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70 साल के मोहम्मद हसनैन अपने 31 साल के बेटे इशाक अमीर के साथ पाकिस्तान पहुंच गए हैं. दोनों ने भारत में धार्मिक अत्याचार का आरोप लगाया है. दोनों अवैध तरीके से पाकिस्तान में घुसे और अब कह रहे हैं कि चाहे तो गोली मार दो लेकिन भारत नहीं जाएंगे.
हसनैन ने आरोप लगाया है कि भारत में जीना मुश्किल हो गया है. तंग किया जाता है. मजहब के हवाले से, जुबान के हवाले से या तहजीब के हवाले से. मॉब लिंचिंग होती है. इसलिए भारत छोड़ने का फैसला लिया.
हसनैन और इशाक पहले 5 सितंबर को फ्लाइट से अबुधाबी पहुंचे. फिर काबुल गए. और बाद में पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर से पाकिस्तान में घुस गए. दोनों ने बलूचिस्तान के चमन प्रांत में एंट्री की थी. फिलहाल दोनों को कराची के आश्रय गृह में रखा गया है.
लेकिन हसनैन और इशाक ऐसे अकेले नहीं हैं, जो पाकिस्तान जाने के लिए उतावले थे. वहां की हालत खराब होने के बावजूद कई ऐसे भारतीय हैं जो हर साल पाकिस्तान की नागरिकता ले रहे हैं.
कितने भारतीय बन रहे पाकिस्तानी?
भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. संसद में सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 से 2022 के बीच पांच साल में साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी.
भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 2022 में 2.52 लाख तो 2021 में 1.63 लाख रही थी. इस साल जून तक ही 87 हजार से ज्यादा भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी है.
नागरिकता छोड़ने वाले कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पाकिस्तान के नागरिक बन गए हैं. साल 2021 में 41 भारतीयों ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी. 2022 में 13 ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली. जबकि, इस साल जून तक 8 भारतीय पाकिस्तानी बन गए हैं.
पाकिस्तानी क्यों बन रहे भारतीय?
इसकी एक बड़ी वजह शादी है. पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया ने इस साल सरकारी दस्तावेजों के हवाले से बताया था कि ज्यादातर भारतीय शादी और पारिवारिक संबंध की वजह से पाकिस्तान की नागरिकता मांगते हैं.
इसका एक सबसे मजबूत उदाहरण पद्मिनी राठौड़ का है. पद्मिनी राठौड़ का ताल्लुक राजस्थान के कनोटा के शाही परिवार से रहा है. उन्होंने 2015 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित अमरकोट शाही परिवार के कुंवर कर्णी सिंह सोढ़ा से शादी की थी.
जयपुर के एक बड़े होटल में दोनों की शादी हुई थी. पाकिस्तान से भी सैकड़ों मेहमान इस शादी में शामिल हुए थे. उस समय इस शादी को 'सरहदों को जोड़ने वाली शादी' बताया गया था.
शादी के बाद पद्मिनी ने पाकिस्तानी नागरिकता के लिए आवेदन किया था. अभी ये बात पुख्ता नहीं हुई है कि उन्हें पाकिस्तानी नागरिकता मिली या नहीं. हालांकि, उन्होंने पिछले साल एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें अभी नागरिकता नहीं मिली है, जबकि उनके पांच साल के बेटे के पास पाकिस्तानी नागरिकता है.
ये भी जानें- कितने पाकिस्तानी बने भारतीय?
भारत की ओर से पाकिस्तानी नागरिकता के लिए तो कम आवेदन होते हैं, लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारतीय नागरिकता के लिए भरकर आवेदन आते हैं.
पिछले साल इंडिया टुडे की आरटीआई में सामने आया था कि छह साल में भारत ने जिन देशों के नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी है, उनमें से 87 फीसदी पाकिस्तान के लोग थे.
आरटीआई में दिए जवाब में सरकार ने बताया था कि 2017 से 2022 के बीच 5,220 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई. इनमें से 4,552 यानी 87 फीसदी पाकिस्तान के नागरिक थे.