पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रैली में फायरिंग हुई है. इमरान के पैर में गोली लगने की बात कही जा रही है. उन्हें लाहौर ले जाया गया है. फिलहाल इमरान की हालत स्थिर बताई जा रही है.
पुलिस ने बताया कि इमरान खान जब वजीराबाद में रैली कर रहे थे, तभी ये फायरिंग हुई. एक हमलावर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
वहीं, हमले के बाद इमरान खान की पहली प्रतिक्रिया भी आ गई है. इमरान ने कहा कि अल्लाह ने उन्हें दूसरी जिंदगी बख्शी है. इंशाअल्लाह मैं फिर वापसी करूंगा, लड़ाई जारी रखूंगा.
इमरान खान से पहले 27 दिसंबर 2007 को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर भी ऐसे ही हमला हुआ था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी. बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थीं, लेकिन कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी थीं. भुट्टो जब रावलपिंडी से रैली कर लौट रही थीं, तभी हमलावर उनके पास आया और गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद हमलावर ने खुद को भी बम से उड़ा लिया था.
क्या हुआ था भुट्टो के साथ?
27 दिसंबर 2007 को बेनजीर भुट्टो रावलपिंडी के लियाकत बाग में एक चुनावी रैली में भाषण खत्म कर लौट रही थीं. तभी 15 साल का बिलाल उनकी कार के पास आया. पहले बिलाल ने भुट्टो को गोली मारी और फिर खुद को उड़ा दिया.
उस दिन बेनजीर भुट्टो का काफिला रावलपिंडी से निकलकर इस्लामाबाद की ओर रवाना हो रहा था. काफिला निकल ही रहा था कि बड़ी संख्या में समर्थक लियाकत बाग के गेट पर पहुंच गए और नारे लगाने लगे.
समर्थकों को जवाब देने के लिए बेनजीर भुट्टो जैसे ही कार से बाहर निकलीं, वैसे ही तीन गोलियां चलीं और फिर जोर का धमाका हुआ. जब धमाके का धुंआ छटा तो चारों ओर खून बिखरा हुआ था और शवों के चिथड़े पड़े हुए थे. बेनजीर भुट्टो की मौत हो चुकी थी. उनके अलावा और भी 25 लोग इस हमले में मारे गए थे.
हत्या में कौन-कौन था शामिल?
बेनजीर भुट्टो की हत्या के कुछ हफ्तों बाद पांच संदिग्धों ने कबूल किया था कि उन्होंने पाकिस्तानी तालिबान और अल-कायदा के इशारे पर 15 साल के बिलाल की मदद की थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हत्याकांड में सबसे पहले जिसे गिरफ्तार किया गया था, उसका नाम एतजाज था. अगर बिलाल की कोशिश नाकाम हो जाती तो फिर वो काम एतजाज करता.
इसके अलावा रशीद अहमद और शेर जमान नाम के दो संदिग्धों ने भी माना था कि वो साजिश में शामिल थे. रावलपिंडी के दो भाइयों हसनैन गुल और रफाकत हुसैन ने भी कबूल किया था कि उन्होंने भुट्टो की हत्या से एक रात पहले बिलाल को पनाह दी थी. हालांकि, बाद में सारे आरोपी अपने बयानों से मुकर गए थे.
2017 में पाकिस्तान की अदालत ने इन पांचों आरोपियों को बरी कर दिया था. जबकि, दो पूर्व पुलिस अधिकारी सऊद अजीज और खुर्रम शहजाद को 17 साल की कैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. इन पुलिस अधिकारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप था.
दो बार बनीं प्रधानमंत्री, कार्यकाल नहीं पूरा कर पाईं
पाकिस्तान के सियासी इतिहास में आजतक एक भी ऐसा प्रधानमंत्री नहीं रहा है, जो अपना कार्यकाल पूरा कर सका हो. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की भी हत्या कर दी गई थी. लियाकत अली खान जब रावलपिंडी में रैली कर रहे थे, तभी हमलावर ने उनके सीने में तीन गोलियां उतार दी थीं. रावलपिंडी के जिस बाग में लियाकत अळी खान रैली कर रहे थे, उसका नाम बाद में लियाकत बाग रख दिया गया था.
बेनजीर भुट्टो 2 दिसंबर 1988 को पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. वो पाकिस्तान की सबसे युवा और पहली महिला प्रधानमंत्री हैं. वो 6 अगस्त 1990 तक इस पद पर रहीं. उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने उन्हें बर्खास्त कर दिया.
दूसरी बार भुट्टो 19 अक्टूबर 1993 को प्रधानमंत्री बनीं. भुट्टो का दूसरा कार्यकाल भी पहले कार्यकाल की तरह ही खत्म हो गया. दूसरे कार्यकाल में भी उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और राष्ट्रपति फारूक अहमद लेघारी ने बर्खास्त कर दिया.
बेनजीर भुट्टो जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी हैं. जुल्फिकार अली भुट्टो 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक प्रधानमंत्री रहे थे. जुलाई 1977 में सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया. तत्कालीन जनरल जिया उल-हक ने उन्हें जेल में डाल दिया. 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया.