भगोड़ा नीरव मोदी क्या भारत आ पाएगा? ये अभी भी एक सवाल ही है. लंदन हाईकोर्ट ने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. हालांकि, अभी भी उसके भारत आने का रास्ता पूरी तरह साफ नहीं हुआ है. क्योंकि, अभी भी उसके पास सुप्रीम कोर्ट और फिर ह्यूमन राइट्स कोर्ट जाने का रास्ता बचा है.
लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने फरवरी 2021 में नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी. इसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां उसकी अपील खारिज हो गई.
नीरव मोदी ने अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को 14,500 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. अकेले मोदी पर 6,805 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. पीएनबी घोटाला सामने आने से पहले ही जनवरी 2018 में नीरव मोदी भारत छोड़कर भाग गया था.
हालांकि, भारत आने से बचने के लिए नीरव मोदी ने कई दलीलें भी रखीं. उसके वकीलों ने कहा कि वो मानसिक बीमारी से जूझ रहा है और भारत आने पर सुसाइड करने का खतरा भी है. लेकिन, हाईकोर्ट ने कहा कि एक्सपर्ट की राय है कि नीरव मोदी को न तो कोई मानसिक बीमारी है और न ही उन्होंने आत्महत्या करने की या खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है.
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रत्यर्पण के बाद नीरव मोदी को मुंबई में आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा, जो पूरी तरह सुरक्षित है और वहां उसकी लगातार निगरानी भी होगी, ताकि उसके आत्महत्या की कोशिश करने का जोखिम भी कम हो.
कितनी खास है आर्थर रोड जेल?
- आर्थर रोड जेल को 1925 में अंग्रेजों ने बनवाया था. इस जेल का नाम सर जॉर्ज आर्थर के नाम पर रखा गया है, जो 1842 से 1846 तक बंबई (अब मुंबई) के गवर्नर रहे थे.
- 1970 में इस रोड का नाम बदलकर साने गुरुजी मार्ग कर दिया गया था. 1994 में जेल का नाम भी बदलकर मुंबई सेंट्रल प्रिजन रखा गया. फिर भी इसे आर्थर रोड जेल के नाम से ही जाना जाता है.
- आर्थर रोड जेल 2.83 एकड़ में फैली हुई है. इसमें एक बार में 800 कैदी रह सकते हैं. लेकिन कई बार कैदियों की संख्या दो से तीन हजार भी पहुंच जाती है.
- इस जेल में 2008 के मुंबई हमलों का दोषी आतंकी अजमल कसाब, अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम, छोटा राजन समेत कई हाई प्रोफाइल कैदी रह चुके हैं.
- सरकार ने लंदन में कोर्ट को बताया था कि अगर विजय माल्या को भारत लाया जाता है, तो उसे भी बैरक नंबर-12 में ही रखा जाएगा. माल्या पर 9 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है.
नीरव मोदी जहां रहेगा, वहां क्या होगा खास?
- महाराष्ट्र प्रिजन डिपार्टमेंट ने 2019 में वेस्टमिंस्टर कोर्ट में बैरक नंबर-12 के बारे में जानकारी दी थी. कोर्ट ने इस बैरक का वीडियो भी देखा था और उसके बाद ही नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी.
- उस समय जेल अधिकारियों ने बताया था कि मोदी को बैरक नंबर-12 की जिस सेल में रखा जाएगा, वो हाई सिक्योरिटी वाली होगी. इस सेल में तीन से ज्यादा कैदी नहीं रहेंगे.
- बैरक नंबर-12 के जिस कमरे में नीरव मोदी को रखा जाएगा, वो 20 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा होगा. इसमें मोदी के लिए तीन वर्ग मीटर का पर्सनल स्पेस होगा.
- इस कमरे में तीन पंखे, 6 ट्यूब लाइट्स और दो खिड़कियां हैं. प्रिजन डिपार्टमेंट ने दावा किया था कि बैरक के बाहर भारी सुरक्षा होगी और यहां कभी टॉर्चर या दुर्व्यवहार की कोई घटना भी नहीं हुई है.
नीरव मोदी को क्या-क्या सुविधा मिलेगी?
- बाकी कैदियों की तरह मोदी को एक चटाई, तकिया, चादर और कम्बल दिया जाएगा. उसे रोज पीने का साफ पानी, चौबीसों घंटे मेडिकल फैसिलिटी, टॉयलेट और वॉशिंग की सुविधा भी मिलेगी.
- जेल विभाग ने भरोसा दिलाया है कि इस सेल में रोशनी और वेंटिलेशन की पर्याप्त सुविधा होगी. मोदी को अपना सामान रखने के लिए अलमारी भी दी जाएगी.
- एक्सरसाइज करने या दूसरे किसी काम से मोदी को हर दिन सेल से बाहर आने की इजाजत भी होगी. हालांकि, एक दिन में एक घंटे से ज्यादा बाहर वो नहीं रह सकेगा.
पर वो आएगा कब?
- पीएनबी घोटाला सामने आने से पहले ही मोदी भारत से भाग गया था. वो 1 जनवरी 2018 को ही भाग गया था. 29 जनवरी 2018 को उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया गया था.
- भारत लाने के लिए सीबीआई ने पहली बार अगस्त 2018 में यूके में प्रत्यर्पण की अर्जी दाखिल की थी. मार्च 2019 में लंदन पुलिस ने नीरव मोदी को गिरफ्तार कर लिया था.
- फरवरी 2021 में वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उसके भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दी. मई 2021 में उसने लंदन हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी. बुधवार को हाईकोर्ट ने भी उसकी अपील खारिज कर दी.
- लेकिन नीरव मोदी के पास अभी दो और रास्ते बचे हैं. अभी वो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है. अगर वहां से भी अपील खारिज होती है तो यूरोपियन ह्यूमन राइट्स कोर्ट में भी अर्जी दे सकता है. इन सबमें सालों भी लग सकते हैं.
- भारत और ब्रिटेन के बीच 22 सितंबर 1992 को प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. लेकिन पहले आरोपी को ब्रिटेन से भारत लाने में 24 साल लग गए थे.
- हत्या के आरोपी समीरभाई वीनूभाई पटेल को 19 अक्टूबर 2016 को प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया था. उसके बाद फरवरी 2020 में संजीव कुमार चावला को भारत लाया गया. संजीव कुमार को मैच फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था.