अमेरिकी थिंक टैंक और रिसर्च संस्थान काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (CFR) ने बराक ओबामा का कार्यकाल खत्म होते ही एक रिपोर्ट जारी की, जिसने खलबली मचा दी थी. अब कई सालों बाद रपट का भूत कब्र खोदकर निकल आया है. इसके अनुसार, लगातार अल्पसंख्यकों की भलाई पर बोलने वाले पूर्व राष्ट्रपति ने मुस्लिमों देशों पर जमकर बमबारी करवाई.
किन देशों पर हुआ हमला?
ईराक, सीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया, यमन, सोमालिया और पाकिस्तान ऐसे 7 देश थे, जिनपर साल 2016 में 26 हजार से ज्यादा बार एयर स्ट्राइक हुई. CFR मानता है कि ये डेटा बहुत हकीकत से बहुत कम है. वास्तव में पेंटागन जब हवाई हमले करता है तो एक 'सफल' स्ट्राइक के पीछे कई फेल हो चुके हमले होते हैं. फेल हो चुके हमले, मतलब ऐसे अटैक, जिनमें टारगेट को उतना नुकसान न हुआ हो, जितना इरादा हो. इससे पहले साल 2015 में अकेले सीरिया और इराक में 22 हजार से ज्यादा बार बमबारी की गई.
तो क्या ओबामा मुस्लिम देशों से नफरत करते थे?
अक्सर ओबामा मुस्लिमों की भलाई पर बात करते दिखे, लेकिन राष्ट्रपति रहने के दौरान उनका रवैया कुछ अलग था. साल 2008 में पद के लिए कैंपेनिंग करते हुए ओबामा ने अमेरिकी जनता की दुखती रग को छुआ. उन्होंने वादा किया कि अगर वे वाइट हाउस में आए तो पहले ही दिन से इराक युद्ध को खत्म करने में जुट जाएंगे. साथ ही आतंकियों का खात्मा कर देंगे. ये वो वक्त था, जब अमेरिका पर आतंकी हमलों का घाव भरा नहीं था. पहली बार इस्लामोफोबिया दिखने लगा था. ओबामा ने इसे ही टारगेट किया.
यकीन जीतने की कोशिश में आक्रामक हुए
अमेरिकी राजनैतिक लेखक माइकल गिएर्डिना की किताब 'बराक ओबामा, इस्लामोफोबिया एंड द 2008 यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन' में इसका विस्तार से जिक्र है कि कैसे इस मुस्लिम 'नजर आते' उम्मीदवार ने अपनी कमजोरी को ही ताकत बना लिया. सत्ता में आने के बाद ओबामा ने अमेरिकी यकीन जीतने की कोशिश शुरू कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक, वे पहले ऐसे डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति थे, जिन्होंने अपने पहले ही साल में सबसे ज्यादा एयर स्ट्राइक करवाईं.
अमेरिकी सेना का भी हुआ काफी नुकसान
ओबामा ने शुरुआत में एंटी-वॉर प्रेसिडेंट की इमेज बनाई. वे बार-बार युद्ध खत्म करने की बात करते रहे, लेकिन हो उल्टा रहा था. इराकऔर सीरिया में मारे गए लोगों का आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन उस दौरान कितने अमेरिकी सैनिक मारे गए, इससे भी काफी कुछ साफ हो जाता है.
इराक कोलिशन कैजुएलिटी काउंट की मानें तो दूसरा कार्यकाल खत्म होने से पहले ढाई हजार से ज्यादा अमेरिकी फौजी अफगानिस्तान और इराक में मारे गए.
ओबामा मुस्लिम थे या ईसाई?
ओबामा के दौर में अमेरिका ने 2,687 दिनों की जंग झेली. ये जॉर्ज बुश के समय से भी ज्यादा था, जबकि तभी 9/11 आतंकी हमला हुआ था और बुश पर अलकायदा को खत्म करने का भारी दबाव था. कई बार ये भी आरोप लगता रहा कि ओबामा भीतर ही भीतर मुस्लिमों से छिटके हुए हैं और लगातार खुद को ईसाई बताने की कोशिश करते हैं. बता दें कि ओबामा ने नब्बे के शुरुआत दशक में ही मुस्लिम धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था, लेकिन अक्सर उन्हें अमेरिका का पहला मुस्लिम राष्ट्रपति कह दिया जाता है.
शांति पुरस्कार भी घिरा रहा विवादों में
साल 2009 में ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला. इसपर तुरंत ही विवाद होने लगा. उन्हें पद संभाले कुछ ही समय हुआ था. ऐसी कोई उपलब्धि उनके खाते में नहीं थी. इसके बाद भी दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार उन्हें दिया गया. रिपब्लिकन्स इसपर पिल पड़े. सवाल होने लगा कि आखिर ओबामा के हिस्से ऐसा क्या है, जो उन्हें शांति दूत मान लिया जाए.
खुद अमेरिकी मीडिया ग्रुप वॉशिंगटन पोस्ट ने इसके विरोध में लिख दिया. एक ओपिनियन पीस में उन्होंने कहा कि ओबामा का ये पुरस्कार लेना असंवैधानिक है. ये अमेरिकी संविधान के आर्टिकल 1 के सेक्शन 9 को तोड़ना है, जिसमें वाइट हाउस होल्डर किसी विदेशी राजा से पुरस्कार नहीं ले सकता. हालांकि ओबामा ने सम्मान भी लिया और भाषण भी दिया.
किस अमेरिकी राष्ट्रपति के दौर में सबसे ज्यादा लड़ाइयां?
इसमें जॉर्ज डब्ल्यू बुश का नाम सबसे पहले आता है. उनके वाइट हाउस में आते ही सितंबर 2001 में अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था. इसके बाद का सारा समय अफगानिस्तान और इराक से युद्ध लड़ने में ही खर्च हुआ. लेकिन इसके बाद भी बुश ने अपने पूरे टेन्योर में उतने हमले नहीं करवाए थे, जितने बराक ओबामा ने कार्यकाल के पहले ही साल में करवाए. वे लगातार मुस्लिम देशों पर हमलावर रहे.