scorecardresearch
 

'इंडिया आउट' बोल चुका मालदीव अब क्यों 'इंडिया फर्स्ट' रवैया दिखा रहा है, कुछ महीनों में ऐसा क्या बदला?

चीन के लिए झुकाव रखने वाले मुहम्मद मुइज्जू के मालदीव का राष्ट्रपति बनते ही भारत से उसके रिश्ते बिगड़ने लगे थे. लेकिन अब माजरा बदला हुआ है. मुइज्जू न केवल आभार जता रहे हैं, बल्कि विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे के दौरान मालदीव में उनकी जमकर खातिरदारी भी हुई. तो क्या मालदीव को भारत की कीमत समझ आ चुकी है?

Advertisement
X
मुहम्मद मुइज्जू चीन के पक्ष में नीतियों के लिए जाने जाते रहे. (Photo- AP)
मुहम्मद मुइज्जू चीन के पक्ष में नीतियों के लिए जाने जाते रहे. (Photo- AP)

मालदीव ने कुछ महीनों पहले ही इंडिया आउट कैंपेन चलाया था. यहां तक कि उसके मंत्री सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ ऊलजुलूल कमेंट्स भी कर रहे थे. माना जा रहा था कि बदले हुए इन तेवरों के पीछे मौजूदा सरकार की प्रो-चाइना नीति थी. लेकिन अब इस द्वीप देश का रवैया दोबारा नरम पड़ा है. वो भारत के करीब आने की कोशिश में है. तो क्या चीन से उसका मोहभंग हो गया, या फिर भारत उसे ज्यादा जरूरी लग रहा है? यहां समझिए. 

Advertisement

मौजूदा सरकार के बदले थे मिजाज

नवंबर 2023 में मुइज्जू ने राष्ट्रपति पद संभालते ही इंडिया आउट कैंपेन शुरू कर दिया. वे अपने देश में मौजूद भारतीय सैनिकों के छोटे से समूह को वापस भेजने पर तुले हुए थे, जो उन्हीं की मदद के लिए वहां थे. ये अकेली घटना नहीं. वहां के तीन मंत्रियों ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. भारत की आपत्ति के बाद भले ही इसपर लीपापोती की गई, लेकिन ये बात साफ हो गई कि मालदीव फिलहाल भारत से दूरी रखना चाहता है. 

भारत पर निर्भरता कम करने की कोशिश दिखी

इस देश की इकनॉमी भारत पर टिकी हुई है. इसमें टूरिज्म ही नहीं, कई और पहलू भी हैं. जैसे साल 2021 में भारत उसके सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक हो गया. मालदीव से हम स्क्रैप धातुएं लेते हैं. जबकि बदले में इंजीनियरिंग और औद्योगिक उत्पाद जैसे फार्मास्यूटिकल्स, रडार उपकरण, रॉक बोल्डर, सीमेंट निर्यात करते हैं.

Advertisement

इसमें कृषि उत्पाद जैसे चावल, मसाले, फल, सब्जियां और पोल्ट्री उत्पाद भी शामिल हैं. मुइज्जू सरकार ने दूसरे देशों से सामानों का लेनदेन शुरू कर दिया. लेकिन दूरी ज्यादा होने की वजह से आयात भी काफी महंगा पड़ने लगा. दूसरी तरफ भारत अपने पड़ोसियों को न्यूनतम दर पर उत्पाद भेजता रहा है. 

maldives india relations amid external affairs minister s jaishankar visit photo- Getty Images

टूरिज्म भी चरमरा गया

भारत के साथ तल्खी दिखाने का सीधा असर मालदीव के टूरिज्म पर भी पड़ा. यहां बता दें कि इस देश की इकनॉमी में टूरिज्म का योगदान 28% से भी ज्यादा है. साल 2022 में यहां आने वाले भारतीय सैलानियों की संख्या लगभग 3 लाख हो गई, जो कुल पर्यटन का 14.4 फीसदी थी. खुद यहां की मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म ने माना था कि उनकी इकनॉमिक ग्रोथ में भारतीय टूरिस्ट्स की अहम भूमिका रही. भारत से रुखाई दिखाने का असर इस पहलू पर भी पड़ा. 

भारत के लिए क्यों जरूरी मालदीव  

ये द्वीप देश हिंद महासागर में मेन शिपिंग लेन के बगल में स्थित है. यह लेन चीन, जापान और भारत जैसे देशों को ऊर्जा आपूर्ति पक्की करता है. चीन ने समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के नाम पर कुछ सालों पहले हिंद महासागर में अदन की खाड़ी तक अपने नौसैनिक जहाज भेजने शुरू कर दिए थे. इसके बाद से ही भारत के लिए मालदीव का महत्व और बढ़ गया. अगर वो इससे चूकता है तो सुरक्षा पर संकट आ सकता है. 

Advertisement

गिले-शिकवे मिटाने की पहल दिख रही

आर्थिक झटके खाने के बीच मालदीव ने अपनी रणनीति बदल दी. पिछले महीने ही अपने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुइज्जू ने भारत का जिक्र करते हुए उसे धन्यवाद किया. असल में भारत ने मालदीव को न केवल बड़ा कर्ज दिया है, बल्कि कर्ज वापसी के लिए भारी-भरकम शर्तें नहीं रख दीं. उन्होंने यूके के साथ मुक्त व्यापार समझौते का उल्लेख करते हुए आने वाले वक्त में भारत के साथ भी इस तरह के समझौते की उम्मीद जताई. कुल मिलाकर, मुइज्जू सरकार के नए रवैए में इंडिया आउट की बजाए इंडिया फर्स्ट की झलक दिख रही है. 

maldives india relations amid external affairs minister s jaishankar visit photo- X

इस समय विदेश मंत्री के मालदीव दौरे के क्या हैं मायने

कुछ समय पहले मुइज्जू पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के समय भारत आए थे. इसके बाद रिश्तों में जमी बर्फ पिघलती लगी. माना जा रहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर का मालदीव दौरा भी बातचीत को दोबारा शुरू करने की कवायद का ही हिस्सा है. विदेश मंत्री मालदीव की सबसे बड़ी जल एवं स्वच्छता प्रोजेक्ट के उद्घाटन के मौके पर गए थे, जिसमें भारत ने लगभग 11 करोड़ डॉलर की मदद की थी. 

जयशंकर ने मालदीव में यूपीआई से पेमेंट शुरू करने के समझौते पर हस्ताक्षर किया. साथ ही आपसी रिश्ते मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर बातचीत हुई. इस दौरान मुइज्जू ने भारत को अपने सबसे करीबी सहयोगियों में बताते हुए मौजूदा सरकार का आभार जताया. उनकी तरफ से सोशल मीडिया एक्स पर भी इस तरह की पोस्ट की गई. 

Advertisement

क्या चीन की कर्ज नीति से घबराया मालदीव

चीन और भारत के कर्ज देने के तरीकों में भी खासा फर्क है जो इस देश की समझ में आ चुका लगता है. बीजिंग वैसे तो भारी-भरकम कर्ज देता है लेकिन इसकी शर्तें काफी कड़ी होती हैं. यहां तक कि देश अगर वक्त पर ऋण चुकाने में सफल न हों तो उनकी प्रॉपर्टी पर चीन का कंट्रोल हो सकता है, जैसे श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के साथ हुआ.

भारत की कर्ज नीति ज्यादा फ्लेजिबल है, जिसमें ब्याज भी न्यूनतम रहता है. नेबरहुड फर्स्ट के तहत भारत लगभग सभी पड़ोसियों के साथ ऐसा करता रहा. कर्ज देने के साथ ही चीन स्थानीय मामलों में घुसपैठ करने लगता है, जैसा नेपाल से लेकर श्रीलंका और पाकिस्तान में भी दिखता रहा. वहीं, भारत इससे दूर ही रहता है. इसके अलावा चीन ज्यादातर इंफ्रास्ट्रक्चर पर पैसे देने की बात करता है, जबकि भारत आमतौर पर कर्ज देने वाले देश पर ये फैसला छोड़ता रहा. 

Live TV

Advertisement
Advertisement