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भारत समेत क्यों पूरी दुनिया में कम हो रही पारसी आबादी, शादी-ब्याह में क्यों है इतनी सख्ती?

CAA के तहत तीन मुस्लिम-बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले 6 धर्मों के लोगों को नागरिकता मिलेगी. पारसी समुदाय इनमें से एक है. पूरी दुनिया में इनकी सबसे ज्यादा आबादी भारत में ही रही, लेकिन इसमें भी तेजी से कमी आ रही है. मिनिस्ट्री ऑफ माइनोरिटी अफेयर्स के अनुसार, पिछली जनगणना में 60 हजार से भी कम पारसी बाकी रहे. क्यों घट रहे हैं वे?

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देश में 60 हजार से भी कम पारसी बाकी हैं. (Photo- Reuters)
देश में 60 हजार से भी कम पारसी बाकी हैं. (Photo- Reuters)

देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो गया है. इसके तहत तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसियों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. सरकार की दलील है कि पड़ोसी देशों में बसे ये समुदाय काफी परेशानी झेल रहे हैं. ऐसे में भारत उन्हें अपनाएगा. पारसी समुदाय भी इनमें से एक है. पारसी धर्म के लोग बहुत कम ही खबरों में रहते हैं, या किसी उथल-पुथल का हिस्सा बनते हैं. काफी कम आबादी वाले ये लोग लगातार घट रहे हैं. 

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कितने पारसी देश में

साल 2001 की जनगणना में पारसियों की आबादी 69,601 थी, जबकि साल 2011 में घटकर 57,264 रह गई. हालात ऐसे हैं कि मिनिस्ट्री ऑफ माइनोरिटी अफेयर्स ने जिओ पारसी स्कीम शुरू की. इस मुहिम का मकसद समुदाय की कम होती जनसंख्या को बचाना और उनकी मदद करना है. 

वहीं पूरी दुनिया में लगभग 2 लाख पारसी ही बाकी हैं. ये कम भी हो सकते हैं. वर्ल्ड पॉपुलिशेन रिव्यू का मानना है कि इनकी संख्या सवा लाख से ज्यादा नहीं. पारसी समुदाय भारत के अलावा ईरान, अमेरिका, इराक, उजबेकिस्तान, और कनाडा में बसा हुआ है. पाकिस्तान में भी हजार के आसपास पारसी माने जाते हैं. 

parsi population decline in india and world reason photo AFP

पारसी कौन हैं, कहां से आए

पारसी धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से है. इसकी स्थापना जरथुस्त्र ने प्राचीन ईरान में 3500 साल पहले की थी. काफी समय तक ये ताकतवर धर्म के रूप में रहा. यहां तक कि ईरान का ये आधिकारिक मजहब था, जो आज मुस्लिम-बहुल है. इसे मानने वालों को पारसी या जोराबियन कहते हैं. 

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ईरान से क्यों गायब हुआ धर्म

6वीं सदी तक ये लोग वहां फलते-फूलते रहे. इसके बाद ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई, जिसमें लोगों पर धर्म बदलने का दबाव बनाया जाने लगा. धर्मांतरण के लिए राजी न होने वालों को मार दिया जाता. इसी दौर में पारसी समुदाय के लोग दुनियाभर में पलायन करने लगे. तभी इनका भारत आना भी हुआ. बड़ी संख्या में पारसी पूर्वी भारत की तरफ आने लगे. गुजरात के वलसाड़ से होते हुए मुंबई भी पहुंचे. इन दिनों ज्यादातर पारसी मुंबई में रहते हैं. 

माना जाता है कि मुंबई को असल में पारसियों की मेहनत ने ही बसाया. वहां कई इलाके हैं, जहां पारसी बस्तियां हैं और पारसी खानपान की झलक जहां दिखेगी. वे काफी पढ़े-लिखे होते हैं, और बिजनेस में भी जल्दी तरक्की कर जाते हैं. मुंबई में बड़े बिजनेस किसी न किसी पारसी परिवार के हैं. 

parsi population decline in india and world reason photo Getty Images

आखिर क्यों घट रही आबादी

अब असल मुद्दा. अपना देश छोड़कर भागने के बाद भी जो समुदाय भारत में इतने आगे निकल गया, आखिर आबादी के मामले में वो पिछड़ क्यों रहा है. इसे जानने के लिए हमें उनकी शादी-ब्याह के तौर-तरीकों को समझना होगा. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि फिलहाल शादी की उम्र के 30% पारसी अविवाहित हैं. जो शादी कर चुके, उनमें भी बच्चा देर से करने या न करने का चलन है. इस समुदाय की फर्टिलिटी रेट 0.8 है. इसके मायने ये हैं कि हर साल अगर 3 सौ पारसी बच्चे जन्म लेते हैं तो 8 सौ लोगों की मौत हो जाती है. 

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एक वजह है उनका सोशल स्ट्रक्चर

पारसी युवती अगर अपने धर्म से बाहर शादी करे तो वो पारसी नहीं मानी जाती. कई बार युवती ज्यादा पढ़ी-लिखी या कामयाब होती है, उसे अपने समुदाय में अपने मुताबिक लड़का नहीं मिल पाता. ऐसे में वो मजबूरन दूसरे धर्म में शादी करेगी, या फिर बहिष्कार के डर से अविवाहित रह जाएगी. ये काफी कॉमन है. यही हिसाब-किताब पुरुषों के साथ है. वे हालांकि अपने धर्म से बाहर नहीं किए जाते. लेकिन कहीं न कहीं दबाव रहता है कि वे भी अपने धर्म की लड़की से जुड़ें. 

गैर पारसी से शादी करने वाली लड़की को सिर्फ धर्म से ही नहीं, और भी कई चीजों पर उस पर रोक लगा दी जाती है. सबसे बड़ी रोक है कि वह लड़की अपने पिता की मौत पर जाकर प्रार्थना में भी शामिल नहीं हो सकती है.  

parsi population decline in india and world reason photo Getty Images

धर्मांतरण की नहीं इजाजत 

यूं तो हर धर्म में, धर्मांतरण के अलग नियम हैं, लेकिन पारसियों में ये इतने सख्त हैं कि किसी दूसरे धर्म का शख्स चाहकर भी पारसी नहीं बन सकता. पारसी होने के लिए धार्मिक शुद्धता को पहले रखा जाता है, इसलिए ही किसी अन्य को धर्म अपनाने की इजाजत नहीं दी जाती है. वहीं बाकी धर्मों के लोग इसलिए भी बढ़ रहे हैं क्योंकि उसमें किसी को भी शामिल होने की छूट रहती है अगर वो कुछ खास बातों का पालन करे.

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आबादी बचाने के लिए सेंटर की तरफ से पहल

पारसियों की आबादी को कम होने से रोकने के लिए भारत सरकार भी कई कोशिशें कर रही है. जैसे कुछ समय पहले ही जियो पारसी स्कीम लॉन्च हुई. इसके जरिए मिनिस्ट्री ने खुद ऑनलाइन डेटिंग और मैरिज काउंसलिंग की पहल की. दशकभर पहले भी ये स्कीम लाई गई थी, लेकिन खास फायदा नहीं हुआ. अब इसमें कई नई बातें जोड़ी गई हैं. 

पारसी लड़के-लड़कियों को शादी, परिवार और फर्टिलिटी पर काउंसलिंग मिलती है. यहां तक कि बच्चों के जन्म को बढ़ावा देने के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन में आर्थिक सहायता भी दी जा रही है. जिन पारसी परिवारों की आय  10 लाख से कम है, और जिनके यहां बुजुर्ग भी हैं, उन्हें भी मदद दी जा रही है.

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