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जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सेना पर आतंकी हमला हुआ है. आतंकियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में सेना के चार जवान शहीद हो गए.
ये हमला पुंछ जिले के ढेरा की गली और बुफ्लियाज के बीच धत्यार मोड़ पर हुआ था. आतंकियों ने गुरुवार दोपहर पौन चार बजे सेना की गाड़ियों पर हमला किया था.
जिस जगह हमला हुआ, वो इलाका जंगल में पड़ता है. बताया जा रहा है कि जब सेना की गाड़ियां यहां से गुजर रही थीं तो अंधा मोड़ होने के चलते रफ्तार धीमी की गई और तभी आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं.
हमले के लिए आतंकियों ने अमेरिका में बनी M-4 कार्बाइन राइफल का इस्तेमाल किया था. आतंकियों की तलाशी के लिए सुरक्षाबल सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं. स्निफर डॉग्स भी लगाए गए हैं.
इस बीच इस हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) नाम के आतंकी संगठन ने ली है. ये पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रॉक्सी आउटफिट के तौर पर काम कर रहा है. प्रॉक्सी आउटफिट यानी नाम भले ही PAFF है, लेकिन उसके आतंकी जैश से ही जुड़े हैं. ये संगठन 2019 में चर्चा में आया था.
370 हटने के बाद बना था PAFF
पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट को जैश-ए-मोहम्मद का नया नाम भी कहा जा सकता है. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के एक महीने बाद सितंबर में PAFF को बनाया गया था.
PAFF को पाकिस्तान की आईएसआई ने बनाया था और तब से ही जम्मू-कश्मीर में होने वाले ज्यादातर आतंकी हमलों की जिम्मेदारी यही संगठन लेता है.
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आईएसआई ने प्लानिंग के तहत हाइली ट्रेन्ड आतंकियों को राजौरी और पुंछ में भेजा है. इन आतंकियों को जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज इलाकों में घात लगाकर सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए तैयार किया गया है.
हमले से पहले करते हैं लंबी प्लानिंग
बताया जाता है कि PAFF के आतंकवादी किसी भी आतंकी हमले को अंजाम देने से पहले लंबी प्लानिंग करते हैं. माना जाता है कि किसी सोल्जर की तरह ये आतंकी भी हेलमेट कैमरा पहनते हैं और 2019 के बाद से हर हमले की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं.
M-4 कार्बाइन राइफल का इस्तेमाल
पुंछ में सेना पर हमला करने के लिए आतंकियों ने यूएस मेड M-4 कार्बाइन राइफल का इस्तेमाल किया है. 2016 के बाद से सुरक्षाबल मारे गए जैश के आतंकियों के पास से चार M-4 राइफल बरामद कर चुकी है.
ये आतंकी इस राइफल में स्टील बुलेट का इस्तेमाल करते हैं. स्टील बुलेट का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, क्योंकि ये आसानी से गाड़ी और स्टील को भेद सकती है. इससे ज्यादा से ज्यादा नुकसान होता है.
PAFF के हमले
पीएएफएफ ने जम्मू कश्मीर में पहले भी कई हमलों को अंजाम दिया है. तीन जून 2021 को बीजेपी नेता राकेश पंडिता की हत्या में इसी संगठन का हाथ था. यह ऐसा मामला था, जिससे यह संगठन सरकार की रडार पर आ गया था. इसके बाद 11 अगस्त 2021 को संगठन ने एक बार फिर राजौरी जिले में सेना पर हमला किया.
यह आतंक यहीं नहीं रुका. इसके ठीक एक महीने बाद 11 अक्टूबर 2021 को मेंढार में पुंछ जिले में भारतीय जवानों पर हमला किया गया था, जिसमें सेना के 9 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी भी पीएएफएफ ने ली थी.
तीन अक्टूबर 2022 को जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (जेल) हेमंत लोहिया की उनकी घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी. यह हत्या ऐसे समय पर की गई थी, जब गृहमंत्री जम्मू कश्मीर के दौरे पर थे.
गृह मंत्रालय लगा चुका है बैन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में संलिप्तता के लिए इस साल जनवरी महीने में पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट पर बैन लगा दिया था.
मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा था कि पीएएफएफ सुरक्षाबलों, नेताओं और जम्मू कश्मीर व अन्य राज्यों के नागरिकों के लिए लगातार खतरा बना हुआ था. यह अन्य संगठनों के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर और देश के अन्य प्रमुख शहरों में आतंकी हमलों में शामिल रहा है.