लाल सागर में हूती विद्रोहियों के कारण टेंशन बढ़ चुकी है. अमेरिका की मानें तो नवंबर के तीसरे हफ्ते से लेकर अब तक हूतियों ने लगभग दो दर्जन व्यापारिक जहाजों पर हमला किया. जहाजों को नुकसान पहुंचाने के लिए बैलिस्टिक मिसाइलें भी इस्तेमाल हो रही हैं. इस अटैक का सीधा मकसद उन सभी देशों को नुकसान पहुंचाना है, जो किसी न किसी तरह इजरायल को सपोर्ट करते हैं, या उससे दोस्ताना ताल्लुक हैं. इस समुद्री उठापटक का सीधा असर भारत पर भी हो रहा है.
क्यों अहम है रेड सी
लाल सागर उन जहाजों के लिए एंट्री पॉइंट है, जो स्वेज नहर का इस्तेमाल करते हैं. ये नहर एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा समुद्री रास्ता है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी रूट से हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा का बिजनेस होता है. भारत की बात करें तो हमारा 20 प्रतिशत से भी अधिक एक्सपोर्ट इस नहर के जरिए रेड सी से होकर गुजरता है.
तेल इसी रास्ते से आता है
इस रूट से होकर जहाज मुंबई, कोच्चि, मेंगलुरु, गोवा और चेन्नई से होकर सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड वियतनाम जैसे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में जाते हैं. लेकिन इससे भी जरूरी बात ये है कि इससे देश का सबसे ज्यादा क्रूड ऑइल आता है. बीते साल हमारे यहां आयात हुआ 65 प्रतिशत तेल रेड सी से होकर पहुंचा था. खासकर रूस से क्रूड ऑइल इसी रूट के जरिए हम तक पहुंच रहा है. अब इस रास्ते पर हमले बढ़ने से जहाजों को लंबा रास्ता लेना होगा, जो कि बहुत ज्यादा खर्चीला होगा.
इसके अलावा कौन सा रूट ले सकते हैं
रेड सी के अलावा भारत केप ऑफ गुड होप वाला समुद्री रास्ता ले सकता है. ये स्वेज नहर के मुकाबले करीब 9 हजार किलोमीटर लंबा है. इससे शिपमेंट में लगभग दो हफ्ते एक्स्ट्रा लगते हैं. इससे पूरे कारोबारी रूट की लंबाई 40 फीसदी बढ़ जाएगी. इससे बहुत ज्यादा खर्च भी बढ़ेगा. सामान बहुत महंगा होगा. विदेशी मुद्रा भी बहुत खर्च करनी होगी.
क्या इससे महंगाई बढ़ने वाली है
इसका सीधा असर देशों से लेकर आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है. दूरी बढ़ने से शिपमेंट महंगा होगा तो सामान की कीमत भी उसी हिसाब से बढ़ेगी. इसका असर दिखने भी लगा है. मालवाहक जहाजों पर लगने वाला इंश्योरेंस कॉस्ट 10 से 15 लाख रुपए तक बढ़ गया है. साथ ही दो हफ्तों की दूरी बढ़ने की वजह से जो एक्स्ट्रा भार आएगा, उसकी वसूली भी आम लोगों के जिम्मे आ जाएगी. क्रूड ऑइल ही नहीं, वनस्पति तेल, टैक्सटाइल, इलेक्ट्रिकल सामान, मशीनरी जैसे कई चीजें हम भारी मात्रा में इंपोर्ट करते हैं. लंबे रूट की वजह से इनकी कीमत भी बढ़ेगी.
भारत के पास क्या है रास्ता
भारतीय नेवी लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले को नाकाम करने के लिए पूरी तैयारी से उतर चुकी है. सर्विलांस बढ़ा दिया गया है. मॉडर्न हथियारों के साथ कई युद्धपोत उतरे हुए हैं.
कई देश मिलकर चला रहे ऑपरेशन
अमेरिका ने हूतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिसका नाम है- ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन. दिसंबर 2023 में शुरू हुए इस ऑपरेशन में 10 से ज्यादा देश आधिकारिक तौर पर जुड़ चुके हैं. ये रेड सी में अलग-अलग एक्सपर्ट्स या युद्धपोत भेज रहे हैं ताकि हूती विद्रोहियों का हमला रोका जा सके और ट्रेड सामान्य हो जाए.
कौन हैं हूती विद्रोही
ये अल्पसंख्यक शिया जैदी समुदाय का एक हथियारबंद समूह है, जो यमन में रहता है. इस चरमपंथी गुट का मकसद है दुनिया से अमेरिका और इजरायल समेत पश्चिमी असर को खत्म करना. नब्बे के दशक में यमन के तत्कालीन प्रेसिडेंट अब्दुल्लाह सालेह को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने एक मुहिम शुरू की. इसकी शुरुआत हुसैन अल हूती ने की. उन्हीं के नाम पर संगठन का नाम पड़ा.
अमेरिका और पश्चिमी ताकतों को खत्म करना है मकसद
बीते कुछ सालों से ये रिबेल ग्रुप यमन समेत कई देशों तक पहुंचने लगा. ये संगठन हमास और हिज्बुल्लाह को सपोर्ट करता है क्योंकि वे अमेरिका और इजरायल के खिलाफ मोर्चाबंदी किए रहते हैं. यही वजह है कि हूती विद्रोहियों ने हमास की मदद के लिए रेड सी को जरिया बना लिया. वो चुन-चुनकर उन सारे देशों पर अटैक कर रहा है, जिनका इजरायल से रिश्ता है. वैसे हमले की चपेट में हमास के लिए हमदर्दी रखने वाले देश भी आ रहे हैं, जैसे हाल ही में पाकिस्तान के व्यापारिक जहाज पर भी हमला हुआ.