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क्या है चीन का डॉग-मीट फेस्टिवल, क्यों इस पर बैन की बात China के लोगों को लगती है पश्चिमी साजिश?

चीन के युलिन शहर में आज से विवादित डॉग मीट फेस्टिवल शुरू हो रहा है. 10 दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल के दौरान हजारों कुत्तों को जिंदा भूनकर खाया जाता है. कोरोनावायरस का केंद्र रहे चीन ने हालांकि डॉग मीट बेचने-खरीदने पर पाबंदी लगा दी थी, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुत्ते खाने के शौकीन चीनियों को इससे खास फर्क नहीं पड़ा.

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चीन के युलिन में हर साल जून के आखिर में डॉग मीट फेस्टिवल मनाया जाता है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
चीन के युलिन में हर साल जून के आखिर में डॉग मीट फेस्टिवल मनाया जाता है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

चीन के दक्षिणी शहर युलिन में हर साल जून में डॉग मीट फेस्टिवल मनाया जाता है. कथित तौर पर सैलानियों को आकर्षित करने के लिए शुरू हुए इस त्योहार में किस्म-किस्म के डॉग्स का मांस पकाया-खाया जाता है. चीन में डॉग मीट को आध्यात्म तक से जोड़कर देखा जाता रहा. यही वजह है कि दुनियाभर की लानतों और एनिमल-लवर संस्थानों की चेतावनी के बाद भी डॉग मीट का शौक कम नहीं हुआ, बल्कि बढ़ा ही. 

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क्या सोचते हैं स्थानीय लोग

पशुप्रेमी संस्था ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल (HSI) ने इस फेस्टिवल से ऐन पहले एक सर्वे किया. सर्वे ये समझने के लिए किया गया कि युलिन शहर के कितने लोग डॉग मीट बैन के खिलाफ या पक्ष में हैं. लगभग 70% लोगों ने माना कि मांस खरीदने-बेचने पर पाबंदी लगाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि लोग अपनी मर्जी से ही काम करेंगे. वहीं लगभग 20% चीनियों ने बैन को सीधे तौर पर गलत कहा. उनके मुताबिक, ये चीनी कल्चर के खिलाफ पश्चिम की साजिश है. 

क्यों खानपान को कल्चर से जोड़ता रहा चीन

यहां बता दें कि चीन अपने खानपान को लेकर काफी पाबंद रहा. यहां खाने के तौर-तरीके को शी लिआयो यानी फूड थैरैपी की तरह देखा जाता है. ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन (TMC) में इसकी भरपूर बात होती है. परंपरागत सोच वाले चीनी यहां तक मानते हैं कि अगर वे चीनी खाने की जगह पश्चिमी शैली अपनाएंगे तो कमजोर हो जाएंगे. 

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lychee and dog meat festival of china and controversy
चीन खानपान को अक्सर अपनी संस्कृति से जोड़ता रहा. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

क्या है डॉग मीट का चीनी संस्कृति से कनेक्शन?

पुरातत्वविद मानते हैं कि चीन में 7 हजार से भी ज्यादा सालों से कुत्ते का मांस खाया जाता रहा. बाद में दूसरे देशों के साथ व्यापार बढ़ने के साथ कुत्तों को अलग नजरिए से देखा जाने लगा. वे पालतू पशु हो गए, जिन्हें घर या खेतों की रखवाली के काम लाया जाता.

किताबों में भी इसका जिक्र

जिस तरह भारत में नैतिक शिक्षा की किताबें होती हैं, उसी तर्ज पर चीन में भी बच्चों के लिए क्लासिक्स होती हैं, जिन्हें सैन ज़ी जिंग कहते हैं. इसमें बताया गया है कि डॉग मीट से मानसिक और आध्यात्मिक ताकत मिलती है. यही वजह है कि जब चीन समेत बाकी दुनिया के एनिमल लवर डॉग मीट का विरोध करने लगे, तो चीन के बहुत से लोगों ने इसे अपने कल्चर पर हमला माना. उनका तर्क था कि चिकन, मछली और बकरे का मांस खाना अगर सही है, तो कुत्ते का मांस खाना गलत कैसे हो सकता है! 

क्या होता है युलिन फेस्ट के दौरान
 

इसे लीची एंड डॉग मीट फेस्टिवल भी कहते हैं. 10 दिनों तक चलने वाले त्योहार में कुत्तों के अलावा लीचियां और चीनी शराब की ढेरों किस्में भी आने वाले लोगों को ऑफर की जाती हैं. लेकिन जैसा कि समझ आ रहा है, इस फेस्ट का सबसे बड़ा आकर्षण कुत्तों का मांस होता है. साल 2009 में ये त्योहार शुरू हुआ, जिसके पीछे कोई ऐतिहासिक या कल्चरल वजह नहीं थी, बल्कि शहर के मीट-व्यापारियों ने मीट बिक्री बढ़ाने के लिए प्रयोग शुरू किया, जो जल्दी ही कार्निवल की तरह मशहूर हो गया. 

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कोरोना के बाद चीन के कई प्रांतों में डॉग मीट बेचने-खरीदने पर पाबंदी लग गई. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

त्योहार के शुरू होने के पीछे एक वजह ये भी है कि चीनी मान्यता के अनुसार, गर्मियों के दौरान डॉग मीट खाना पूरे साल सेहत बढ़िया रखता है. साथ ही साथ ये पुरुषों की यौन ताकत भी बढ़ाता है. 

किस तरह की क्रूरता

एक्टिविस्ट संस्थाओं का दावा है कि त्योहार से पहले से ही डॉग्स पर क्रूरता शुरू हो जाती है. चीन के अलग-अलग प्रांतों से उन्हें ट्रांसपोर्ट किया जाता है. युलिन में उन्हें बहुत छोटे लोहे के पिंजरों में बंद रखा जाता है. इस दौरान उनके खानपान और साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. बहुत से पशु इसी समय इंफेक्शन का शिकार होकर खत्म हो जाते हैं. 

क्यों लगातार हो रहा विरोध

फेस्ट के समय जिंदा कुत्तों को प्रदर्शनी के लिए रखा जाता है. ग्राहकों की पसंद के मुताबिक उन्हें काटा और पकाया जाता है. कुत्तों को पकाने के अलग-अलग तरीकों के अलावा एक तरीका यहां खासा क्रूर है. प्रेस्ड डॉग रेसिपी में डॉग्स की स्किन निकालकर उसे कई घंटों के लिए मैरिनेट किया जाता और फिर पकाया जाता है. लगभग सारे ही तरीके खासे बर्बर हैं, जिनके कारण डॉग मीट फेस्टिवल का विरोध बाकी देश ही नहीं, बल्कि चीन के बहुत से लोग भी करने लगे. 

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पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए डेढ़ दशक पहले ही डॉग-मीट फेस्ट शुरू हुआ. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

स्थानीय प्रशासन ने पल्ला झाड़ा

दुनियाभर की पशुप्रेमी संस्थाएं इसपर सवाल उठा रही हैं, लेकिन कारोबार चल ही रहा है. यहां तक कि इस पर बैन की बात से युलिन प्रशासन से पल्ला झाड़ लिया. स्टेट न्यूज एजेंसी शिन्हुआ में साल 2020 में स्थानीय प्रशासन ने एक स्टेटमेंट दिया, जिसमें उसने कहा कि ये कोई सरकारी त्योहार नहीं है. चूंकि ये अनाधिकारिक इवेंट है, जिसे लोकल्स ही मनाते हैं, लिहाजा सरकार के पास इस पर बैन लगाने की कोई वजह नहीं. 

लाखों डॉग्स को करते हैं स्लॉटर

डॉग मीट फेस्टिवल में कितने डॉग्स को मारा जाता है, इसका कोई स्पष्ट डेटा नहीं दिखता. ह्यूमन सोसायटी के मुताबिक इस दौरान 10 से 15 हजार कुत्तों का मांस पकाया जाता है, जबकि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान भी लगभग इतने ही पशुओं की मौत हो जाती है. इसके अलावा सालभर में चीन में 10 से 20 मिलियन कुत्तों को स्लॉटर किया जाता है.

ये देश भी खाते हैं डॉग मीट

इसके बाद दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया और वियतनाम का नंबर आता है. वियतनाम में डॉग मीट को ताकत से जोड़कर देखा जाता है. ये यकीन इतना अधिक है कि अगर मार्केट में मीट न मिलें तो कई बार लोग अपने पालतू कुत्तों को भी मारकर खा जाते हैं.

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