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गणतंत्र दिवस पर परेड में दिखेगी सिर्फ 'नारी शक्ति', जानें मोदी सरकार में सेना में कैसे बढ़ी महिलाओं की भागीदारी

अगले साल गणतंत्र दिवस की परेड में मार्च पास्ट से लेकर झांकियों में तक सिर्फ और सिर्फ नारी शक्ति देखने को मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो ये पहली बार होगा जब गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर सिर्फ महिलाएं ही नजर आएंगी.

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अगले साल परेड में सिर्फ नारी शक्ति ही दिख सकती है. (फाइल फोटो)
अगले साल परेड में सिर्फ नारी शक्ति ही दिख सकती है. (फाइल फोटो)

अगले साल 26 जनवरी पर कर्तव्य पथ पर जो परेड होगी, वो बेहद खास हो सकती है, खासकर कि महिलाओें के लिए. वो इसलिए क्योंकि अगले साल कर्तव्य पथ पर जो गतिविधियों होंगी, उनमें सिर्फ महिलाएं ही हो सकतीं हैं.

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अगर ऐसा हुआ तो ये पहली बार होगा जब गणतंत्र दिवस की परेड, मार्च पास्ट, झांकी और प्रदर्शन में सिर्फ महिलाएं ही नजर आएंगी. रक्षा मंत्रालय इस बारे में विचार कर रहा है.

हाल के सालों में राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में पुरुष टुकड़ियों के साथ-साथ महिला टुकड़ियों ने भी हिस्सा लिया है.

साल 2015 के गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार तीनों सेनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला अफसरों के दस्ते ने शिरकत की थी. अगले साल की परेड की थीम 'नारी शक्ति' रखी गई है. 2023 की परेड में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और त्रिपुरा की झांकी में 'नारी शक्ति' की झलक दिखी थी.

गणतंत्र दिवस पर कब-कब दिखी नारी शक्ति?

- 2022: राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली देश की पहली महिला पायल शिवांगी सिंह इस गणतंत्र दिवस पर वायुसेना की टुकड़ी का हिस्सा थीं. वो देश की दूसरी ऐसी महिला पायलट थीं जो वायुसेना की टुकड़ी का हिस्सा बनी थीं. इतना ही नहीं, इस साल बीएसएफ की टुकड़ी में भी महिला जवान भी शामिल हुई थीं.

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- 2021: फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत पहली महिला फाइटर जेट पायलट थीं, जो वायुसेना की टुकड़ी का हिस्सा बनीं. दो साल पहले ही वो पहली महिला फाइटर पायलट बनी थीं जिसने कॉम्बैट मिशन का टेस्ट क्वालिफाई किया था. भावना कांत महिला फायटर पायलट के पहले बैच से थीं.

- 2020: तानिया शेरिगल ने उस साल गणतंत्र दिवस की परेड में पहली महिला परेड सहायक के रूप में पुरुषों की टुकड़ी का नेतृत्व किया था. उस साल महिला दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तानिया शेरगिल का उदाहरण देते हुए कहा था कि महिलाओं के लिए सेना में कोई दरवाजा बंद नहीं रहना चाहिए.

- 2019: इस साल पहली बार असम राइफल्स की महिला टुकड़ी ने परेड में हिस्सा लिया था. मेजर खुशबू कंवर ने इस टुकड़ी को लीड किया था. उनके अलावा कैप्टन शिखा सुरभि ने बाइक पर करतबबाजी भी दिखाई थी.

- 2018: इस साल की गणतंत्र दिवस की परेड में बीएसएफ की महिला बाइकर्स ने स्टंट दिखाए थे. बीएसएफ की 27 सदस्यीय महिला टीम ने रॉयल एनफिल्ड बुलेट मोटरसाइकल पर स्टंट और एक्रोबैटिक्स किए थे. 

- 2016: पहली बार सीआरपीएफ की महिला टुकड़ी ने इसमें हिस्सा लिया था. इसका नाम 'वुमन डेयरडेविल्ट सीआरपीएफ' रखा गया था, जिसमें 120 महिला सैनिक थीं.

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- 2015: इतिहास में ये पहला गणतंत्र दिवस था, जब सेना के तीनों अंग- थल सेना, नौसेना और वायुसेना की महिला टुकड़ियों ने इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक मार्च पास्ट किया था.

सेना में कितनी महिलाएं?

भारतीय सेना में महिलाओं की भर्ती 1927 से हो रही है, लेकिन इनकी भागीदारी चिकित्सा और प्रशासनिक कामकाज तक ही सीमित थीं.

साल 1992 से महिलाओं को 'शॉर्ट सर्विस कमीशन' के तहत रखा जाने लगा, लेकिन तब भी इनकी सेवा को सीमित ही रखा गया. 2008 में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया, लेकिन बावजूद इसके इन्हें कॉम्बैट मिशन से दूर ही रखा गया.

तीनों सेनाओं में कितनी महिलाएं हैं? इसका अभी का कोई ताजा आंकड़ा नहीं है. 8 फरवरी 2021 को राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने तीनों सेनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी का आंकड़ा दिया था.

राज्यसभा में दिए जवाब में उन्होंने बताया था कि तीनों सेनाओं में सबसे ज्यादा महिलाएं नौसेना में हैं. नौसेना में 6.5% महिलाएं हैं. जवाब में बताया गया था कि नौसेना में 10 हजार 108 पुरुष और 704 महिलाएं थीं. ये आंकड़े महिला अफसरों के थे, क्योंकि अभी नौसेना में महिलाओं को अधिकारी के स्तर पर शामिल किया जाता है.

इसी तरह थल सेना में 12.18 लाख से ज्यादा पुरुष और 6 हजार 807 महिलाएं हैं. इस लिहाज से थल सेना में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 0.56% होती है. वहीं, वायुसेना में 1.46 लाख पुरुष और 1 हजार 607 महिलाएं हैं. वायुसेना में महिलाओं की हिस्सेदारी 1 फीसदी से थोड़ा ही ज्यादा है. 

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इनके अलावा बीते साल 28 मार्च को राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री ने तीनों सेनाओं की मेडिकल सर्विसेस में जुड़ी महिलाओं की संख्या का ब्योरा भी दिया था. राज्यसभा में सरकार की ओर से जानकारी दी गई थी कि तीनों सेनाओं की मेडिकल सर्विसेस में साढ़े 6 हजार महिलाएं जुड़ीं हुईं हैं. इनमें 1,666 महिलाएं आर्मी मेडिकल कोर्प (AMC), 189 आर्मी डेंटल कोर्प (ADC) और 4,734 मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेस (MNS) में हैं.

कितनी महिलाओं को मिला स्थायी कमीशन? 

पहले महिलाओं को सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन पर भर्ती किया जाता था. इसके तहत सेनाओं में महिलाएं 10 या 14 साल के लिए सेवा दे सकती थीं. परमानेंट कमीशन के लिए अप्लाय करने का मौका महिलाओं को नहीं मिलता था. सिर्फ पुरुष ही परमानेंट कमीशन के लिए अप्लाय कर सकते थे. शॉर्ट सर्विस कमीशन पर सेवा देने के बाद रिटायर होने पर महिलाओं को पेंशन भी नहीं मिलती थी. 

तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन देने का फैसला दिया है. इसके बाद से अब महिलाएं भी पुरुषों की तरह परमानेंट कमीशन के लिए अप्लाय कर सकतीं हैं और अफसर बन सकतीं हैं. परमानेंट कमीशन से रिटायर होने पर पेंशन भी मिलती है. 

सरकार महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब सेनाओं में महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन दिया जा रहा है. 28 मार्च 2022 को राज्यसभा में दिए जवाब में सरकार ने तीनों सेनाओं में उन महिलाओं की संख्या बताई थी, जिन्हें परमानेंट कमीशन दिया गया था. इसके मुताबिक, थल सेना में 685, वायुसेना में 381 और नौसेना में 49 महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया गया है.

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आखिर में बात कर्तव्य पथ के इतिहास की

1911 में जब अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाई, तो नई राजधानी को डिजाइन करने का जिम्मा एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दिया गया. 1920 में कर्तव्य पथ बनकर तैयार हुआ था. तब इसे किंग्सवे यानी 'राजा का रास्ता' कहा जाता था. 

1905 में लंदन में जॉर्ज पंचम के पिता के सम्मान में एक सड़क बनाई गई थी, जिसका नाम किंग्सवे रखा गया था. उन्हीं के सम्मान में दिल्ली में जो सड़क बनाई गई, उसका नाम भी किंग्सवे रखा गया. जॉर्ज पंचम 1911 में दिल्ली आए थे, जहां उन्होंने नई राजधानी की घोषणा की थी. 

आजादी के बाद इसका नाम बदलकर 'राजपथ' रखा गया. हालांकि, ये किंग्सवे का ही हिंदी अनुवाद था. 75 सालों से राजपथ पर ही गणतंत्र दिवस की परेड हो रही है. पिछले साल ही केंद्र सरकार ने इसका नाम बदलकर 'कर्तव्यपथ' किया है.

 

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