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हिंसा की आग में जल रहे हरियाणा के मेवात की कहानी... क्यों सियासी लड़ाई का केंद्र बन जाता है ये इलाका?

नूंह में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. दंगाइयों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. साइबर थाने को भी फूंक दिया है. नूंह के मेवात में ही ये हिंसा नहीं रुकी, बल्कि यहां से 40 किलोमीटर दूर सोहना में भी ऐसी ही हिंसा देखी गई. आसपास के कई इलाकों में भी तनाव दिख रहा है.

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मेवात में सोमवार को हिंसा भड़क गई थी. (फाइल फोटो-PTI)
मेवात में सोमवार को हिंसा भड़क गई थी. (फाइल फोटो-PTI)

राजधानी दिल्ली से लगभग डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित मेवात सांप्रदायिक हिंसा में जल रहा है. सोमवार शाम को यहां दो समुदायों में टकराव हो गया. ये टकराव बाद में हिंसा में बदल गया. अब हालात ये हैं कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है. 

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बताया जा रहा है कि सोमवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भगवा यात्रा निकाल रहे थे. इसी दौरान यात्रा पर पथराव शुरू हो गया. इसके बाद हिंदू पक्ष ने दूसरे समुदाय के लोगों पर भी पथराव कर दिया और हिंसा भड़क गई.

हालांकि, नूंह के मेवात में ही ये हिंसा नहीं रुकी, बल्कि यहां से 40 किलोमीटर दूर सोहना में भी ऐसी ही हिंसा देखी गई. आसपास के कई इलाकों में भी तनाव दिख रहा है. 

जानकारी के मुताबिक, हालात काबू करने के लिए अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां तैनात की गईं हैं. छह और कंपनियां तैनात करने की तैयारी चल रही है. 

बहरहाल, नूंह में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. दंगाइयों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है. साइबर थाने को भी फूंक दिया है. कानून व्यवस्था न बिगड़े, इसके लिए 2 अगस्त तक इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. साथ ही नूंह में धारा 144 भी लगा दी गई है. 

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80 फीसदी आबादी मुस्लिम

नूंह को ही कभी मेवात जिले के नाम से जाना जाता था. लेकिन 2016 में इसका नाम बदल दिया गया. 

नूंह जिला लगभग 1900 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. गुरुग्राम (गुड़गांव) से सटे होने के बावजूद नूंह काफी पिछड़ा हुआ माना जाता है.

2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 10.89 लाख है. इस आबादी में 80 फीसदी मुस्लिम है. 20 फीसदी आबादी हिंदू है.

इतना ही नहीं, ये कितना पिछड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां की साक्षरता दर 55 फीसदी भी नहीं है. पुरुष और महिलाओं की साक्षरता दर में दोगुना अंतर है. पुरुषों की साक्षरता दर जहां 70 फीसदी है तो वहीं महिलाओं की 37 फीसदी भी नहीं है.

क्या है इसका इतिहास?

साल 1372 में फिरोज शाह तुगलत ने मेवात का शासन राजा नहर खान मेवाती को सौंप दिया था. 

राजा नहर खान ने ही मेवाती शासकों को 'वली-ए-मेवाती' उपाधि दी थी. उनके वंशज 1527 तक इसी उपाधि का इस्तेमाल करते रहे. 

मेवात एक समय स्वतंत्र राज्य हुआ करता था. लेकिन ब्रिटिश शासन में ये अलवर और भरतपुर रियासत में आ गया. 1857 के विद्रोह के बाद ये पूरा इलाका अंग्रेजों के अधीन हो गया.

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मेवात आपसी भाईचारे के लिए जाना जाता था. लेकिन 1920 के दशक में मोहम्मद इलियास की अगुवाई में यहां एक आंदोलन शुरू हुआ. इसने बंटवारे का समर्थन किया.

बंटवारे के बाद यहां भयानक हिंसा देखने को मिली. 1947 के बाद अलवर और भरतपुर के हजारों की संख्या में मुस्लिम विस्थापित हुए. कुछ गुड़गांव आ गए तो कुछ पाकिस्तान चले गए. ऐसा कहा जाता है कि उस समय महात्मा गांधी ने भी इस इलाके (अब नूंह) का दौरा किया था और मुस्लिमों से देश ने छोड़ने की अपील की थी.

कैसी है यहां की अर्थव्यवस्था?

नूंह को काफी पिछड़ा हुआ जिला माना जाता है. 2018 में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें नूंह को सबसे पिछड़े जिलों में रखा गया था.

यहां की ज्यादातर अर्थव्यवस्था खेती-किसानी पर आधारित है. यहां के लोग खेती-किसानी का ही काम करते हैं. इसके अलावा पशुपालन और डेयरी भी यहां के लोगों की आय का बड़ा स्रोत है.

ऐसा कहा जाता है कि यहां दूध की पैदावार कम नहीं है, लेकिन यहां के किसानों पर इतना कर्ज है कि वो कम कीमत पर दूध बेचने को मजबूर हैं. 

एक्टिव हैं गौरक्षक

मेवात इलाके में गौरक्षक भी बड़े पैमाने पर एक्टिव हैं. मेवात में हरियाणा और राजस्थान के इलाके शामिल हैं. ये इलाका राजस्थान के अलवर और भरतपुर से लेकर हरियाणा के नूंह, पलवल, फरीदाबाद और गुरुग्राम तक फैला है. 

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हाल ही में मेवात में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी. इस याचिका में दावा किया गया था कि 2015 के बाद से मेवात में मॉब लिंचिंग और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा बढ़ी है.

इसी साल फरवरी में नासिर और जुनैद नाम के शख्स की हत्या हो गई थी. दोनों राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले थे. इनकी हत्या का मामला गौ तस्करी से जुड़े होने का दावा किया गया था. 

इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल और गौ रक्षा दल के मोनू मानेसर समेत पांच पर केस दर्ज किया था. इसके बाद मोनू मानेसर के समर्थन में हरियाणा में महापंचायत बुलाई गई थी.

मोनू मानेसर का पूरा नाम मोहित है. वह मानेसर का रहने वाला है. पिछले 10-12 साल से बजरंग दल से जुड़ा है. वह पिछले कुछ सालों से गो तस्करों से मुठभेड़ में मुख्य चेहरे के तौर पर सामने आया है. मोनू पर युवक को गोली मारने का भी आरोप लग चुका है. मोनू काउ प्रोटेक्शन टास्क फोर्स का भी सदस्य है. 

कैसी है यहां की राजनीति?

नूंह जिले में तीन विधानसभा सीटें- नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुनाहाना हैं. ये सभी गुरुग्राम लोकसभा सीट के अंदर आती हैं.

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