कानूनन किसी भी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है, इसके बावजूद दिल्लीवाले शादियों का रजिस्ट्रेशन करवाने से बचते हैं. इस बात की जानकारी दिल्ली सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के आंकड़ों से सामने आई है. इसके मुताबिक, 1 अक्टूबर 2019 से 31 अगस्त 2022 तक दिल्ली में 57 हजार से भी कम शादियां ही रजिस्टर्ड हुईं हैं.
अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में दिल्लीवाले शादी का रजिस्ट्रेशन तब तक नहीं करवाते, जब तक उन्हें वीजा या दूसरे किसी काम के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ती.
राजधानी दिल्ली शादियों का बड़ा हब है. यहां अक्टूबर से मार्च तक शादियों के मौसम में हर दिन हजारों शादियां होतीं हैं. जबकि, कुछ शुभ दिनों में तो ये आंकड़ा 20 हजार के पार चला जाता है. एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में हर साल 5 लाख शादियां होतीं हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 57 हजार से भी कम शादियां ही रजिस्टर्ड होतीं हैं. इस हिसाब से हर 10 में से सिर्फ एक शादी ही रजिस्टर्ड होती है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
रेवेन्यू डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के 11 जिलों से 62 हजार 811 आवेदन आए थे, जिनमें से 56 हजार 918 का रजिस्ट्रेशन किया गया. ये आंकड़ा 1 अक्टूबर 2019 से 31 अगस्त 2022 तक का है.
साउथवेस्ट जिले में सबसे ज्यादा 9 हजार 122 शादियों का रजिस्ट्रेशन हुआ. इसके बाद 8 हजार 157 शादियां शाहदरा में, 6 हजार 712 नॉर्थवेस्ट में, 6 हजार 299 साउथ में और 6 हजार 279 वेस्ट जिले में रजिस्टर्ड हुईं.
नॉर्थईस्ट जिले में सबसे कम शादियां रजिस्टर्ड हुईं. इस दौरान नॉर्थईस्ट जिले से 1 हजार 58 आवेदन आए थे, जिनमें से 918 शादियों का रजिस्ट्रेशन किया गया.
सेंट्रल जिले में 3 हजार 616, नई दिल्ली में 3 हजार 437, नॉर्थ में 4 हजार 465 और साउथईस्ट में 3 हजार 925 शादियों का रजिस्ट्रेशन हुआ.
इंटर-रिलीजन शादियां बढ़ रहीं?
रेवेन्यू डिपार्टमेंट का डेटा इस ओर भी इशारा करता है कि दिल्ली में इंटर-रिलीजन शादियां बढ़ रहीं हैं. यानी दो अलग-अलग धर्मों के लोगों में शादी.
रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2018 के बीच दिल्ली में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 873 शादियां रजिस्टर्ड हुई थीं. वहीं, 1 जनवरी 2019 से 30 सितंबर 2019 के बीच इस एक्ट के तहत 461 शादियां रजिस्टर्ड हुई थीं.
जबकि, 1 अक्टूबर 2019 से 31 अगस्त 2022 के बीच स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 1 हजार 730 शादियों का रजिस्ट्रेशन हुआ था. यानी, हर महीने 48 से ज्यादा शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हुई थी.
वहीं, 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2018 के बीच हर महीने औसतन 24 शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हुई थी.
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 में लागू हुआ था. इसके तहत दो अलग-अलग धर्मों के वयस्क लोगों को शादी करने का अधिकार है. स्पेशल मैरिज एक्ट सभी पर लागू होता है. इसके तहत शादी रजिस्टर्ड कराने के लिए धर्म बदलने की जरूरत नहीं होती.
जबकि, हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी तभी रजिस्टर्ड होती है जब दूल्हा और दुल्हन, दोनों ही हिंदू धर्म को मानने वाले हों. वहीं, आनंद एक्ट के तहत सिख धर्म की शादियां रजिस्टर्ड होतीं हैं.
पर शादियां रजिस्टर्ड क्यों नहीं करवाते लोग?
न्यूज एजेंसी के मुताबिक अधिकारियों का कहना है कि लोग शादियों का रजिस्ट्रेशन इसलिए नहीं करवाते, क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है, लेकिन ये सभी लोगों की पसंद पर निर्भर करता है.
अधिकारियों ने बताया कि अगर कोई विदेश यात्रा पर जा रहा है, तो उसे वीजा अप्लाई करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है. इसी वजह से बहुत से लोग मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाते हैं.
नॉर्थईस्ट जिले में सबसे कम रजिस्ट्रेशन है. यहां के एक अधिकारी ने बताया कि कम साक्षरता दर, जागरूकता में कमी और सोशल-इकोनॉमिक प्रोफाइल की वजह से बाकी जिलों की तुलना में यहां रजिस्ट्रेशन काफी कम है. उन्होंने बताया कि इस जिले में ज्यादातर लोग या तो प्रवासी मजदूर हैं या दिहाड़ी मजदूर.
मैरिज रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी?
मैरिज रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट एक अहम दस्तावेज होता है. ये शादी का अहम सबूत भी होता है. इस सर्टिफिकेट से शादीशुदा महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिलती है.
इतना ही नहीं, पति या पत्नी के लिए वीजा भी इसी सर्टिफिकेट की मदद से मिलता है. इसके अलावा अगर पति या पत्नी की मौत हो जाती है और वो अपना कोई नॉमिनी तय नहीं करके जाता है, तो सर्टिफिकेट के जरिए लाइफ इंश्योरेंस और बैंक में जमा धनराशि निकालने में मदद मिलती है.
कैसे करवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन?
भारत में शादियों और तलाक से जुड़े मामले अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ के हिसाब से चलते हैं. जैसे- हिंदू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ.
अगर पति और पत्नी, दोनों ही हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं तो उनकी शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होती है. अगर पति और पत्नी, दोनों के अलग-अलग धर्म हैं तो उनकी शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होती है. दिल्ली में सिखों की शादी आनंद एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होती है.
कोई भी शादी तभी रजिस्टर्ड होती है, जब पति की उम्र 21 साल और पत्नी की उम्र 18 साल से ज्यादा है. शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए पति या पत्नी, दोनों में से किसी एक का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
शादी रजिस्टर करवाने के लिए पति-पत्नी, दोनों के पासपोर्ट फोटो, आईडी कार्ड और शादी की फोटो देनी होती है. शादी का इन्विटेशन कार्ड भी दिया जा सकता है. अगर शादी किसी धार्मिक स्थल पर हुई है, तो वहां के पुजारी से मिला सर्टिफिकेट देना होता है.
अगर पति या पत्नी में से कोई एक तलाकशुदा है तो डिवोर्स सर्टिफिकेट लगता है. अगर दूसरी शादी है और पहले पति या पत्नी की मौत हो चुकी है तो डेथ सर्टिफिकेट देना होगा.
दिल्ली में शादी रजिस्टर करवाने के लिए फीस भी देनी होती है. अगर शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर करवानी है तो 100 रुपये जमा कराना होता है. वहीं, स्पेशल मैरिज एक्ट में 150 रुपये फीस लगती है.
सारी प्रक्रिया पूरी होने के 15 दिन से 60 दिन बाद तक सर्टिफिकेट मिल जाता है. हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी रजिस्टर करवाने पर 15 दिन और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर करवाने पर 60 दिन में सर्टिफिकेट जारी हो जाता है.