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हवाना सिंड्रोम, वो रहस्यमयी बीमारी, जिसने चुन-चुनकर अमेरिकी अधिकारियों को किया टारगेट, रूस पर लगा गंभीर आरोप

कुछ साल पहले अमेरिकी डिप्लोमेट्स की अचानक तबियत बिगड़ने के पीछे रूस की खुफिया एजेंसी का हाथ था. हाल में अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने रूस पर यह गंभीर आरोप लगाया. बात हो रही है, हवाना सिंड्रोम की, जो सीधे अधिकारियों के दिमाग को टारगेट करता था. वे इतने बीमार हो जाते कि मिशन छोड़कर लौटना पड़ जाता. बीमारी की गुत्थी मेडिकल एक्सपर्ट्स से लेकर CIA तक नहीं सुलझा सकी.

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हवाना सिंड्रोम नाम की बीमारी अमेरिकी अधिकारियों तक सीमित रही. (Photo- Unsplash)
हवाना सिंड्रोम नाम की बीमारी अमेरिकी अधिकारियों तक सीमित रही. (Photo- Unsplash)

रूस और अमेरिका के रिश्तों में एक और कील चुभ गई है. कुछ समय पहले अमेरिकी और जर्मन मीडिया ने मिलकर एक इनवेस्टिगेशन किया, जो हवाना सिंड्रोम पर था. इनवेस्टिगेशन के हवाले से आरोप लगाया गया कि रूस ने ही विदेशी राजदूतों और जासूसों को निशाना बनाया था. खासकर एंबेसी में तैनात अधिकारियों को. वे एक अलग ही बीमारी का शिकार होने लगे, जिसका कोई सिर-पैर नहीं था, लेकिन जिसके लक्षण इतने गंभीर थे कि काम छोड़ने की नौबत आ जाती थी. सोमवार को क्रेमलिन ने इस आरोप से इनकार किया. जानिए, क्या है हवाना सिंड्रोम, जिसकी गुत्थी अब तक नहीं सुलझ पाई. 

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इस तरह हुई शुरुआत

साल 2016 की रात क्यूबा की राजधानी हवाना में एक अमेरिकी राजदूत कानों में तेज आवाज और सिरदर्द के साथ जागा. जल्द ही वहां मौजूद सारे अमेरिकी राजदूतों का यही हाल था. सबके सब कनपटी दबाए चीख रहे थे. जांच में कुछ भी निकलकर नहीं आया, सिवाय इसके कि राजनयिक अब काम करने के लायक नहीं. रहस्यमयी बीमारी को नाम मिला हवाना सिंड्रोम.

दूसरे देश कर रहे थे हमला! 

अनुमान लगाया गया कि क्यूबा शायद अमेरिका के दुश्मन देशों जैसे रूस और चीन के साथ मिलकर जासूसी कर रहा हो. इसके लिए वो उनके लोगों पर सुपरसोनिक अटैक करता हो, जिससे दिमाग पर असर पड़ने लगा. कुछ लोगों ने इसे एनर्जी अटैक से जोड़ा तो किसी ने माइक्रोवेव अटैक से. इनके बारे में जानने से पहले एक बार जानते हैं कि क्या थे बीमारी के लक्षण, जिनके कारण अमेरिकी राजदूत बेहाल हो रहे थे. 

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 mysterious havana syndrome US diplomats allegedly spread by russian intelligence

इस तरह के थे लक्षण 

इनमें कानों में एकदम से तेज आवाज आने लगती थी, जैसे किसी सायरन का बीप की आवाज. कुछ लोग ऐसी अलग आवाज सुनते, तो कभी सुनी नहीं गई थी. जाहिर है कि वे इसे डिसक्राइब भी नहीं कर सके. आवाज पहला लक्षण था, जिसके बाद सिरदर्द होने लगता. उल्टियां होती. एक-दो दिन बाद ही राजनयिक को सुनाई या दिखाई देना कम हो जाता. यानी ये कोई ऐसी चीज थी जो मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र को टारगेट कर रही थी. टेस्ट में हालांकि कोई न्यूरोलॉजिकल बदलाव नहीं दिखे.

बीमारी फैलने लगी
 

कुछ ही महीनों के भीतर हवाना ही नहीं, चीन, रूस, ऑस्ट्रिया, सर्बिया और कई दूसरे देशों में भी इस अजीबोगरीब बीमारी के लक्षण दिखने लगे. सबसे अजीब बात ये थी कि बीमारी सिर्फ अमेरिकी राजदूत और अमेरिकी जासूसों को जकड़ रही थी. अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने अपनी तरह से इसकी वजह खोजने की कोशिश की. लेकिन कुछ खास पता नहीं लगा.

पहले भी हो चुके थे हमले 

इसके बाद CIA समेत कई अमेरिकी एजेंसियों ने कंस्पिरेसी थ्योरीज दीं, जो इसके लिए जिम्मेदार हो सकते थे. सबसे ज्यादा बात माइक्रोवेव अटैक पर हुई. रूस पहले भी अमेरिका पर ये अटैक कर चुका था. कोल्ड वॉर के दौरान साल 1953 से 1976 के बीच मॉस्को स्थित अमेरिकी एंबेसी में खलबली मच गई. एंबेसी के 10वें माले पर एक अपार्टमेंट की बिल्डिंग से माइक्रोवेव अटैक होने लगा. ऐसा कई बार हुआ. अमेरिकी एंबेसी ने तब अपने ट्रांसमिशन को सुरक्षित रखने के लिए नए सिरे से सारी बिल्डिंग को प्रोटेक्ट किया.

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 mysterious havana syndrome US diplomats allegedly spread by russian intelligence photo Unsplash

क्या है माइक्रोवेव वेपन अटैक 

ये एक तरह का एनर्जी वेपन है, जो किसी तरह की विकिरण, जैसे लेजर, सोनिक या माइक्रोवेव के फॉर्म में होता है. इसकी तेज विकिरण से वैसे तो तकनीक से छेड़छाड़ करती है, जैसे किसी खास सिस्टम को करप्ट कर देना ताकि कमजोर बनाना ताकि सेंधमारी हो सके. इसे एक तरह का बग भी समझ सकते हैं. 

इंसानों पर ये बीम अलग असर करती है. यह सीधे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स पर असर डालती है, जिससे सुनने-समझने की ताकत कम होने लगती है. सिर में दर्द रहने लगता है. लंबे समय में ये असर बेहद खतरनाक हो सकता है. 

क्या किसी विकिरण का था नतीजा? 

क्यूबा में अटके हुए अमेरिकी राजदूत कुछ ही समय में बीमार हो गए और उन्हें वापस लाया गया. क्यूबा ने ऐसे किसी हमले से इनकार किया. न ही चीन और रूस ने कोई जिम्मेदारी ली. इस बीच एक टीम गठित हुई, जिसमें ऐसे 40 लोग लिए गए, जो क्यूबा में रहते हुए एक जैसे लक्षणों से परेशान हुए थे. पाया गया कि ये किसी विकिरण का ही नतीजा था. मुमकिन है कि जहां राजदूत रहते हों, उस कमरे या इमारत पर चुपके से हमला हुआ हो. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में माइक्रोवेव इन द कोल्ड वॉर एंड बियॉन्ड में इसका जिक्र है.

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 mysterious havana syndrome US diplomats allegedly spread by russian intelligence photo Pixabay

कनाडा की रिसर्च ने कुछ और ही कहा 

क्यूबा में तैनात कनाडाई राजदूतों मे भी हवाना सिंड्रोम के लक्षण दिखने लगे. यहां तक कि वहां मौजूद उनके परिवार भी बीमार पड़ने लगे. तब कनाडा के शोधकर्ताओं ने रिसर्च की और कहा कि ऐसा शायद पेस्टिसाइड या इनसेक्टिसाइड की वजह से हो रहा हो. साल 2016 में ही क्यूबाई सरकार ने जीका वायरस से बचने के लिए मच्छरों को खत्म करने की मुहिम चलाई थी, जिसमें इनसेक्टिसाइड्स का जमकर इस्तेमाल हुआ. हो सकता है, हवा में मौजदू स्प्रे के चलते ये हुआ हो. हालांकि ये भी एक थ्योरी थी, जिसका नतीजा पता नहीं लग सका. 

अब तक है रहस्यों में

अमेरिका के साथ-साथ कनाडा ने भी अपने राजदूतों को क्यूबाई एबेंसी से वापस बुला लिया. अगर ये केमिकल या माइक्रोवेव अटैक है तो क्यूबा के साथ-साथ कई और देश थे, जो खलनायक लग रहे थे. चीन, रूस समेत कई देशों में माइक्रोवेव रिसर्च प्रोग्राम चल रहे थे. ऐसे में अमेरिका ने ज्यादा सावधानी दिखाई और अपनी एबेंसी को ही बंद कर दिया. पिछले साल ही क्यूबा में एक बार फिर से अमेरिकी एंबेसी शुरू हुई. 

ताजा रिपोर्ट में क्या बताया गया

इसके सटीक कारण अब तक नहीं पता लग सके. लेकिन अमेरिकी और जर्मन मीडिया आउटलेट्स के अनुसार, विदेशों में तैनात यूएस अधिकारियों की बीमारी के पीछे रूसी सेना की खतरनाक जीआरयू यूनिट का हाथ था. वो किसी तकनीक के सहारे ऐसा करती थी.

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