scorecardresearch
 

मराठी मानुष के हाथ है सत्ता-सीट-संसाधन की चाबी... जानिए मराठा आरक्षण आंदोलन की पूरी कहानी

महाराष्ट्र में कई दिनों से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है. अब ये आंदोलन हिंसक हो चला है. सोमवार को कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं. इस बीच मराठाओं के आरक्षण के लिए शिंदे सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है. आखिर क्या है मराठा आरक्षण आंदोलन की पूरी कहानी? समझिए...

Advertisement
X
महाराष्ट्र में कई महीनों से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है. (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र में कई महीनों से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है. (फाइल फोटो)

Maratha Quota: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन अब हिंसा में बदलने लगा है. प्रदर्शनकारी सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों को भी निशाना बनाया. इसके बाद पुणे से बीड़ और लातूर जाने वाली बसों को फिलहाल रोक दिया गया है. 

Advertisement

इतना ही नहीं, आंदोलनकारियों ने बीड़ जिले के माजलगांव में अजित पवार गुट के एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके का बंगला भी फूंक दिया. इससे बंगले में खड़ीं आठ से दस गाडियां भी जलकर खाक हो गईं. 

वहीं, मराठा आरक्षण की मांग पर भूख हड़ताल पर बैठे एक्टिविस्ट मनोज जरांगे ने सोमवार को कहा कि मराठाओं को पूरे महाराष्ट्र में आरक्षण चाहिए, न कि कुछ क्षेत्र में. जरांगे 25 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर हैं. 

अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बाद डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग की है.

आखिर मराठा कौन हैं?

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन कर रहे मनोज जरांजे का कहना है कि मराठा और कुनबी एक ही हैं. 

Advertisement

संभाजी ब्रिगेड से जुड़े प्रवीण गायकवाड़ ने बताया था, 'मराठा कोई जाति नहीं है. राष्ट्रगान में मराठा को भौगोलिक इकाई के तौर पर बताया गया है. जो लोग महाराष्ट्र में रहते हैं, वो मराठा हैं.'

गायकवाड़ के मुताबिक, 'जाति तो व्यवसाय के आधार पर तय की गई है. कुनबी तो बारिश पर निर्भर सीमांत किसान थे. उनमें से जो लोग खेती-बाड़ी का काम निपटाने के बाद एक क्षत्रिय की भांति योद्धा की भूमिका निभाते थे, उन्हें मराठा कहा गया. और धीरे-धीरे वो सेनापति जैसे बड़े ओहदों पर पहुंच गए.'

1 जून 2004 को रिटायर जस्टिस एसएन खत्री की अध्यक्षता वाले राज्य पिछड़ा आयोग ने मराठा-कुनबियों और कुनबी-मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दी थी.

मराठाओं की मांगें क्या हैं?

मराठाओं में जमींदारों और किसानों के अलावा अन्य लोग भी शामिल हैं. अनुमान है कि महाराष्ट्र में मराठाओं की आबादी 33 फीसदी के आसपास है. ज्यादातर मराठा मराठी भाषी होते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि हर मराठी भाषा मराठा हो.

मराठा आरक्षण को लेकर जो अभी आंदोलन चल रहा है, उसकी शुरुआत 1 सितंबर से हुई है. ये लोग मराठाओं के लिए ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं. 

इनका दावा है कि सितंबर 1948 तक निजाम का शासन खत्म होने तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और ये ओबीसी थे. इसलिए अब फिर इन्हें कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और ओबीसी में शामिल किया जाए.

Advertisement

कुनबी, खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है. इसे महाराष्ट्र में ओबीसी में शामिल किया गया है. कुनबी जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है. अनशन पर बैठे मनोज जरांगे का कहना है कि जब तक मराठियों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

मराठा आरक्षण की आग...

महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं. साल 1982 में मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार बड़ा आंदोलन हुआ था.

1982 में मठाड़ी नेता अन्नासाहेब पाटिल ने आर्थिक स्थिति के आधार पर मराठाओं को आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था. सरकार ने उनकी मांग को नजरअंदाज किया तो उन्होंने खुदकुशी कर ली थी.

साल 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठाओं को 16% आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लेकर आए थे. लेकिन 2014 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार चुनाव हार गई और बीजेपी-शिवसेना की सरकार में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने. हालांकि, नवंबर 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस अध्यादेश पर रोक लगा दी.

फडणवीस की सरकार में मराठा आरक्षण को लेकर एमजी गायकवाड़ की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग बना. इसकी सिफारिश के आधार पर फडणवीस सरकार ने सोशल एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लास एक्ट के विशेष प्रावधानों के तहत मराठाओं को आरक्षण दिया. 

Advertisement

फडणवीस सरकार में मराठाओं को 16% का आरक्षण मिला. लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे कम करते हुए सरकारी नौकरियों में 13% और शैक्षणिक संस्थानों में 12% कर दिया. 

मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को तोड़ा नहीं जा सकता. 

सियासत में कितने ताकतवर हैं मराठा?

महाराष्ट्र की सियासत में मराठाओं का अच्छा-खासा दखल है. 1950 से 1980 के दशक तक मराठाओं की पसंद कांग्रेस हुआ करती थी. लेकिन बाद में इनका राजनीतिक रुख बदलता गया. 

कांग्रेस के बाद मराठा एनसीपी की ओर चले गए. बाद में शिवसेना और फिर बीजेपी की तरफ इनका रुझान बढ़ गया. अनुमान है कि अब बीजेपी को मराठा-कुनबी समुदाय से अच्छे-खासे वोट मिलते हैं.

मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि महाराष्ट्र में मराठा सामाजिक और राजनीतिक रूप से काफी सक्षम हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र के 40 फीसदी से ज्यादा विधायक और सांसद मराठा समुदाय से होते हैं.

एक स्टडी के मुताबिक, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में लगभग 45 फीसदी सीटें मिलती रहीं हैं. 1980 का दशक छोड़ दिया तो कभी भी महाराष्ट्र की कैबिनेट में कभी भी हिस्सेदारी कभी भी 52 फीसदी से कम नहीं हुई है. 

Advertisement

इतना ही नहीं, 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से अब तक 20 मुख्यमंत्री बने हैं, जिनमें 12 मराठा समुदाय से ही रहे हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी मराठा हैं.

मराठाओं की पसंद रही है बीजेपी-शिवसेना!

महाराष्ट्र में मराठाओं की पसंद बीजेपी और शिवसेना रही है. चुनाव बाद हुए सर्वे बताते हैं कि मराठाओं के सबसे ज्यादा बीजेपी और शिवसेना को मिलते रहे हैं.

2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 24% और शिवसेना को 30% वोट मराठाओं के मिले थे. इससे पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 52% वोट मराठाओं के हासिल हुए थे.

वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना को 39% और बीजेपी को 20% वोट मराठाओं के मिले थे. इसी तरह, उस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को 57% वोट मराठाओं ने दिया था.

बीते दो लोकसभा और दो लोकसभा चुनाव का ट्रेंड बताता है कि महाराष्ट्र में सत्ता की चाबी मराठा वोटों के हाथ में है. 

शिंदे सरकार क्या कर रही?

मराठा आरक्षण को लेकर हो रहे आंदोलन पर शिंदे सरकार फंसती नजर आ रही है. ठाकरे गुट की शिवसेना ने इस मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. 

वहीं, शिंदे गुट से जुड़े शिवसेना सांसद हेमंत पाटिल ने लोकसभा सचिवालय को और हेमंत गोडसे ने एकनाथ शिंदे को इस्तीफा सौंप दिया है.

Advertisement

इस बीच सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि 11,530 रिकॉर्ड में कुनबी जाति का जिक्र है और मंगलवार से नए जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे. उन्होंने ये भी बताया कि इस मुद्दे पर गठित रिटायर्ड जस्टिस संदीप शिंदे कमेटी मंगलवार को अपनी रिपोर्ट देगी, जिस पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी.

इतना ही नहीं, आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बीच सोमवार शाम को मुख्यमंत्री शिंदे ने राजभवन में राज्यपाल रमेश बैंस से मुलाकात की. दोनों के बीच करीब 45 मिनट तक बातचीत हुई. हालांकि, सीएम ऑफिस ने इस मुलाकात को रूटिन प्रोसिजर बताया है.

पर फंस सकता है ये पेंच भी

मराठाओं को अगर सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में अगर आरक्षण मिल भी जाता है तो इससे समस्या खत्म होने की बजाय और बढ़ सकती है.

दरअसल, मराठाओं को ये आरक्षण ओबीसी कोटे के अंदर ही मिलेगा. ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलता है. और इसी के अंदर मराठाओं को आरक्षण देने की बात कही जा रही है. ऐसे में ओबीसी समुदाय को ये डर है कि मराठा उनके आरक्षण को हड़प लेंगे. 

Live TV

Advertisement
Advertisement