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मालदीव में क्या कर रही है भारतीय सेना, जिसे हटाना चाहते हैं मुइज्जू... चीन से क्या है कनेक्शन

मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिक को उनके देश से हट जाने को कहा है. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भी 'इंडिया आउट' का नारा दिया था. लेकिन मुइज्जू मालदीव से भारतीय सेना को हटाना क्यों चाहते हैं? और वहां भारतीय सेना कर क्या रही है?

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मालदीव्स में सालों से भारतीय सैनिक तैनात हैं. (फाइल फोटो)
मालदीव्स में सालों से भारतीय सैनिक तैनात हैं. (फाइल फोटो)

मालदीव में जब से मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत के साथ रिश्तों में तल्खी आ रही है. मुइज्जू कई मौकों पर भारत विरोधी बयान दे चुके हैं. अब उन्होंने एक बार फिर से दोहराते हुए कहा है कि भारत के हर सैनिक को मालदीव से चले जाना चाहिए.

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राष्ट्रपति चुने गए मुइज्जू 17 नवंबर को शपथ लेंगे. उन्होंने कहा है कि जिस दिन वो पद संभालेंगे, उसी दिन से मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाना शुरू कर देंगे.

मुइज्जू ने अपना चुनाव 'इंडिया आउट' कैंपेन पर लड़ा था. मुइज्जू को 53% वोट मिले थे. जबकि, मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट हासिल हुए थे.

अब एक बार फिर मुइज्जू ने इस बात को दोहराया है. उन्होंने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, 'हमें मालदीव की जमीन पर कोई भी विदेशी सैनिक नहीं चाहिए. मैंने मालदीव के लोगों से वादा किया था और मैं पहले दिन से ही अपने वादे को पूरा करूंगा.'

पर ऐसा क्यों चाहते हैं मुइज्जू?

चुनाव जीतने के बाद पहली रैली में मुइज्जू ने कहा था, 'मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रता सबसे ज्यादा मायने रखती है. लोग नहीं चाहते कि भारतीय सैनिक मालदीव में रहें. वो हमारी भावनाओं और इच्छा के खिलाफ यहां नहीं रह सकते.'

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मुइज्जू का कहना है कि हम विदेशी सैनिकों को मालदीव के कानून के मुताबिक वापस भेजेंगे. उन्होंने रैली में कहा था कि मालदीव के लोगों ने उन्हें वापस भेजने का फैसला लिया है.

मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है. हालांकि, वो खुद को किसी देश का समर्थक बताते नहीं हैं. 'चीन समर्थक' सवाल पर मुइज्जू ने कहा था, 'मेरी सबसे पहली प्राथमिकता मालदीव और उसकी स्थिति है. हम मालदीव समर्थक हैं. कोई भी देश जो हमारी प्रो-मालदीव नीति का सम्मान करता है और उसका पालन करता है, वो मालदीव का करीबी दोस्त माना जा सकता है.'

वहीं, इससे पहले तक मालदीव में भारत समर्थित सरकार थी. इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार में मालदीव और भारत के रिश्ते मजबूत हुए.

चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू की पार्टी ने सोलिह पर गुपचुप तरीके से भारत से डील करने का आरोप लगाया था, जिस कारण मालदीव में भारतीय सैनिक तैनात हैं.

मोहम्मद मुइज्जू.

वहां कर क्या रही है भारतीय सेना?

भारत ने मालदीव को 2010 और फिर 2013 में दो हेलिकॉप्टर दिए थे. इसके बाद 2020 में एक छोटा विमान भी तोहफे में दिया था. भारत ने ये दो हेलिकॉप्टर और एक डॉर्नियर एयरक्राफ्ट इसलिए दिया था, ताकि मालदीव को मेडिकल इवैक्युएशन और समंदर की निगरानी में मदद मिल सके.

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इन विमानों के रखरखाव के लिए कई सारे टेक्नीशियंस और पायलट मालदीव में हैं. बताया जाता है कि 2013 से ही यहां के लामू और अद्दू द्वीप पर भारतीय सैनिक तैनात हैं.

इसके अलावा भारतीय नौसैनिक भी मालदीव में तैनात हैं. पूरे मालदीव में भारतीय नौसेना ने 10 कोस्टल सर्विलांस रडार इंस्टॉल कर रखे हैं.

मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के प्रमुख जनरल अब्दुल्लाह शमाल और रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने संसदीय समिति के सामने बताया था कि मालदीव में 75 भारतीय सैनिक तैनात हैं.

पीएम मोदी और मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह. (फाइल फोटो)

भारत और चीन के लिए क्यों जरूरी मालदीव?

मुइज्जू का राष्ट्रपति चुनाव जीतना भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. मुइज्जू को चीन का समर्थक और भारत का विरोधी माना जाता है. 

दरअसल, मालदीव हिंद महासागर में है और इस वजह से वो भारत और चीन, दोनों के ही लिए इसकी स्ट्रैटजिक अहमियत है. मालदीव में 1100 से ज्यादा छोटे-बड़े द्वीप हैं, जो हिंद महासागर में दक्षिण से पश्चिम तक फैले हुए हैं. इनमें से 16 द्वीप को चीन लीज पर ले चुका है.

मुइज्जू असल में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन के प्रतिनिधि थे. यामीन भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं और इस कारण वो चुनाव नहीं लड़ सकते थे. 

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यामीन 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे हैं. उनकी सरकार में मालदीव, चीन के करीब चला गया था. उन्हीं की सरकार में मालदीव, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से जुड़ा था. इतना ही नहीं, मालदीव में ब्रिज और एयरपोर्ट बनाने के लिए चीन ने अरबों डॉलर का कर्जा भी दिया था.

2018 में चुनाव प्रचार के दौरान यामीन ने भारतीय सैनिकों का वीजा रद्द करने और हेलिकॉप्टर-विमान वापस भेजने की धमकी दी थी. 

2018 में जब इब्राहिम सोलिह सत्ता में आए तो भारत से करीबियां बढ़ीं. चीन का दबदबा कम करने के लिए पिछले साल भारत ने मालदीव को 500 मिलियन डॉलर देने का वादा किया था. हालांकि, बताया जाता है कि अब तक इसमें से सिर्फ 17 मिलियन डॉलर ही मिले हैं.

हालांकि, अब जब वहां मुइज्जू राष्ट्रपति बन गए हैं, तो ऐसे में मालदीव और भारत के रिश्ते एक बार फिर तल्ख हो सकते हैं. वहीं, चीन से उसकी करीबी बढ़ सकती है.

ऑपरेशन कैक्टस दो दिन तक चला था. (फाइल फोटो)

जब मालदीव में भारत ने भेजी थी सेना

तीन नवंबर 1988 को मालदीव में विद्रोह हो गया. श्रीलंका से आए उग्रवादियों ने मालदीव में तख्तापलट की कोशिश की. तीन तारीख को ही मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मामून अब्दुल गय्युम भारत आने वाले थे, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यक्रम के चलते ये दौरा टल गया.

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श्रीलंका से आए ये उग्रवादी गय्युम का तख्तापलट करने वाले थे. इस पूरे तख्तापलट की साजिश श्रीलंका में कारोबार करने वाले मालदीव के कारोबारी अब्दुल्लाह लथुफी ने रची थी.

हथियारबंद उग्रवादियों ने धीरे-धीरे मालदीव की सरकारी इमारतों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. मालदीव ने भारत से मदद मांगी. 

चार घंटे में ही आगरा से भारतीय सेना ने मालदीव के लिए उड़ान भर दी. कोच्चि से भी वायुसेना मालदीव पहुंचने लगी. भारतीय सेना के मालदीव में आने से उग्रवादी हैरत में पड़ गए. भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ दिया. 

उग्रवादियों ने एक जहाज को अगवा कर लिया. अमेरिकी नौसेना ने इसे इंटरसेप्ट किया और भारतीय सेना को इसकी जानकारी दी. बाद में भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो इस जहाज पर उतरे. इस कार्रवाई में 19 लोग मारे गए. आखिरकार जहाज को उग्रवादियों के कब्जे से छुड़ा लिया गया. दो दिन तक चले इस पूरे अभियान को 'ऑपरेशन कैक्टस' नाम दिया गया था.

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