scorecardresearch
 

क्या सेकुलर से दोबारा हिंदू देश बनने जा रहा है नेपाल, कौन-कौन से हिंदू संगठन एक्टिव?

नेपाल में एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही है. साल 2008 में राजशाही के खात्मे के साथ देश ने खुद को सेकुलर तो घोषित कर दिया, लेकिन इसके बाद से ही पुराना दर्जा बहाल करने की सुगबुगाहट है. हिंदू संगठनों समेत कई पार्टियों का कहना है कि 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी जब एक ही धर्म को मानने वाली है, तो फिर इसमें हर्ज कैसा!

Advertisement
X
राजशाही तक नेपाल हिंदू राष्ट्र रहा था. (Photo- Unsplash)
राजशाही तक नेपाल हिंदू राष्ट्र रहा था. (Photo- Unsplash)

बीते तीन से चार सालों के भीतर नेपाल में कई बदलाव दिखे. कोविड के दौरान उसने अपना राजनैतिक मैप निकाला, जिसमें भारत के उत्तराखंड के भी कुछ इलाके दिख रहे हैं. इसी दौरान हिंदी पर बैन लगाने और रोटी-बेटी का रिश्ता खत्म करने तक बात चली गई. हालांकि अब नेपाल का रुख कुछ अलग ही है. वहां धर्मनिरपेक्ष से दोबारा हिंदू देश बनाने की मांग गहरा रही है. वहां कई हिंदू दल बन चुके, जो ये डिमांड उठा रहे हैं. लेकिन क्या इसके मायने ये भी हैं कि नेपाल में सेकुलर बनाम हिंदू की जंग छिड़ी हुई है?

Advertisement

संविधान ने दिया सेकुलर का दर्जा

साल 2015 में सालों की बहस और यहां तक कि छिटपुट हिंसा के बाद नेपाल की संविधान सभा ने पहला संविधान बनाया. ये पहला संविधान है, जिसे संविधान सभा ने तैयार कर किया था. इसी के साथ नेपाल दुनिया के अकेले हिंदू देश से धर्मनिरपेक्ष बन गया. इसमें सभी भाषाओं को दर्जा दिया गया, सबकी बात की गई, लेकिन एक चीज रह गई. इसमें सभी धर्मों को आजादी देने की बात के बीच ये भी शामिल कर दिया गया कि सनातन धर्म को बचाए रखना देश का पहला फर्ज होगा. यहीं से बहस चल पड़ी. 

क्या हैं इसके पक्ष में तर्क

हिंदू संगठनों समेत नेपाली कांग्रेस का तर्क है कि अगर सनातन को बचाना है तो सेकुलर कहने से काम नहीं चलेगा. एक दलील ये भी है कि जब ताकतवर देश खुद को ईसाई या इस्लामिक कह सकते हैं तो नेपाल क्यों नहीं कह सकता. कई छोटी-बड़ी पार्टियां इसपर जनमत संग्रह की मांग करती रहीं कि देश को धर्मनिरपेक्ष ही कहा जाए या हिंदू राष्ट्र का आधिकारिक दर्जा दे दिया जाए. पिछले साल के बीच में नेपाली कांग्रेस के सीनियर नेता शशांक कोइराला ने भी ऐसी मांग उठाई थी, जबकि पहले वे इससे दूरी रखते आए थे. 

Advertisement

nepal demand for hindu nation from secular state photo Unsplash

इससे पहले भी नेपाल हिंदू देश हुआ करता था लेकिन इस तरह का दर्जा उसे साठ के दशक में मिला. वहां के राजा महेंद्र वीर विक्रम शाह ने इसकी पहल की थी. साल 2008 में राजसी परिवार का शासन खत्म हो गया और देश में लोकतंत्र आ गया. इसी के बाद वहां बहस चल पड़ी. सेकुलर घोषित करने के पक्ष में आए लोगों का मानना था कि कट्टर दिखने की वजह से उनके रिश्ते कई देशों से उतने अच्छे नहीं. धर्मनिरपेक्ष कहलाते ही ये सही हो जाएगा. आखिरकार साल 2015 में ऐसा हो भी गया. नया संविधान बना, जिसने देश को आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष बना दिया. 

किन धर्मों के लोग हैं

साल 2021 के सेंसस के मुताबिक देश में हिंदू आबादी 81 प्रतिशत से भी ज्यादा है. इसके बाद 8 प्रतिशत के साथ बौद्ध धर्म के लोग हैं. इसके बाद इस्लाम को मानने वाले हैं, जो 5 प्रतिशत से कुछ ज्यादा रहे. इसके बाद ईसाई धर्म हैं, और बाकी मिले-जुले धर्म के लोग रहते हैं. 

nepal demand for hindu nation from secular state photo AFP

डेमोग्राफी में हो रहा बदलाव

हिंदुओं और बौद्धों की संख्या भले ही आंशिक रूप से बदली, लेकिन मुस्लिम धर्म को मानने वाले बढ़ रहे हैं. एक दशक पहले वे 4 प्रतिशत थे, और फिर सीधे 5 प्रतिशत से ऊपर चले गए. जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों में क्रमशः 0.11 प्रतिशत और 0.79 प्रतिशत की गिरावट आई है.

इससे उलट, इस्लाम, किरात और ईसाइयों की जनसंख्या में क्रमशः 0.69, 0.17 और 0.36 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसे देखते हुए कई तरह का डर जताया जा रहा है, और माना जा रहा है कि देश को पुराना दर्जा देने पर ट्रैक रखना आसान हो सकेगा. 

Advertisement

हिंदी से भी दिखा चुके बैर

बीते समय में इस देश में राजनैतिक अस्थिरता भी खूब रही. इसी दौरान हिंदी पर बैन लगाने तक की बात हो गई थी. बता दें कि भारत से सटी नेपाल सीमा पर तो लोग हिंदी बोलते-समझते हैं ही, देश के भीतर भी ये भाषा बोली जाती रही. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि भारत-नेपाल के बीच खूब आना-जाना रहा. साथ ही दोनों की स्क्रिप्ट भी एक तरीके से लिखी जाती है. शायद यही कारण था कि बैन की चर्चा तो हुई, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया. बीच-बीच में किसी विवाद के बाद जरूर हिंदी फिल्मों पर अस्थाई रोक लग जाती है. 

nepal demand for hindu nation from secular state

विदेशी संस्थान अक्सर रहे हमलावर

चाहे हिंदुओं की आबादी में आंशिक हेरफेर की बात हो, या फिर अपनी पहचान जाने का डर, नेपाल में ये डिमांड उठ रही है. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की पिछले साल जारी इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट में शक जताया गया कि नेपाल में हो रही ये हलचल भारत से जुड़ी हुई है. हांगकांग स्थित मीडिया हाउस साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में भी इस किस्म के दावे किए गए. 

नेपाल में हिंदू संगठन 

यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तर्ज पर हिंदू स्वयंसेवक संघ है. धर्मो रक्षति रक्षित: इसका नारा है. जैसे आरएसएस की मंथली मैग्जीन निकलती है, वैसे ही यहां भी हिमाल दृष्टि नाम से मासिक पत्रिका निकलती है. हालांकि आरएसएस ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं कि नेपाल के गुट का उनसे सीधा संबंध है. कई और भी संगठन हैं, जो हिंदू राष्ट्र के लिए काम कर रहे हैं, जैसे विश्व हिंदू महासंघ और हिंदू जागरण समिति. नेपाल हिन्दू राष्ट्र पुनः स्थापना मंच भी है, जो इसकी बात करता है. 

Live TV

Advertisement
Advertisement