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साल 2034 तक 30 फीसदी मुस्लिम, जानिए ISIS अटैक से दहले रूस में किस हाल में रहती है मुस्लिम आबादी

रूस में हुए आतंकी हमले में कई खुलासे हो रहे हैं. इसके चरमपंथी इस्लामिक कनेक्शन की बात खुद व्लादिमीर पुतिन कह चुके. वैसे जिस रूस पर इस्लामिक स्टेट नाराज रहता आया, वहां बड़ी संख्या में मुस्लिम बसे हुए हैं. यहां तक कि रूस के इस्लामिक धर्मगुरु रविल गेनुतदीन ने दावा किया था कि अगले कुछ सालों में 25 मिलियन के साथ देश की 30 प्रतिशत आबादी मुस्लिम होगी.

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रूस के मुस्लिम-बहुल प्रांत कई बार शरिया लॉ की बात कर चुके. (Photo- Getty Images)
रूस के मुस्लिम-बहुल प्रांत कई बार शरिया लॉ की बात कर चुके. (Photo- Getty Images)

रूस में हुए टैरर अटैक की जिम्मेदारी ISIS-K ने ले ली. साल 2022 में भी इस इस्लामिक चरमपंथी समूह ने काबुल की रशियन एंबेसी पर हमला किया था. इस मिलिटेंट ग्रुप के पास रूस से नाराजगी की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन ये भी सच है कि इस देश में बड़ी संख्या में मुस्लिम बसे हुए हैं. खासकर इसके कई प्रांत सुन्नी मुस्लिमों के ही रहे. 

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कितने मुस्लिम रहते हैं

फिलहाल रूस की कुल आबादी साढ़े 14 करोड़ से कुछ कम है. इसमें मुस्लिम आबादी 1 करोड़ 60 लाख से कुछ ज्यादा है. ये पूरे देश की कुल आबादी का लगभग 11 फीसदी है, जिसमें सुन्नी ज्यादा हैं, जबकि शिया अल्पसंख्यक हैं.

क्या कहा था इस्लामिक गुरु ने

साल 2019 में मुफ्ती रवील गेनुतदीन ने क्लेम किया था कि अगले 15 साल या उससे भी कम समय में रूस की 30 प्रतिशत आबादी मुस्लिम धर्म को मानने वाली होगी. इसमें काफी हद तक सच्चाई दिख भी रही है. कई रूसी राज्य नॉन-रूसी भाषा बोलने वालों हैं. यहां तक कि एथनिक रशियन लोगों की संख्या कम हो चुकी. यहां पिछली जनगणना साल 2020 में हुई थी, जिसमें मूल रूसी लोगों की जनसंख्या पहले हुए सेंसस से करीब 4.9 प्रतिशत घटी दिखी. ये बात राजधानी मॉस्को के अलावा कई प्रांतों में दिख रही है. 

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चेचन रिपब्लिक है मुस्लिम आबादी वाला

इसमें सबसे पहले बात करते हैं कॉकस क्षेत्र के उत्तरी भाग में स्थित चेचन्या की. इसे चेचन रिपब्लिक भी कहते हैं. सुन्नी मुसलमान-बहुल इस क्षेत्र में लगातार अस्थिरता रही. इसे रूस की सरकार और अलगाववादियों के बीच चूहे-बिल्ली का खेल भी मान सकते हैं. अलगाववादी इसे अलग देश बनाने की कोशिश करते रहे, जबकि रशियन सरकार इसे देश से जोड़े रखने की कोशिश करती रही. लगभग दो दशक पहले यहां जनमत संग्रह भी हुआ था, जिसके बाद व्लादिमीर पुतिन ने यहां अलग संविधान को मंजूरी तो दी लेकिन ये साफ करते हुए कि चेचन्या रूस का ही हिस्सा रहेगा. 

moscow concert hall attack by islamic extremists in russia muslim population vladimir putin photo AFP

महिलाएं रह रहीं इस हाल में

फिलहाल चेचन्या भले ही रूस का हिस्सा हो लेकिन वहां के लोगों का रहन-सहन रूस से काफी अलग है. वहां के लीडर अक्सर महिलाओं के बुरके में रहने की वकालत करते हैं, जबकि बाकी देश में माहौल ऐसा नहीं. चेचन्या में शराबबंदी है. महिलाएं, चाहे वे गैर-मुस्लिम हों, बिना सिर ढंके सरकारी दफ्तर नहीं जा सकतीं. ऑनर किलिंग की घटनाएं वहां आती रहती हैं.

खुद चेचन लीडर रमजान अखमदोविच कादिरोव कई बार कह चुके कि वे रूसी नियम से बंधे हुए हैं वरना उनकी निजी इच्छा अपने यहां शरिया कानून लाना है. 

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शरिया लॉ की वकालत 

सितंबर 2023 में रशियन फेडरल एजेंसी फॉर एथनिक अफेयर्स ने एक पोल पर रिपोर्ट छापी थी, जिसमें बताया गया कि वहां के 43.5 लोगों ने शरिया लॉ को रूसी कानून से बेहतर माना. यहां तक कि 24 प्रतिशत लोगों ने इच्छा जताई कि अगर लीडर राजी हों तो वे इस्लामिक कानून के लिए सड़कों पर उतरने को राजी हैं. 

ऐसे ही कारणों से अंदेशा लगाया जाता है कि अगर रूस कहीं भी चूक करे तो चेचन्या शायद टूटकर आजाद होने वाला पहला देश होगा.

moscow concert hall attack by islamic extremists in russia muslim population vladimir putin photo Pixabay

तातार भी खुद को मानते हैं अलग

रिपब्लिक ऑफ तातारस्तान या तातारिया मॉस्को से लगभग 8 सौ किलोमीटर दूर एक प्रांत है. यहां 54% सुन्नी मुस्लिम रहते हैं, जो तुर्की भाषा बोलते और वहीं का कल्चर मानते हैं. ये मूल रूप से तुर्क हैं और तुर्किए को ही अपने करीब पाते हैं. यही वजह है कि यहां भी लगातार सेपरेटिस्ट मूवमेंट दिखता रहा. मुफ्ती गेनुतदीन ने कई बार आरोप लगाया कि अस्थिरता के दौरान रूसी सेना यहां के लोगों पर हिंसा करती रही. यहां तक कि यूक्रेन से लड़ाई शुरू होने पर यहां के लोगों को जबरन सेना में भर्ती किया जाने लगा. इस दौरान बचने के लिए 5 हजार से ज्यादा युवा तातार तातारस्तान से भाग गए. 

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यहां भी अलग देश की मांग उठती रही. बता दें कि तेल और खेती की वजह से ये हिस्सा बेहद समृद्ध है. यहां पर अभी ही कई बिलियन बैरल तेल रिजर्व में है. यही सब देखकर अलगाववादी संगठन मानने लगे कि फिलहाल तो मॉस्को के नाम के नीचे वे छिप जाते हैं, लेकिन अलग हुए तो उनकी अपनी पहचान होगी.

कॉकेशस एरिया कहलाने वाले इन इलाकों पर यूनाइटेड नेशन्स ने भी सर्वे किया और पाया कि महिलाएं यहां बिना किसी पुरुष साथी के आसानी से बाहर नहीं आ-जा सकतीं.

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