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टीम अजित पवार के ये हैं 'नवरत्न'... जानिए कौन किन एजेंसियों की जांच का सामना कर रहा, किसकी क्या सियासी ताकत?

महाराष्ट्र की सियासत में रविवार को बड़ा उलटफेर हो गया. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने फिर पलटी मारते हुए बीजेपी-शिवसेना सरकार को समर्थन दे दिया. उनके साथ ही आठ और नेताओं ने भी शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया है. ऐसे में जानते हैं कि शिंदे सरकार में शामिल हुए टीम अजित पवार के 'नवरत्न' की सियासी ताकत कितनी है?

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अजित पवार ने शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया है. (फाइल फोटो-PTI)
अजित पवार ने शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया है. (फाइल फोटो-PTI)

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर 'महासंग्राम' शुरू हो गया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए हैं.

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सरकार में शामिल होते ही अजित पवार को डिप्टी सीएम बना दिया गया है. उनके साथ एनसीपी के आठ और नेता भी सरकार में शामिल हो गए हैं. सभी को मंत्री बना दिया गया है.

अजित पवार के साथ सरकार में शामिल हुए नेताओं में छगन भुजबल का नाम भी है. इनके अलावा दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, संजयन भनसोडे, धरमराव आत्राम, अनिल पाटिल और संजय भनसोडे हैं. इतना ही नहीं, रविवार को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल और एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे.

महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 विधायक और 9 विधान परिषद सदस्य हैं. दावा है कि अजित पवार के पास 40 विधायक और 6 विधान परिषद सदस्यों को समर्थन है. हालांकि, एनसीपी का कहना है कि उनके पास 36 विधायक भी नहीं है. दल-बदल कानून से बचने के लिए अजित पवार को कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत है.

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बहरहाल, अजित पवार के साथ जो नेता एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हुए हैं, वो महाराष्ट्र की सियासत में कितनी ताकत रखते हैं? जानते हैं...

टीम अजित के 9 में से 3 मंत्री ED के रडार पर

1. अजित पवार

- सियासी ताकतः एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं. बारामती सीट से विधायक हैं. 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद 4 साल में अजित तीसरी बार डिप्टी सीएम बने हैं. 2019 में वो सिर्फ 80 घंटे के लिए डिप्टी सीएम बने थे. बाद में महाविकास अघाड़ी की सरकार में डिप्टी सीएम रहे और अब फिर से डिप्टी सीएम बन गए हैं. 

- आपराधिक मामलेः अजित पर महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक की ओर से दिए गए लोन में अनियमितताएं बरतने का आरोप है. ये लोन घोटाला 2005 से 2010 के बीच का है. तब राज्य में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार थी. आर्थिक अपराध शाखा (EOW) इसकी जांच कर रही है. ईडी ने भी इसी साल अप्रैल में चार्जशीट दायर की थी. हालांकि, ईडी ने अजित को अभी आरोपी नहीं बनाया है. इसके अलावा, अजित का नाम सिंचाई घोटाले में भी है. 

2. छगन भुजबल

- सियासी ताकतः नासिक के येवला से विधायक हैं. पांच बार के विधायक हैं और माली समुदाय से आते हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं. 1999 में एनसीपी के गठन के बाद पार्टी के पहले प्रदेश अध्यक्ष थे.

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- आपराधिक मामलेः पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए 2006 में 100 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट देने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है. ईडी ने भी अलग से मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. दो साल जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी. मुंबई यूनिवर्सिटी में करप्शन के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने भी केस दर्ज किया था.

3. हसन मुशरिफ

- सियासी ताकतः पश्चिम महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले की कागल विधानसभा से पांच बार विधायक हैं. एनसीपी का बड़ा मुस्लिम चेहरा माना जाता है. राज्य में श्रम मंत्री रह चुके हैं.

- आपराधिक मामलेः सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों के कामकाज में अनियमितताओं को लेकर ईडी ने छापेमारी की थी. अप्रैल में स्पेशल कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी, हालांकि हाई कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई थी. उनके तीन बेटों की जमानत याचिकाएं कोर्ट में पेंडिंग हैं.

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प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार और छगन भुजबल. (फोटो-PTI)

बाकी 6 की कितनी है सियासी ताकत?

4. दिलीप वलसे पाटिलः पश्चिम महाराष्ट्र के अंबेगांव सीट से सात बार विधायक हैं. उन्हें शरद पवार का करीबी माना जाता है. दिलीप पाटिल, शरद पवार के राजनीतिक सचिव रह चुके हैं. विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

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5. धनंजय मुंडेः बीड जिले के परली विधानसभा सीट से विधायक हैं. पहली बार विधायक बने हैं. धनंजय मुंडे बीजेपी के नेता रहे गोपीनाथ मुंडे के भतीजे हैं. इन्हें अजित पवार का करीबी माना जाता है.

6. अदिति तटकरेः रायगढ़ से एनसीपी सांसद सुनील तटकरे की बेटी हैं. 2019 में श्रीवर्धन सीट से पहली बार विधायक बनीं. उद्धव ठाकरे की सरकार में उनके पास सबसे ज्यादा विभाग थे. शिंदे सरकार में पहली महिला मंत्री हैं.

7. संजय भनसोडेः लातूर जिले की उदगिर सीट से विधायक है. पहली बार विधायक बने हैं. संजय भनसोडे को अजित पवार का करीबी माना जाता है.

8. धरमराव आत्रामः आदिवासी समुदाय के बड़े नेता हैं. गढ़चिरौली जिले की अहेरी सीट से विधायक हैं.

9. अनिल पाटिलः विधानसभा में एनसीपी के मुख्य सचेतक थे. वो जलगांव जिले की अमलनेर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.

प्रफुल्ल पटेल. (फाइल फोटो)

प्रफुल्ल पटेल भी जांच के दायरे में

एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल भी अजित पवार के समर्थन में हैं. रविवार को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह में प्रफुल्ल पटेल भी शामिल हुए थे. प्रफुल्ल पटेल को शरद पवार का 'सबसे भरोसेमंद साथी' माना जाता है.

बताया जाता है कि शरद पवार ही प्रफुल्ल पटेल को राजनीति में लेकर आए थे. 1999 में एनसीपी के बनने के बाद से ही प्रफुल्ल पटेल का राज्य से लेकर केंद्र की सिसायत में दखल रहा है.

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अब माना जा रहा है कि प्रफुल्ल पटेल को मोदी कैबिनेट में भी जगह मिल सकती है. ऐसी अटकलें हैं कि उन्हें केंद्र में मंत्री पद दिया जा सकता है.

हालांकि, अजित पवार की तरह ही प्रफुल्ल पटेल भी ईडी के रडार पर है. प्रफुल्ल पटेल अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी गैंगस्टर इकबाल मिर्ची से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी की जांच के दायरे में है. इस मामले में ईडी ने सैकड़ों करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों को जब्त भी किया है.

प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ एविएशन स्कैम मामले में भी जांच चल रही है. ईडी ने प्रफुल्ल पटेल से उनके और इकबाल मिर्ची के बीच कथित संबंधों को लेकर भी पूछताछ की थी.

 

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