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भूकंप से ठीक पहले मोरक्को में दिखी अजीबोगरीब रोशनी, क्यों इस तबाही को अमेरिकन मिलिट्री लैब से जोड़ा जा रहा है?

कई अमीर देश बारिश पर कंट्रोल करने लगे हैं. लेकिन क्या हो अगर पूरी की पूरी कुदरत ही इंसान के बस में हो जाए! वो चाहे तो दुश्मन देश में भूकंप आए, और वो चाहे तो सुनामी से तबाही मचा दे. ये वेदर वॉरफेयर है. परमाणु हमले से भी ज्यादा खतरनाक. फिलहाल मोरक्कन भूकंप को लेकर अमेरिका पर यही आरोप है.

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अफ्रीकी देश मोरक्को में भूकंप से तबाही मची हुई है. सांकेतिक फोटो (Reuters)
अफ्रीकी देश मोरक्को में भूकंप से तबाही मची हुई है. सांकेतिक फोटो (Reuters)

मोरक्को में आए विनाशकारी भूकंप से मौत का आंकड़ा 3 हजार छू रहा है. आपदा का केंद्र एटलस पहाड़ों के अंदर था. वैसे तो इस अफ्रीकी देश में भूकंप आना नई बात नहीं, लेकिन ऐसी तबाही बीते कई दशकों में नहीं दिखी थी. एक तरफ सरकार लोगों की जान बचाने में लगी है तो दूसरी तरफ कंस्पिरेसी थ्योरी भी जोरों पर है. 

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क्यों हो रहा शक

असल में कुछ रोज पहले एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें तबाही से ठीक पहले आसमान में रहस्यमयी रोशनी दिखती है. इसके साथ ही ये शक जताया जाने लगा कि ये कुदरती आपदा नहीं, बल्कि किसी हाईटेक लैब की कारस्तानी है. बहुत सी अंगुलियां अमेरिका के मिलिट्री प्रोग्राम HAARP की तरफ उठ रही हैं. 

क्या है हार्प? 

ये अलास्का में एक वेधशाला में स्थित अमेरिकी परियोजना है जो रेडियो ट्रांसमीटर की मदद से ऊपरी वातावरण (आयनमंडल) का अध्ययन करती है. साल 2022 में इसके मौसम पर कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए, लेकिन ये कभी नहीं कहा कि इसमें भूकंप ला सकने की क्षमता है. पहले भी कुदरती आपदाओं को लेकर हार्प संदेह के घेरे में रहा. कई देशों में आए भूकंप, सुनामी और भूस्खलन के लिए इस रिसर्च संस्था को दोषी ठहराया गया.

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morocco earthquake lightning conspiracy theory linked to american lab haarp photo Reuters

खुद हार्प क्या कहता है

मिलिट्री लैब की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है कि वो जो रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजता है, वो धरती के किसी भी स्तर पर अवशोषित नहीं हो पाता. ऐसे में इस बात का कोई सवाल ही नहीं कि वो किसी भी तरह से मौसम पर काबू कर सकेगा. वो केवल इसकी स्टडी कर रहा है. इसके बाद भी रह-रहकर उसपर सवाल उठते रहे. 

तुर्की के अर्थक्वेक के बाद भी यही अंदेशा जताया गया

फरवरी में तुर्की और सीरिया भूकंप से दहल उठे थे. मरने वालों की संख्या 23 हजार के पार चली गई. इसी दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें भूकंप से ठीक पहले प्रभावित इलाकों के आसमान में नीली-पीली रोशनी दिख रही थी. भूकंप के दौरान बिजली भी गिरी. कहा जा रहा है कि भूकंप में बिजली का गिरना कोई सामान्य घटना नहीं. आर्टिफिशियल तरीके से भूकंप आया, जिसमें अमेरिका का हाथ था. 

मौमस का रिमोट कंट्रोल अपने हाथों में लेने की कोशिश

इस तरह की कंस्पिरेसी थ्योरीज काफी समय से सुनने में आ रही हैं. अनुमान है कि कई देश मौसम को कंट्रोल करके दूसरों पर हमला करने की कोशिश करेंगे. ये हमला हथियारों या परमाणु बम से नहीं होगा, बल्कि कुदरती लगेगा. जैसे बारिश को काबू करके एक देश, अपने दुश्मन देश में सूखा ले आए. या फिर बाढ़ ले आए, जिससे त्राहि-त्राहि मच जाए. भूकंप या सुनामी ला सकना भी इसी श्रेणी में है.

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morocco earthquake lightning conspiracy theory linked to american lab haarp representation photo- Unsplash

इस हमले को वेदर वॉरफेयर कहा जाता है

यह वैसा ही है, जैसे दुश्मन देश में खतरनाक वायरस या बैक्टीरिया भेजना. सबसे पहले मौसम पर काबू करने की कोशिशें किसने शुरू कीं, इसपर विवाद है. रूस अमेरिका पर आरोप लगाता है तो अमेरिका रूस पर. वैसे अमेरिका पर ज्यादातर देश हमलावर रहे. अगस्त 1953 में इस देश ने प्रेसिडेंट्स एडवाइजरी कमेटी ऑन वेदर कंट्रोल बनाई. कमेटी समझना चाहती थी कि किस तरह से वेदर मॉडिफिकेशन हो सकता है ताकि उसे देशहित में उपयोग किया जा सके.

अमेरिका पर वियतनाम का आरोप 

माना जाता है कि अमेरिका ने वियतनाम युद्ध के समय मानसून को बढ़ाने के लिए क्लाउड सीडिंग को हथियार बनाया था. इससे वियतनामी सेना की सप्लाई चेन बिगड़ गई थी क्योंकि ज्यादा बारिश के कारण जमीन दलदली हो चुकी थी. हालांकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिल सके कि ये अमेरिकी चाल थी या कुदरती कहर. साल साल 2010 में हैती में आए भूकंप को लेकर अमेरिका और रूस दोनों पर आरोप लगा था. 

morocco earthquake lightning conspiracy theory linked to american lab haarp photo Getty Images

क्या इसे रोकने के लिए कोई संधि है

हां. देशों की ताकत और आपसी दुश्मनी को देखते हुए साल 1978 में एक संधि हुई, जिसका नाम था- कन्वेंशन ऑन द प्रोहिबिशन ऑफ मिलिट्री ऑर अनी अदर हॉस्टाइल यूज. धीरे-धीरे करके करीब 100 देश इसका हिस्सा बन गए. ये संधि मौसम के अध्ययन के दौरान किसी भी ऐसे रिसर्च पर रोक लगाती है, जिसके भूकंप या सुनामी जैसी भयावह आपदा आ सके. 

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मोरक्को में जो रोशनी दिखी, वो क्या थी

कंस्पिरेसी थ्योरीज भले कुछ भी कहें, लेकिन साइंस कुछ और ही कहता है. भूकंप के ठीक पहले जो रोशनी वहां दिखी, साइंस में उसे अर्थक्वेक लाइट कहते हैं. इसके मुताबिक भूकंप की भी अपनी रोशनी होती है, जो जमीन से लेकर आसमान तक का सफर करती है. 

ये धरती के भीतर भूकंपीय गतिविधि से जुड़े इलेक्ट्रोमैग्नेटिक करंट से पैदा होती है. विस्तार में कहें तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रवाह तब बनता है, जब धरती की टैक्टोनिक प्लेट में भारी हलचल मचे. पहले भी कई बार भूकंप से पहले रोशनी की बात की जा चुकी है. यहां तक कि 17वीं सदी के दस्तावेजों में भी आपदा से पहले रहस्यमयी रोशनी का जिक्र मिलता है.

इस सबके बाद भी फिलहाल दुनिया में जो आपसी टेंशन है, और जिस तेजी से नए प्रयोग हो रहे हैं, उसंमें इस बात का डर रहेगा कि मौसम का रिमोट किसी एक देश के हाथ में न चला जाए. 

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