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Odisha Train Clash: ट्रेन का डेटा लॉगर कैसे काम करता है? कोरोमंडल हादसे को लेकर क्या बातें सामने आईं?

डेटा लॉगर ट्रेन के ब्लैक बॉक्स की तरह होता है. जैसे ही सिग्नल सिस्टम का बटन दबता है, वैसे ही ये सारी चीजें रिकॉर्ड करने लगता है. अब डेटा लॉगर की मदद से ही हादसे की जांच करने में मदद मिलेगी.

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ओडिशा के बालासोर में 2 जून को बड़ा रेल हादसा हुआ था. (फाइल फोटो-PTI)
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को बड़ा रेल हादसा हुआ था. (फाइल फोटो-PTI)

ओडिशा के बालासोर में रेल हादसा कैसे हुआ? इसका पता अब 'डेटा लॉगर' की मदद से लगाया जाएगा. डेटा लॉगर ठीक विमान के 'ब्लैक बॉक्स' जैसा ही होता है. इसमें कई सारी डिटेल होती हैं, जिससे जानने में मदद लगेगा कि आखिर कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से कैसे टकरा गई.

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अभी तक डेटा लॉगर से ये सामने आया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को होम सिग्नल और आउटर सिग्नल, दोनों पर ग्रीन सिग्नल मिला था. लेकिन अचानक से पहले अप लाइन और फिर लूप लाइन में सिग्नल रेड हो गया. लूप लाइन में ही मालगाड़ी खड़ी थी और इसी से कोरोमंडल एक्सप्रेस टकरा गई.

2 जून की शाम सात बजे के आसपास हुए इस हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 11सौ से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. लगभग एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी कई शवों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है. 

हादसे की जांच सीबीआई कर रही है. इस मामले में सीबीआई ने केस भी दर्ज कर लिया है. बहरहाल, अब डेटा लॉगर की मदद से इस पूरे हादसे की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की जा रही है. 

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आजतक ने कोरोमंडल एक्सप्रेस के डेटा लॉगर को एक्सेस किया है. इसे ट्रेन का 'ब्लैक बॉक्स' भी कहा जाता है. ये वही डेटा लॉगर है जिसे रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाया था.

डेटा लॉगर माने क्या?

- रेलवे बोर्ड के सिग्नलिंग और टेलीकॉम के पूर्व महानिदेश अखिल अग्रवाल ने डेटा लॉगर के काम करने के तरीके को समझाया है.

- अग्रवाल बताते हैं कि इस हादसे में जो कुछ हुआ, डेटा लॉगर उसे समय के साथ दिखाता है. स्टेशन मास्टर को सूचित करने के लिए ट्रैक में कई सेंसर होते हैं. 

- उन्होंने बताया कि डेटा लॉगर बताता है कि कोई प्लेटफॉर्म खाली है या नहीं. साथ ही ये भी दिखाता है कि अगर किसी प्लेटफॉर्म पर ट्रेन है तो वो खड़ी है या चल रही है.

ये काम कैसे करता है?

- अखिल अग्रवाल बताते हैं कि जब पटरी पर कोई ट्रेन खड़ी होती है तो डेटा लॉगर पर 'रेड लाइन' दिखाई पड़ती है. और जब ट्रैक खाली होता है तो 'ग्रे लाइन' दिखती है.

- वो बताते हैं कि जब सिग्नल साफ होकर पीला हो जाता है तो UP और DOWN पटरियों की लाइन डेटा लॉगर पीली हो जाती है.

इस हादसे में कैसे मदद करेगा डेटा लॉगर?

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- अग्रवाल के मुताबिक, डेटा लॉगर से पता चलता है कि DOWN लाइन पर येलो और ग्रीन सिग्नल क्लियर था. इसी ट्रैक से यशवंतपुर-हावड़ा ट्रेन गुजर रही थी. इसी तरह से UP लाइन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस को भी हरी झंडी मिल गई थी. 

- जब हावड़ा ट्रेन गुजर रही थी, तभी कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनागा बाजार स्टेशन पहुंचना शुरू कर देती है. उसी वक्त कोरोमंडल ट्रेन को होम और आउटर सिग्नल पर हरी झंडी दी गई. 

- लेकिन अचानक UP लाइन का सिग्नल रेड हो जाता है और कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में आ जाती है. यहीं पर मालगाड़ी खड़ी थी. उस समय लॉग पर समय 18.55 था. 

ह्यूमन एरर या साजिश?

- अब इस पूरे हादसे पर दो सवाल उठ रहे हैं. पहला- क्या ये ह्यूमन एरर था? और दूसरा- कहीं इस हादसे के पीछे कोई साजिश तो नहीं था? किसी ने जानबूझकर तो सिग्नल सिस्टम से छेड़छाड़ नहीं की थी?

- खुर्दा के डीआरएम रिंकेश रॉय ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इक्विपमेंट में छेड़छाड़ का शक है और इसी वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस में लूप लाइन में घुस गई और मालगाड़ी से टकरा गई.

- उन्होंने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस जब बहनागा बाजार स्टेशन से गुजरी, तब मेन लाइन पर ग्रीन सिग्नल था. ग्रीन सिग्नल तभी होता है जब सबकुछ क्लियर होता है. वरना सिग्नल रेड ही होता है. 

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- उन्होंने बताया कि जैसे ही सिग्लन बटन दबाया जाता है, वैसा ही डेटा लॉगर पर सबकुछ रिकॉर्ड होने लगता है. उन्होंने बताया कि डेटा लॉगर पर ग्रीन सिग्नल दिख रहा था. और ये तब तक संभव नहीं हो सकता, जब तक किसी ने इसके साथ छेड़छाड़ न की हो.

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी सिग्नल सिस्टम में गड़बड़ होने की बात कही है. रेलवे अधिकारियों ने भी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ की आशंका जताई है.

- रेलवे के एक सीनियर अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी को बताया था कि हो सकता है कि किसी ने जानबूझकर सिस्टम से किसी तरह की छेड़छाड़ या तोड़फोड़ की है.

क्या हुआ था?

- 2 जून की शाम करीब 7 बजे तीन ट्रेनों टक्कर हुई थी. ये टक्कर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच हुई.

- ये हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास हुआ. कोरोमंडल एक्सप्रेस और हावड़ा एक्सप्रेस को पास कराने के लिए मालगाड़ी को कॉमन लूप लाइन में खड़ा कराया गया था.

- कोरोमंडल एक्सप्रेस तेज रफ्तार से मेन अप लाइन से गुजर रही थी. तभी वो मेन लाइन से लूप लाइन में आ गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. 

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- ये टक्कर इतनी जोरदार थी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरकर तीसरी लाइन से गुजर रही हावड़ा एक्सप्रेस से टकरा गई. हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है.

 

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