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भारत में मैटरनिटी लीव 9 महीने करने की क्यों छिड़ी चर्चा... जानें क्या हैं नियम-कानून?

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कुछ हफ्तों पहले बोला था कि भारत में कंपनियों को महिलाओं की मैटरनिटी लीव 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करने के बारे में सोचना चाहिए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत में मैटरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 9 महीने तक करने तक की मांग उठी है. ये मांग नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने की है. 

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उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि कंपनियों को मैटरनिटी लीव को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करने के बारे में सोचना चाहिए. एक कार्यक्रम में वीके पॉल ने कहा, सरकारी और निजी, दोनों सेक्टर्स को साथ बैठकर इस पर सोचना चाहिए कि क्या मैटरनिटी लीव को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने किया जा सकता है. 

अगर मैटरनिटी लीव को बढ़ाया जाता है तो इससे भारत में लाखों कामकाजी महिलाओं को फायदा होगा. अभी भारत में 26 हफ्ते यानी 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है. मैटरनिटी लीव पर महिलाओं को पूरी सैलरी मिलती है.

भारत में क्या है कानून?

2017 से पहले भारत में कामकाजी महिलाओं को 12 हफ्ते यानी तीन महीने की ही मैटरनिटी लीव मिलती थी. लेकिन अक्सर तीन महीने की छुट्टी के बाद महिलाओं का काम पर वापस लौटना मुश्किल होता था और वो छुट्टी बढ़ा लेती थीं.

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लिहाजा 2017 में केंद्र सरकार ने मैटरनिटी बेनिफिट कानून में संशोधन कर दिया. इसके बाद मैटरनिटी लीव 12 हफ्ते से बढ़कर 26 हफ्ते तक हो गई. 

कानूनन, पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है. तीसरे या इससे ज्यादा बच्चे होने पर 12 हफ्ते की ही छुट्टी का प्रावधान है. मैटरनिटी लीव में कामकाजी महिलाओं को उनकी पूरी सैलरी मिलती है. 

इसके अलावा, कानून ये भी कहता है कि तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वालीं या सेरोगेट मदर्स को भी 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव दी जाएगी. 

मैटरनिटी लीव का असर

वैसे तो भारत की आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन कामकाजी महिलाओं की आबादी की भी आधी है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत में कामकाजी महिलाओं की आबादी 27 फीसदी है. 

मैटरनिटी लीव की वजह से भी कामकाजी महिलाओं पर असर पड़ता है. 2018 में एक निजी संस्था टीमलीज ने 300 कंपनियों के कर्मचारियों पर सर्वे किया था. 

इस सर्वे में सामने आया था कि मैटरनिटी लीव की वजह से 11 से 18 लाख महिला कर्मचारियों की छुट्टी हो सकती है.

दुनियाभर में क्या है मैटरनिटी लीव का प्रावधान?

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे लंबे समय तक मैटरनिटी लीव क्रोएशिया में मिलती है. यहां कामकाजी महिलाओं को 58 हफ्ते की छुट्टी मिलती है. वहीं, नॉर्वे में 56 और स्वीडन में 55 हफ्तों की मैटरनिटी लीव मिलती है.
 
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, मोंटेनेगरो, बोसनिया, अल्बानिया और जर्मनी में महिलाओं को 52 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है.

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अमेरिका ऐसा देश है जहां मैटरनिटी लीव को लेकर कोई पॉलिसी नहीं है. यहां के कुछ राज्यों में महिलाओं को 12 हफ्तों की मैटरनिटी लीव मिलती है, लेकिन वो अनपैड होती है. यानी, इस दौरान कामकाजी महिलाओं को सैलरी नहीं दी जाती.

संयुक्त अरब अमीरात में महिलाओं को सिर्फ 6 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है. नेपाल, ओमान, कतर और लेबनान में भी महज 7 हफ्तों की ही मैटरिनिटी लीव का प्रावधान है.

पैटरनिटी लीव पर क्या है नियम?

मैटरनिटी लीव की तरह भारत में पैटरनिटी लीव को लेकर कोई कानून नहीं है. केंद्रीय कर्मचारियों को 15 दिन की पैटरनिटी लीव मिलती है. 

हालांकि, प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों के लिए कोई तय नियम नहीं हैं. कंपनियां चाहें तो पैटरनिटी लीव के लिए मना भी कर सकतीं हैं. 

दिल्ली, गुजरात, मेघालय, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भी पुरुष कर्मचारियों को दो हफ्ते की पैटरनिटी लीव दी जाती है.

 

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