दिल्ली में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली स्कीम की जांच के आदेश दिए हैं. एलजी वीके सक्सेना ने फ्री बिजली स्कीम में अनियमितता बरतने के आरोपों की जांच करने को कहा है. उन्होंने मुख्य सचिव नरेश कुमार को 7 दिन में जांच रिपोर्ट देने को कहा है.
इस साल मई में उपराज्यपाल बनने के बाद से सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार की कई योजनाओं और फैसलों की जांच करने के आदेश दिए हैं. इनमें एक्साइज पॉलिसी, हॉस्पिटल कंस्ट्रक्शन और क्लासरूम कंस्ट्रक्शन में लगे अनियमितताएं बरतने के आरोपों की जांच शामिल है. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि एलजी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और वो केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं.
वहीं, उपराज्यपाल के ऑफिस को फ्री बिजली स्कीम में घोटाले की शिकायत मिली थी. कुछ वकीलों और लॉ प्रोफेशन ने आरोप लगाया है कि सब्सिडी योजना में भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष जैसमीन शाह और आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता के खिलाफ शिकायत मिली थी.
फ्री बिजली स्कीम में क्या-क्या आरोप?
- इस मामले में दो बड़े आरोप लग रहे हैं. पहला आरोप ये है कि 19 फरवरी 2018 को दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) ने एक आदेश जारी किया था.
- इस आदेश में कहा गया था कि सरकार बिजली सब्सिडी का पैसा सीधे लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर करे. लेकिन इस आदेश को अब तक लागू नहीं किया गया. आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि लाभार्थियों की सही संख्या को छिपाया जा सके और बिजली कंपनियों को सीधा पैसा देकर उससे कमीशन बनाया जा सके.
- दूसरा आरोप ये है कि प्राइवेट बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार की हिस्सेदारी 49% है. पहले इन बिजली कंपनियों में दिल्ली सरकार के सीनियर अफसर डायरेक्टर हुआ करते थे, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद इनमें पॉलिटिकल लोगों को डायरेक्टर बनाया गया.
- आरोप है कि केजरीवाल सरकार ने अनिल अंबानी ग्रुप की दो कंपनियों- बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में पार्टी प्रवक्ता जैस्मीन शाह और नवीन गुप्ता को नियुक्त किया गया. इन दोनों पर कंपनियों में घोटाला करने का आरोप है.
11,500 करोड़ का सेटलमेंट!
- एक आरोप ये भी है कि दिल्ली सरकार को BRPL और BYPL से 21,250 करोड़ रुपये वसूलने थे, लेकिन सरकार ने एक डील के तहत 11,550 करोड़ रुपये का सेटलमेंट कर दिया. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि एक तरफ सरकार को बिजली कंपनियों से बकाया राशि वसूलना था तो दूसरी ओर सब्सिडी का पैसा भी देना था.
- केजरीवाल सरकार ने 2015-16 में कैबिनेट के फैसले में बिजली कंपनियों को हर साल ऑडिट करने को कहा था. आरोप है कि सरकार ने न तो 11,500 करोड़ रुपये के सेटलमेंट का ऑडिट किया और न ही BRPL और BYPL को हर साल ऑडिट करने को कहा. इससे सरकार ने अपने ही फैसले का उल्लंघन किया.
- आरोप है कि सरकार ने डिस्कॉम को लोगों से 18% की दर से लेट पेमेंट सरचार्ज लेने की अनुमति दी गई, जबकि दिल्ली सरकार की बिजली कंपनियों को 12% की दर से लेट फीस वसूलने की अनुमति मिली. इससे सरकारी खजाने को 8,500 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है.
केजरीवाल सरकार का क्या है कहना?
- डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी सक्सेना पर चुनी हुई सरकार के खिलाफ 'राजनीति से प्रेरित और असंवैधानिक' तरीके से दखलंदाजी करने का आरोप लगाया है.
- सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि एलजी को जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी किसी भी मामले में कोई आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है.
- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली गारंटी लोगों को पसंद आ रही है, इसलिए बीजेपी दिल्ली में फ्री बिजली रोकना चाहती है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसी भी हाल में फ्री बिजली नहीं रुकेगी. गुजरात में भी सरकार बनने पर 1 मार्च से फ्री बिजली मिलेगी.
- केजरीवाल ने आगे कहा कि हर चीप पर इतना टैक्स लगा दिया है, लोगों का खून चूस रहे हो. ऐसे में अगर बिजली फ्री देकर थोड़ी राहत देता हूं तो वो भी आपसे बर्दाश्त नहीं होता?
- आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी की ओर से नियुक्त किए गए एलजी ने गुजरात में अरविंद केजरीवाल का विजय रथ रोकने के लिए साजिश के तहत जांच का आदेश दिया है.
क्या है फ्री बिजली स्कीम?
2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से बिजली बिल पर सब्सिडी दी जा रही है. केजरीवाल सरकार बिजली बिल पर 5 कैटेगरी में सब्सिडी देती है.
घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने पर बिल पर पूरी छूट मिलती है. यानी, उन्हें एक रुपये का भी बिल नहीं देना पड़ता. वहीं, 201 से 400 यूनिट तक बिजली यूज करने पर बिजली बिल या तो आधा आता है या फिर 800 रुपये की सीधी छूट मिलती है.
इनके अलावा 1984 के सिख दंगों के पीड़ित परिवारों को 400 यूनिट तक की बिजली पर 100% सब्सिडी मिलती है. किसान परिवारों को भी 125 सब्सिडाइज्ड यूनिट्स मिलती है. साथ ही फिक्स्ड चार्जेस पर 105 रुपये प्रति किलोवॉट महीने की सब्सिडी भी मिलती है.
इन सबके अलावा, उन वकीलों को भी बिजली बिल पर सब्सिडी मिलती है, जिनके चैम्बर्स अदालतों के परिसर में हैं. इन वकीलों को भी 200 यूनिट तक 100% और 201 से 400 यूनिट तक 50% या 800 रुपये की छूट मिलती है.