भी पहुंच जाएंगे. 

- सीरिया के उत्तर-पूर्वी हिस्सों पर सीरियाई-कुर्दिश बलों का कंट्रोल है. ये मिलिशिया हैं, न कि सरकारी सेना. 

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lebanese refugees in syria amid israel hezbollah conflict supported by iran photo AFP

चारों में से कोई भी हिस्सा सुरक्षित नहीं माना जाता. जर्मनी के ग्लोबल एंड एरिया स्टडीज संस्थान (गिगा) ने हाल में एक स्टडी की और माना कि सीरियाई शरणार्थियों की भारी आबादी से परेशान जर्मनी को किसी भी हाल में रिफ्यूजियों को उनके देश वापस डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए. 

एक और रिपोर्ट सीरिया इज नॉट सेफ में इन चारों ही हिस्सों के बारे में डिटेल में बताया गया है. यहां तक कि राष्ट्रपति असद की सरकार के क्षेत्र को दुनिया की सबसे दमनकारी सरकार में रखते हुए दावा किया गया कि यहां शासन द्वारा बड़े पैमाने पर विरोधियों को गायब करना, सैन्य मुकदमे और यातना आम है. साथ ही, यहां की सरकार सवा लाख से ज्यादा बंदियों को रखे हुए है, जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं कि वे किस हाल में हैं. ये सभी राजनैतिक बागी थे, जिन्होंने असद सरकार के खिलाफ बात की. 

और क्या खतरे हैं सीरिया में

- घरेलू लड़ाई ने सीरिया के बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया. देश का बड़े हिस्से में बिजली-पानी और पढ़ाई जैसी चीजें भी बेहद सीमित हैं. 

- सीरियाई पॉलिटिकल कंडीशन अब भी अस्थिर है. असद की सरकार ने ज्यादातर इलाकों पर कंट्रोल पा लिया, लेकिन स्थिति कहीं भी ठीक नहीं. 

- देश पर अब भी कई इंटरनेशनल पाबंदियां लगी हुई हैं, जिससे देश की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति और खराब होती जा रही है. 

- इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) साल 2016 में भले ही सीरिया से खत्म माना गया लेकिन वो विचारधारा अब भी फल-फूल रही है. 

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