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विपक्षी एकजुटता को तगड़ा झटका लगा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया. इसे विपक्षी 'INDIA' गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें आतीं हैं और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले ही लड़ेगी.
सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ चल रही खींचतान के बीच ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा, 'मैंने उन्हें (कांग्रेस) सीट शेयरिंग का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने पहले ही इसे खारिज कर दिया. अब हमारी पार्टी ने बंगाल में अकेले ही लड़ने का फैसला लिया है.'
बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बंगाल में 42 में से 2 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन कांग्रेस ने इसे नामंजूर कर दिया.
ममता बनर्जी ने अकेले चुनाव में उतरने का ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' पश्चिम बंगाल में एंट्री करने वाली है.
घटता जा रहा कांग्रेस का वोट शेयर
बनर्जी ने ये भी कहा कि उनकी 'सेक्युलर पार्टी' बंगाल में बीजेपी को रोकने के लिए जो भी जरूरी होगा, वो करेगी. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की तुलना में टीएमसी कहीं ज्यादा मजबूत है. बीते तीन लोकसभा चुनाव में टीएमसी जहां और मजबूत हुई है, वहीं कांग्रेस का वोट शेयर लगातार घटता रहा है.
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 13.5% वोट मिले थे, जो 2014 में घटकर 9.7% हो गया. इसके बाद 2019 में ये और कम होकर 5.6% पर आ गया. इसी तरह 2009 में कांग्रेस ने 6 लोकसभा सीटें थीं, जो 2014 में घटकर 4 और फिर 2019 में 2 पर आ गईं.
इसके उलट, टीएमसी का वोट शेयर लगातार बढ़ता गया. 2009 में टीएमसी ने 31.2% वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीती थीं. 2014 में पार्टी को 39.8% वोट मिले और 34 सीटें जीत लीं. 2014 में टीएमसी का वोट शेयर 43.3% रहा, लेकिन सीटें घटकर 22 पर आ गईं.
बीजेपी का बढ़ता जनाधार
पश्चिम बंगाल में बीजेपी का जनाधार जबर्दस्त तरीके से बढ़ा है. 2009 में बीजेपी का वोट शेयर महज 6.1% था, जो 2019 में बढ़कर 40.6% हो गया. दूसरी ओर, सीपीएम का वोट शेयर 2009 में 33.1% था, लेकिन 2019 में उसे महज 6.3% वोट ही मिले.
2014 तक, बीजेपी पश्चिम बंगाल में सिर्फ एक या दो सीटों तक ही सीमित थी. लेकिन 2019 के चुनाव में उसने टीएमसी को कड़ी टक्कर दी और 42 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की. टीएमसी और बीजेपी के बाद कांग्रेस तीसरी पार्टी थी, जिसे यहां सीट मिली थी. कांग्रेस 2019 में दो सीटों पर जीती थी.
बहरहाल, लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को और भी कई राज्यों से झटके मिलने की आशंका जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी भी अकेले लड़ सकती है. पंजाब में सभी 13 सीटों पर आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार उतार सकती है.