इजरायल हमास युद्ध के बीच फिलिस्तीन के पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह ने हाल में इस्तीफा दे दिया था. अब उनकी जगह मोहम्मद मुस्तफा ने ली है. पीएम मुस्तफा को उनके आक्रामक ढंग से काम करने के लिए जाना जाता है. उन्होंने हमास के कंट्रोल वाले गाजा में भी सुधार के कई प्रयास किए थे. माना जा रहा है कि वे युद्ध रुकवाने से लेकर पूरे फिलीस्तीन को एकजुट करने जैसा काम भी कर सकते हैं.
फिलहाल गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है, जबकि वेस्ट बैंक में फिलिस्तानी अथॉरिटी (पीए) काम कर रही है. अगर हमास प्रमुख राजी हो जाएं तो दोनों इलाकों के लिए एक नेशनल सरकार बन सकती है. नए पीएम पहले भी ऐसी कोशिश करते रहे थे.
वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में क्या फर्क?
गाजा पट्टी, इजरायल, मिस्र और भूमध्य सागर के बीच बसा एक छोटा-सा एरिया है, जहां फिलिस्तीनी रहते हैं. ये पूरा हिस्सा केवल 41 किलोमीटर में फैला हुआ है, जहां बेहद घनी आबादी रहती है. वहीं वेस्ट बैंक भूमध्य सागर के तट के पास जमीन से घिरा एक इलाका है. इसकी सीमा पूर्व में जॉर्डन और डेड सी लगती है जबकि उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में सीमा इजरायल से लगती है. पूर्वी येरूशलम को मिला दें तो ये एरिया लंबा-चौड़ा है.
गाजा और वेस्ट बैंक, दोनों ही फिलिस्तीनी इलाके हैं, लेकिन दोनों के राजनैतिक कॉन्टैक्स्ट काफी अलग हैं. गाजा पट्टी में हमास की सरकार है, जो चरमपंथी संगठन है. बहुत से देश इसे टैररिस्ट गुट तक मान चुके. दूसरी तरफ वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी अथॉरिटी काम करती है.
फिलिस्तीन अथॉरिटी (PA)नब्बे के दशक में बनी. ये वो समय था, जब इजरायल और फिलिस्तीन दोनों ने एक-दूसरे को औपचारिक मान्यता दी थी. तब माना गया कि PA ही पूरे फिलीस्तीन पर कंट्रोल करेगा. वही चुनाव करवाएगा. लेकिन वेस्ट बैंक और गाजा के बीच भी सहमति नहीं बन सकी.
गाजा में हमास था, तो वेस्ट में फतेह था. साल 2006 में फिलिस्तीनी लेजिस्लेटिव काउंसिल का चुनाव होने पर गाजा में हमास भारी मतों से जीता. दोनों ने मिलकर सरकार बनाई, लेकिन हफ्तेभर चले संघर्ष के बाद सरकार गिर गई. गाजा पट्टी पर पूरी तरह से हमास का कब्जा हो गया. बीच-बीच में कई बार दोनों ने संबंध सुधारने की कोशिश की, लेकिन विचारधारा आड़े आती रही. हमास का आरोप था कि फतेह इजरायल की कठपुतली है, और उसकी वजह से फिलिस्तीन अपनी पहचान खो देगा.
अब गाजा तो बदहाल है ही. वहां के युद्ध का असर वेस्ट बैंक पर भी हो रहा है. गाजा से लोग भागकर इस हिस्से में आ चुके. इससे आबादी के असंतुलन से लेकर कई तरह की प्रैक्टिकल दिक्कतें हैं. इसमें एक बात ये भी हुई कि हमास के कंट्रोल वाले गाजावासियों में अब वेस्ट बैंक की तरह जीने की इच्छा भी जागी. इससे अथॉरिटी के गाजा को नियंत्रण में लेने की संभावना बढ़ी है.
कितना आसान है दोनों जगहों पर एक सरकार का आना
ये काफी मुश्किल रहने वाला है. सबसे पहली बात कि युद्ध अभी रुका नहीं है, और न ही हमास पूरी तरह खत्म हुआ है. ऐसे में PA इस इलाके का नियंत्रण अपने हाथ में नहीं ले सकता.
दूसरी समस्या इजरायल हो सकता है
इस देश ने युद्ध शुरू होने के बाद इशारों में कई बार गाजा पर पूरे नियंत्रण की बात कही. यानी हो सकता है कि लड़ाई रुकने के बाद इजरायली सेना वहां ठिकाना कर ले ताकि हमास या कोई दूसरा चरमपंथी गुट न पनप सके. ऐसे में गाजा और वेस्ट बैंक में जॉइंट सरकार का आना मुश्किल हो सकता है. एक समस्या और है. PA पर जिस पार्टी का राज है, वो गाजा पट्टी में भारी कुख्यात है. फतह को करप्ट और इजरायल के मोहरे की तरह देखा जाता है.