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तारीखः 20 अप्रैल 2023. जगहः जम्मू का पुंछ जिला. समयः दोपहर के तीन बजे. आतंकियों ने बारिश और कम विजिबिलिटी का फायदा उठाते हुए सेना की गाड़ी पर हमला कर दिया. घात लगाकर बैठे आतंकियों ने सेना के ट्रक पर गोलियां चलाईं, ग्रेनेड फेंक दिए. इससे उसमें आग लग गई. इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए.
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है. इसे पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का समर्थित बताया जाता है.
सेना ने एक बयान जारी कर बताया कि ये हमला राजौरी सेक्टर में भीमबर गली और पुंछ के बीच सेना के ट्रक पर हुआ. आतंकियों ने भारी बारिश और कम विजिबिलिटी का फायदा उठाते हुए सेना के ट्रक पर गोलीबारी कर दी. इस हमले के बाद ट्रक में आग लग गई. सेना ने आतंकियों की ओर से ग्रेनेड अटैक के कारण गाड़ी में आग लगने की आशंका जताई.
ये हमला राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों पर हुआ. ये वो यूनिट है जो कश्मीर में आतंकियों को चोट पहुंचाती है. बीते कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ 'ऑपरेशन ऑलआउट' चल रहा है, जिसे राष्ट्रीय राइफल्स ही चला रही है.
हमले में जो जवान शहीद हुए, उनके नाम हैं- हवलदार मनदीप सिंह, लांस नायक देबाशीष बसवाल, लांस नायक कुलवंत सिंह, सिपाही हरकृष्ण सिंह और सिपाही सेवक सिंह. ये सभी राष्ट्रीय राइफल्स के जवान थे. आतंकियों ने राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को क्यों टारगेट किया? ये समझने से पहले इसका इतिहास जान लेते हैं...
आतंकियों की दुश्मन है राष्ट्रीय राइफल्स
राष्ट्रीय राइफल्स भारतीय सेना की एक यूनिट है. इस यूनिट का गठन 1990 के दशक में तब के सेना प्रमुख जनरल वीएन शर्मा ने किया था. लेफ्टिनेंट जनरल पीसी मोनकोटिया इसके पहले डायरेक्टर जनरल थे.
शुरुआत में राष्ट्रीय राइफल्स की 6 बटालियन थीं. तीन जम्मू-कश्मीर में और तीन पंजाब में. बाद में सभी बटालियन को जम्मू-कश्मीर में शिफ्ट कर दिया. क्योंकि ये वो समय था, जब घाटी में आतंकी घटनाएं बढ़ने लगी थीं. पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आतंकी कश्मीर में कत्लेआम मचा रहे थे.
राष्ट्रीय राइफल्स का मोटो 'दृढ़ता और वीरता' है. इसे दुनिया की सबसे बड़ी एंटी-टेररिस्ट यूनिट भी कहा जाता है. आज के समय में राष्ट्रीय राइफल्स की 65 बटालियन हैं, जो पांच कंपनियों- रोमियो फोर्स, डेल्टा फोर्स, विक्टर फोर्स, किलो फोर्स और यूनिफॉर्म फोर्स में बंटी हुईं हैं.
राष्ट्रीय राइफल्स के जवान भारतीय सेना से ही आते हैं. इसके आधे जवान इन्फेंट्री यानी पैदल सेना से आते हैं. बाकी आधे जवान सेना की दूसरी यूनिट से होते हैं.
इसलिए राष्ट्रीय राइफल्स को किया टारगेट?
राष्ट्रीय राइफल्स की सभी फोर्स के पास जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों की जिम्मेदारी है. रोमियो फोर्स के पास राजौरी और पुंछ की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. डेल्टा फोर्स के पास डोडा, विक्टर फोर्स के पास अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और बड़गाम, किलो फोर्स के पास कुपवाड़ा, बारामूला और श्रीनगर, जबकि यूनिफॉर्म फोर्स के पास उधमपुर और बनिहाल की जिम्मेदारी है.
राष्ट्रीय राइफल्स का काम जम्मू-कश्मीर से आतंकियों का सफाया करना है. राष्ट्रीय राइफल्स जम्मू-कश्मीर में 'ऑपरेशन ऑलआउट' को अंजाम देती है. यानी आतंकियों का पूरी तरह से सफाया.
इसके जवान घाटी में आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाते हैं, आतंकियों के ठिकानों पर छापेमारी करते हैं, उनके हथियारों की जब्ती करते हैं और आतंकियों को गिरफ्तार करते हैं. आतंकियों को एनकाउंटर में ढेर भी करते हैं.
राष्ट्रीय राइफल्स के पास आधुनिक हथियारों का जखीरा है. एयरक्राफ्ट भी हैं. राष्ट्रीय राइफल्स के जवान अपने साथ हमेशा AK-47 रखते हैं.
राष्ट्रीय राइफल्स घाटी से आतंकियों का सफाया करने में कामयाब रही है. इसकी एक बटालियन 1999 के 'ऑपरेशन विजय' में भी शामिल थी. उस समय कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुई थी.
घाटी में लगातार मारे जा रहे आतंकी
2018 में राष्ट्रीय राइफल्स ने सिल्वर जुबली मनाई थी. उस समय बताया था कि घाटी में 16,300 से ज्यादा आतंकियों का सफाया किया जा चुका है.
इनमें से 8,522 आतंकियों को मार गिराया गया था. 6,737 को गिरफ्तार किया गया था और 1,109 आतंकियों ने डर से सरेंडर कर दिया था.
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, घाटी में आतंकी लगातार मारे जा रहे हैं. 2018 से 2022 के बीच पांच सालों में जम्मू-कश्मीर में 989 आतंकी मारे जा चुके हैं.
अब बात PAFF क्या है?
पीएएफएफ जम्मू-कश्मीर में एक्टिव आतंकी संगठन है. पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट 2019 में जैश के प्रॉक्सी आउटफिट के तौर पर उभरा था. तभी से यह देशभर में विशेष रूप से जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है. ये पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ है.
ये संगठन पहली बार 2019 में ही जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद सामने चर्चा में आया था. PAFF समय-समय पर सेना और सरकार को कई धमकियां भी दे चुका है. साल 2020 में संगठन ने वीडियो जारी कर कश्मीर में इजरायल की ओर से दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाने पर धमकी दी थी.
तीन जून 2021 को बीजेपी नेता राकेश पंडिता की हत्या में इसी संगठन का हाथ था. यह ऐसा मामला था, जिससे यह संगठन सरकार की रडार पर आ गया था. इसके बाद 11 अगस्त 2021 को संगठन ने एक बार फिर राजौरी जिले में सेना पर हमला किया.
इसके ठीक दो महीने बाद 11 अक्टूबर 2021 को मेंढार में पुंछ जिले में भारतीय जवानों पर हमला किया गया था, जिसमें सेना के 9 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी भी पीएएफएफ ने ली थी.
तीन अक्टूबर 2022 को जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (जेल) हेमंत लोहिया की उनकी घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी. ये हत्या ऐसे समय पर की गई थी, जब गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर थे. गृह मंत्रालय इस संगठन पर बैन लगा चुका है.