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मारा गया लश्कर से जुड़ा A++ श्रेणी वाला आतंकी, क्या हैं इसके मायने, कैसे किसी व्यक्ति या गुट को माना जाता है टैररिस्ट?

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने आतंकी संगठन TRF के प्रमुख बासित अहमद डार को मार गिराया. ये बड़ी कामयाबी मानी जा रही है क्योंकि डार आतंकियों की A श्रेणी में था. ये वो कैटेगरी है, जिसमें मोस्ट वॉन्टेड टैररिस्ट रखे जाते हैं. टारगेट किलिंग के लगभग 18 मामलों में उसकी तलाश की जा रही थी.

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कश्मीर में सोमवार को एक मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मारा गया. (Photo- AFP)
कश्मीर में सोमवार को एक मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मारा गया. (Photo- AFP)

मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स समय-समय पर आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों की लिस्ट को अपडेट करता रहता है. इसमें कई श्रेणियां भी होती हैं. A++ कैटेगरी में वो आतंकी होते हैं, जिनसे देश-जनता को बड़ा खतरा हो सकता है. इन्हें पकड़ने का सुराग देने वालों के लिए इनाम भी तय रहता है. सोमवार को कश्मीर के कुलगाम में ऐसा ही एक आतंकी बासित अहमद डार मारा गया. डार ने कश्मीरी पंडियों समेत कई प्रवासियों की टारगेट किलिंग को अंजाम दिया था. 

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क्या है पूरा मामला

सुरक्षाबलों ने घाटी में चुनाव से पहले लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर और कश्मीर में आतंकी संगठन TRF के प्रमुख बासित अहमद डार समेत तीन आतंकवादियों को मार गिराया. डार के नेतृत्व में ही TRF ने पिछले 5 सालों के दौरान कई हमले किए, जिनमें दर्जनों लोगों की हत्या कर दी गई. आतंकी सुरक्षाबलों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में था. 18 मामलों में उसकी तलाश थी, और 10 लाख का इनाम घोषित था. उसे आतंकियों की A++ श्रेणी में डाला गया था.

कैसे कोई आतंकवादी घोषित होता है 

जब भी कोई व्यक्ति या संस्था ऐसे काम करती है, जिससे देश की एकता या सुरक्षा में सेंध लगे, तो उसे आतंकी माना जाता है. इसके लिए गृह मंत्रालय अपने ऑफिशियल गजेट में एक नोटिफिकेशन जारी करता है. अपराध बड़ा होने पर ये नोटिफिकेशन दूसरे देशों तक भी पहुंचता है. 

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militant commander basit ahmad dar killed jammu kashmir terrorism categories photo PTI

किस तरह की श्रेणियां

आतंकी करार दिए जाने के साथ ही ये तय हो जाता है कि वो किस श्रेणी में रखा जाएगा. जैसे पब्लिक सेफ्टी और नेशनल सेफ्टी सबसे ऊपर है. अगर कोई लोगों को या देश को नुकसान पहुंचाने की साजिश रच चुका हो तो उसे A++ श्रेणी में रखा जाता है. ये मोस्ट वॉन्टेड लोग होते हैं, जिनकी धरपकड़ के लिए देश में कई अभियान चल चुके होते हैं. इसके बाद A+, A और B श्रेणियां आती हैं, जो जुर्म के अनुसार कम होती चली जाती हैं. द इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में इसका जिक्र है. 

कश्मीर में कई आतंकियों को A++ में रखा गया. इसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और अंसार गजवात उल-हिंद के कई आतंकवादी शामिल हैं. इसके अलावा भी वे लोग शामिल हैं, जिनपर बीते समय में देश में बम ब्लास्ट या दंगा भड़काने की साजिश का हिस्सा होने जैसे आरोप रहे. हिजबुल मुजाहिदीन का वांटेड आतंकी जावेद अहमद मट्टू भी इसी कैटेगरी का था, जो साल की शुरुआत में गिरफ्तार हो चुका. 

इनके तहत चलता है मामला

इन आतंकियों पर यूएपीए या पीएसए के तहत मामला दर्ज होता है. होम मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर अलग से किसी श्रेणी का जिक्र नहीं, लेकिन उन आतंकियों के नाम जरूर है, जिनपर यूएपीए लगा हुआ है, यानी जो बेहद खतरनाक माने जाते हैं. खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्नू का नाम भी लिस्ट में है. साथ ही काफी सारे कश्मीरी अलगाववादी भी हैं, जो घाटी में अस्थिरता फैलाते रहे.

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हो सकता है कि A या इस तरह की श्रेणियां क्लासिफाइड जानकारी हों, जो पब्लिक डोमेन में नहीं. आमतौर पर आतंकी पर कोई बयान देते हुए सीनियर अधिकारी ऐसी टर्म्स का उपयोग करते हैं. 

militant commander basit ahmad dar killed jammu kashmir terrorism categories
बासित अहमद डार पर 18 मामले दर्ज थे. 

क्या है यूएपीए कानून

अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी यूएपीए के तहत आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने का काम होता है. ये काम राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA करती है. ये खासकर उन अपराधों पर फोकस करती है, जो IPC के दायरे से बाहर हैं, जैसे देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना.

क्या है पब्लिक सेफ्टी एक्ट

पीएसए यानी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत किसी को भी दो साल के लिए बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रखने की अनुमति देता है. नब्बे के दशक में कश्मीर में हिंसा बढ़ने के साथ ये एक्ट ज्यादा काम आया. तब सुरक्षाबलों को ये ताकत मिली कि वे संदेह के आधार पर भी लोगों को पकड़ सकें. इसमें आतंकवादी और अलगाववादी दोनों ही शामिल हैं. लेकिन बाद में दोनों को अलग-अलग कर दिया जाता है. 

militant commander basit ahmad dar killed jammu kashmir terrorism categories photo AFP

लोगों और संगठनों की अलग लिस्ट

फिलहाल मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स में दो श्रेणियां हैं. एक में आतंकवादी रखे गए हैं, जिनपर यूीएपीए लगा हुआ है. दूसरे में ऐसी संस्थाएं हैं जो देश या पब्लिक सेफ्टी के खिलाफ साजिश करती रहीं. इनडिविजुअल टैररिस्ट्स में 50 से ज्यादा नाम हैं. इनमें अधिकतर वे आतंकवादी हैं, जो पाकिस्तान की ताकतों के साथ मिलकर कश्मीर में अस्थिरता लाने की फिराक में रहते हैं. साथ ही खालिस्तानी अलगाववादी गुटों से जुड़े लोग या लीडर भी हैं. इन नामों को क्लिक करने पर भारत के राजपत्र पर इनके बारे में सारी जानकारी मिलती है. 

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गृह मंत्रालय एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर तय करता है कि कौन से गुट आतंकी की श्रेणी में आएंगे, और कौन बाहर रहेंगे. कई गुट अलग विचारधारा के होते हैं, लेकिन अगर वे कत्लेआम न मचाएं, या पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान न करें, या फिर देश को तोड़ने की साजिश न करें, तो टैरर ग्रुप में आने से बचे रहते हैं.

एक श्रेणी और है- फॉरेन टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (FTO). इसमें वो विदेशी गुट रखे जाते हैं, जो देश की सरहदों में अस्थिरता लाते रहे हों. या फिर देश में अलगाववादी ताकतों को फंड या कोई दूसरी मदद दे रहे हों. वैसे ये कैटेगरी अमेरिका में है. हमारे यहां आतंकवादी संगठनों में ही ये भी शामिल हैं. 

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