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11 साल में 100 करोड़ बढ़ी दुनिया की भीड़, रोज पैदा हुए 2.5 लाख बच्चे, मगर कुछ देशों में रहने को आदमी ही नहीं

आबादी के आंकड़े डगमगाते क्षेत्रीय असंतुलन की ओर इशारा कर रहे हैं. UN के अनुसार भारत जनसंख्या स्थिरता के दौर से गुजर रहा है. चीन भी आबादी की समस्या पर काबू पा रहा है, लेकिन जनसंख्या की समस्या का दूसरा पक्ष यह है कि जापान, इटली और ब्राजील जैसे देश आने वाले दशकों में इंसानों की कमी से जूझने जा रहे हैं.

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आबादी असंतुलन से जूझ रही है दुनिया (फोटो- पीटीआई)
आबादी असंतुलन से जूझ रही है दुनिया (फोटो- पीटीआई)

दुनिया की आबादी 8,00,00,00,000 हो गई है. इस भारी भरकम संख्या को गिनने के लिए आप इकाई-दहाई करें इससे पहले हम आपको बता दें कि ये संख्या 8 अरब है. इस बीच विश्व की आबादी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने रोचक आंकड़े पेश किए हैं. 

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संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मात्र 11 साल में दुनिया की जनसंख्या 7 से 8 अरब हो गई. अक्टूबर 2011 वो समय था जब पृथ्वी पर रहने वाले लोगों का डाटा 6 से 7 अरब पहुंच गया था. अब 11 साल बाद 15 नवंबर 2022 को धरती पर लोगों की भीड़ बढ़कर 8 अरब हो गई है. इसका मतलब यह है कि 11 साल में (2011 से 2022 के बीच) धरती पर 100 करोड़ बच्चे पैदा हुए. अगर रोजाना के हिसाब से देखें तो लगभग 2.5 लाख बच्चे इस दुनिया में रोज पैदा हुए. 

8 से 9 अरब पहुंचने में लगेंगे 15 साल

लेकिन जनसंख्या बढ़ोतरी की ये रफ्तार अब घटने वाली है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र का डाटा कहता है कि आबादी को 8 से 9 अरब तक पहुंचने में 15 साल लग सकते हैं. यानी कि दुनिया की आबादी 9 अरब तक पहुंचने में 2037 का साल आ जाएगा.

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9 से 10 अरब होने में लगेंगे 43 साल

वहीं संयुक्त राष्ट्र के आकलन को माने तो 10 अरब की आबादी 2080 से पहले नहीं पहुंचेगी. यानी कि अगला एक अरब का आंकड़ा पार करने में 43 साल (2037+43= 2080) लग जाएंगे. UN के अनुसार 2080 में दुनिया की आबादी 10 अरब 40 लाख हो जाएगी.

हालांकि कुछ एजेंसियों का आकलन है कि 10 अरब की आबादी 2060 से 2070 के बीच ही पहुंच जाएगी.  

भारत, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया जैसे कुछ देशों में जनसंख्या का विस्फोट चिंता का सबब है तो वहीं दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जहां आबादी की भारी किल्लत अगले कुछ सालों में होने जा रही है. 

आधी रह जाएगी इटली की आबादी

जापान, इटली, यूक्रेन, बुल्गारिया, लिथुआनिया, लातिविया जैसे कुछ ऐसे देश हैं जहां अगले कुछ सालों में रहने के लिए इंसानों की भयानक कमी होने जा रही है. 
क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इटली की आबादी इस सदी के अंत तक घटकर आधी रह जाएगी. लांसेट स्टडी के अनुसार 2017 में 61 मिलियन से घटकर इटली की आबादी सदी के अंत तक 28 मिलियन रह जाएगी. 

यहां की सरकार युवा-युवतियों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और कई कार्यक्रम लेकर आ रही है. 2015 में सरकार ने एक बच्चे के जन्म होने पर यहां के जोड़ों को 725 पाउंड देने की योजना शुरू की है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2019 में इटली की 23 फीसदी से ज्यादा आबादी 65 साल की थी. 

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जापान को भी चाहिए इंसान 

जापान भी ऐसी ही समस्या का सामना कर रहा है. 2017 में जापान की जनसंख्या 128 मिलियन आंकड़े के साथ सर्वोच्च स्तर पर थी. लेकिन अब इसमें गिरावट का दौर शुरू हो गया है. लांसेट का अध्ययन कहता है कि सदी के अंत तक जापान की आबादी आधे से भी ज्यादा घटकर 53 मिलियन रह जाएगी. 

जापान में पहले से ही दुनिया के सबसे ज्यादा बुजुर्ग रहते हैं और यहां 100 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की उच्चतम दर है. आबादी के बिगड़ते संतुलन ने देश के वर्कफोर्स पर दबाव डाला है और आगे समस्या के और भी गंभीर होने की आशंका है. आंकड़े बताते हैं कि 2040 में जापान में पूरी आबादी में बुजुर्गों का प्रतिशत 35 हो जाएगा. 

बता दें कि मौजूदा जनसंख्या आकार को बनाए रखने के लिए देशों को लगभग 2.1 प्रजनन दर की आवश्यकता होती है. लेकिन जापान में अभी प्रजनन दर मात्र 1.4 फीसदी है. 

घट रही है यूक्रेन की आबादी

रूस के साथ युद्ध के संकट से गुजर रहे यूक्रेन की आबादी भी कम होने का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार 2020 में यूक्रेन की आबादी 43.7 मिलियन थी जो  2050 में घटकर 35.2 मिलियन हो जाने का अनुमान है. ये 19.5% की गिरावट है. उच्च मृत्यु दर और निम्न जन्म दर के साथ प्रवासन की उच्च दर यूक्रेन की जनसंख्या में कमी के मुख्य फैक्टर हैं.

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ब्राजील में भी जनसंख्या कम हो रही है. यहां 40 साल में आबादी लगातार कम हो रही है. 1960 में ब्राजील में जन्म दर 6.3 था जो कि हाल में घटकर 1.7 हो गया है. 

बुल्गारिया की जनसंख्या 2020 में 6.9 मिलियन से 22.5% कम होकर 2050 में 5.4 मिलियन हो जाएगी. हालांकि बुल्गारिया की जनसंख्या में गिरावट के लिए बड़े पैमाने पर प्रवासन जिम्मेदार है.

लिथुआनिया की आबादी भी अगले तीन दशकों में 22.1% कम होने का अनुमान है. यहां की आबादी 2.7 मिलियन से घटकर 2.1 मिलियन हो जाने की उम्मीद है. 

 

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