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हिंदुओं के अलावा बांग्लादेश में बसे दूसरे अल्पसंख्यक कितने सुरक्षित, क्यों उन पर हिंसा की खबरें नहीं सुनाई देतीं?

राजनैतिक उठापटक के बीच बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदुओं पर हिंसा शुरू हो गई. कथित तौर पर मंदिरों और घरों को तहस-नहस किया जा रहा है. इस बीच इंटरनेशनल स्तर पर बांग्लादेशी हिंदुओं को बचाने की मांग हो रही है. लेकिन इस देश में अकेले हिंदू ही अल्पसंख्यक नहीं. जानें- बाकी माइनोरिटीज कौन हैं और वहां किस हाल में हैं?

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बांग्लादेश में कई धर्मों के लोग बसे हुए हैं. (Photo- Reuters)
बांग्लादेश में कई धर्मों के लोग बसे हुए हैं. (Photo- Reuters)

शेख हसीना सरकार के इस्तीफे के साथ ही बांग्लादेश से हिंदुओं पर हमले की खबरें आने लगीं. देश के अधिकतर जिले हिंसा की चपेट में हैं. लोगों पर अटैक के साथ-साथ उनकी प्रॉपर्टी भी लूटी या आग में झोंकी जा रही है. बांग्लादेश में आजादी के समय हिंदुओं की आबादी 22 फीसदी थी, जो अब घटकर 8 फीसदी के करीब आ चुकी. केवल हिंदू नहीं, यहां बसे बाकी अल्पसंख्यकों के भी यही हाल हैं. 

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किसकी कितनी है आबादी

बांग्लादेश सेंसस के मुताबिक, देश में 15 करोड़ मुस्लिम हैं. इनपर 1.31 करोड़ हिंदू होंगे. इसके बाद दूसरी बड़ी आबादी बौद्ध धर्म को मानने वालों की 10 लाख है. यहां लगभग 5 लाख ईसाई और 2 लाख दूसरे धर्मों को मानने वाले भी हैं. इनके अलावा बहुत कम संख्या में सिख, यहूदी और नास्तिक भी हैं. 

धर्म परिवर्तन का अधिकार

यह उन चुनिंदा मुस्लिम देशों में है, जहां एक से दूसरे धर्म में जाने की इजाजत है. यहां तक कि मुस्लिम भी दूसरा धर्म अपना सकते हैं. संविधान के आर्टिकल 41 में इसकी छूट है. हालांकि ये छूट केवल लिखापढ़ी तक सीमित रही. ज्यादातर धर्म परिवर्तन नॉन-मुस्लिम से मुस्लिम में ही होता रहा. 

हार्वर्ड इंटरनेशनल रिव्यू के अनुसार आजादी से पहले भारत के पूर्वी बंगाल में हिंदू आबादी 30 प्रतिशत थी, जो पाकिस्तान का हिस्सा होने के बाद घटकर 22 फीसदी रह गई. लेकिन ये प्रतिशत भी पाकिस्तान से बंटकर बांग्लादेश होने के दौरान तेजी से गिरा. हिंदुओं पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के कट्टपंथी मुस्लिमों की दोहरी मार गिरी. नरसंहार के अलावा भारी संख्या में धर्म परिवर्तन भी कराया गया.

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religious population in bangladesh violence on hindus and other minorities photo Getty Images

तेजी से कम हो रही हिंदू पॉपुलेशन

बांग्लादेश बनने के तीन ही सालों के भीतर आबादी लगभग 13.5 रह गई. हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 1964 से लेकर 2013 के बीच 11.3 मिलियन हिंदू बांग्लादेश छोड़कर भारत समेत अलग-अलग देशों में भाग गए. इसके अलावा हर साल भी लगभग सवा दो लाख हिंदू देश छोड़ रहे हैं. 

ये तो हुई हिंदुओं की बात, लेकिन बांग्लाभाषी इस देश में कई और अल्पसंख्यक समुदाय भी रहे. हालांकि उनका जिक्र कम ही दिखता है. तो क्या वे हिंदुओं की तुलना में सुरक्षित हैं? 

किस हाल में है दूसरी सबसे बड़ी माइनोरिटी

बौद्ध इस देश में तीसरा सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हैं. माना जाता है कि बुद्ध के काल में ईस्ट बंगाल के चटगांव में काफी सारे हिंदुओं ने बौद्ध धर्म अपनाया था. अब भी 65 प्रतिशत से ज्यादा लोग चटगांव और ढाका के आसपास बसे हुए हैं. राखाइन, चकमा और बरुआ लोग इस धर्म को मानने वाले, जबकि 35 फीसदी बंगाली बुद्धिस्ट हैं.  

religious population in bangladesh violence on hindus and other minorities photo Reuters

कब-कब हुई बौद्ध धर्म मानने वालों पर हिंसा

- साल 1962 में पाकिस्तान का हिस्सा होने के दौरान हिंदुओं समेत बौद्धों से मारकाट हुई, जिसे राजशाही नरसंहार के नाम से जाना जाता है. इस दौरान अकेले राजशाही जिले में 3 हजार नॉन-मुस्लिमों को मारा गया.

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- सितंबर 2012 में कॉक्स बाजार में बसे बौद्धों और उनके धार्मिक स्थलों पर हुए हमले में 22 बुद्धिस्ट मंदिर जला दिए गए. 

- मार्च 1980 में हुए कौखाली नरसंहार में 3 सौ से ज्यादा चमका और मरमा बौद्धों को मार दिया गया. 

- मई 1984 में हुए बरकाल नरसंहार में 4 सौ के करीब बौद्धों को जान ली गई. 

क्रिश्चियेनिटी मानने वाले भी नहीं हैं सेफ

ईसाई समुदाय यहां कुल आबादी का लगभग .30 प्रतिशत है. साल 1510 में पुर्तगालियों के आने के बाद यहां क्रिश्चियन धर्म फैला. लेकिन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भी काफी सारे हिंदू और यहां तक कि मुस्लिमों ने भी क्रिश्चियेनिटी को अपना लिया क्योंकि तब इस धर्म के लोगों ने इनका काफी साथ दिया था. लेकिन बहुसंख्यकों की हिंसा से ये भी नहीं बच सके. पर्सीक्यूशन वेबसाइट दुनियाभर में ईसाई धर्म पर भेदभाव और हिंसा पर बात करती है. इसके अनुसार बांग्लादेश में क्रिश्चियेनिटी सबसे ज्यादा भेदभाव झेल रही है. 

- जून 2001 में यहां एक कैथोलिक चर्च पर हुए बम हमले में 8 लोग मारे गए थे. 

- जुलाई 2016 में इस्लामिक चरमपंथियों ने 20 ईसाइयों को मार दिया था. 

- अप्रैल 2023 में चिटगांव में 8 आदिवासी ईसाइयों को मार दिया गया. इसके अलावा चर्चों पर भी लगातार हमले और लूटपाट होती रही. 

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religious population in bangladesh violence on hindus and other minorities photo Reuters

क्यों हिंदुओं पर अटैक की सबसे ज्यादा चर्चा

हमले तो सारे ही अल्पसंख्यकों पर हो रहे हैं, लेकिन हिंदुओं पर हमले ज्यादा दिख रहे हैं. इसकी पहली वजह तो ये है कि वे सबसे बड़ा माइनोरिटी समूह हैं. हाल ही की बात लें तो कई हिंदू संगठनों ने दावा किया कि हसीना सरकार गिरने के बाद से अब तक उनपर 205 हमले हो चुके. चूंकि उनकी आबादी ज्यादा है, तो चरमपंथी भी सबसे पहले उन्हीं को टारगेट करते हैं.

दूसरी वजह बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ है. बांग्ला भाषा के आधार पर वे पाकिस्तान से अलग तो हो गए, लेकिन जल्द ही इस्लामिक मुल्क की मांग दिखने लगी. हिंदुओं की बड़ी आबादी इसमें रोड़ा थी. यही कारण है कि मुक्ति संग्राम के दौरान हिंदुओं पर पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों ही हमलावर रहे. अब भी बांग्लादेश के कट्टरपंथी हिंदू-मेजोरिटी वाले भारत को दुश्मन की तरह देखते हैं और गाहे-बगाहे वहां से भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की खबरें भी आती रहती हैं. 

हिंदुओं की जमीनें भी कब्जाई जाती रहीं

भेदभाव केवल धार्मिक स्थल तोड़ने या मारपीट तक सीमित नहीं था, इसके और भी तरीके थे. जैसे, काफी लंबे समय तक वहां वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट था, जिसे एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट भी कहते हैं. इसके तहत बांग्लादेश की सरकार को उन हिंदुओं की संपत्ति पर कब्जा करने का विकल्प था, जो देश छोड़कर भाग गए, या भगा दिए गए. इस कानून के तहत वहां की सरकार ने लाखों एकड़ जमीन अपने कब्जे में ले ली. कुछ सालों पहले ही ये नियम बदला. हालांकि वादे के बाद भी सारी लूटी हुई प्रॉपर्टी लौटाई नहीं जा सकी.

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