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काम के घंटों के बाद फोन-मेल पर लगेगा जुर्माना, क्या है ऑस्ट्रेलिया का राइट टू डिसकनेक्ट कानून, क्यों पड़ी जरूरत?

सोमवार से ऑस्ट्रेलिया में एक नया लॉ आ गया, जिसका नाम है- राइट टू डिसकनेक्ट. नया कानून कर्मचारियों को छूट देता है कि वे ऑफिस के घंटों के बाद अपने बॉस का फोन न उठाएं, या ईमेल का जवाब न दें. अमेरिका और यूरोप के लगभग 20 देशों में ये नियम पहले ही आ चुका है.

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ऑस्ट्रेलिया में वर्कप्लेस के लिए नया नियम आ चुका. (Photo- AFP)
ऑस्ट्रेलिया में वर्कप्लेस के लिए नया नियम आ चुका. (Photo- AFP)

साल 2022 में सेंटर फॉर फ्यूचर वर्क एट ऑस्ट्रेलिया इंस्टीट्यूट का एक सर्वे आया था, जो कहता है कि 10 में 7 लोग काम के घंटों के अलावा भी काम करने को मजबूर हैं. इस ओवरटाइम के पैसे भी नहीं मिलते. इससे काफी पहले से ही किसी ऐसे कानून की बात हो रही थी, जिसमें ऑफिस के घंटों के बाद कमर्चारी फोन या ईमेल देखने को मजबूर न हों. अब ये कानून राइट टू डिसकनेक्ट के नाम से लागू भी हो चुका. 

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क्यों पड़ी जरूरत

लगभग हर नौकरी में कर्मचारियों पर काम के तयशुदा समय के बाद भी बड़े अधिकारियों के फोन उठाने का दबाव रहता है. खासकर प्राइवेट सेक्टर में. कई बार फोन या ईमेल का जवाब न देना प्रमोशन से लेकर जॉब पर भी खतरा ला देता है. हालांकि वर्क टाइम के बाद हो रहे इस काम का वेतन कहीं नहीं मिलता. 

सेंटर फॉर फ्यूचर वर्क एट ऑस्ट्रेलिया इंस्टीट्यूट ने माना कि पिछले साल देश के लोगों ने औसतन 281 घंटों का ओवरटाइम किया. एवरेज वेज रेट के मुताबिक इतने घंटों की तनख्वाह लगभग 7500 डॉलर होती है. लेकिन न तो ओवरटाइम दिया गया, न ही काम के घंटों में कटौती हुई. इसका असर लोगों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी हो रहा है. 

right to disconnect after office hours law in australia photo Getty Images

ये हाल अकेले ऑस्ट्रेलिया का नहीं. कोविड के समय से ये पैटर्न पूरी दुनिया में दिखने लगा. इसी पर रोक लगाने के लिए देश अपनी-अपनी तरह से कोशिश कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया में भी फेयर वर्क एक्ट के तहत राइट टू डिसकनेक्ट कानून आ गया. हालांकि कई लोग इसके विरोध में भी बोल रहे हैं.

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द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, कई बिजनेस ग्रुप्स का मानना है कि इस तरह के लॉ की जरूरत नहीं थी. इसकी वजह से अनिश्चितता पैदा होगी. यहां तक कि कर्मचारी खुद भी फ्लेग्जिबल वर्क टाइम नहीं ले सकेंगे क्योंकि उन्होंने अपने काम के घंटे तय कर रखे हैं. ऑस्टेलिया में विपक्ष के नेता पीटर डटॉन ने ये तक कह दिया कि अगर वे अगले साल हो रहे चुनाव में आए तो इस लॉ को वापस ले लेंगे. 

क्या होगा राइट टू डिसकनेक्ट के तहत

कानून आने के बाद एकदम से ये नहीं होगा कि ऑफिस के घंटों के बाद ईमेल या फोन आने रुक जाएं. इसके लिए दोनों पक्षों की बात होगी, जिसमें तय किया जाएगा कि फोन करने के लिए सही और गलत समय कौन सा है. इससे कर्मचारी अपने काम के घंटों पर कंट्रोल पा सकेंगे. अगर कोई उच्च अधिकारी गलत समय पर कॉल करे तो उसकी शिकायत भी की जा सकेगी. कोई भी फसाद फेयर वर्क कमीशन तक जाएगा जो बातचीत और मध्यस्थता के अलावा कड़े फैसले भी ले सकता है.

जो कंपनियां लगातार नियम की अनदेखी करें, उनपर फाइन लग सकता है. अगर कोई उच्च कर्मचारी लगातार ऐसा करे तो उसपर व्यक्तिगत तौर पर भी जुर्माना लग सकता है. वहीं कंपनियों पर कॉर्पोरेट फाइन लगेगा. 

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right to disconnect after office hours law in australia photo- Unsplash

और किन देशों में है ऐसा नियम

फ्रांस में साल 2017 में ही राइट टू डिसकनेक्ट पर कानून आ चुका था. यह कानून लोगों को काम के घंटों के बाहर ईमेल और फोन कॉल से दूर रहने का हक देता है. इसके अलावा इटली, स्पेन, कनाडा, बेल्जियम, चिली, जर्मनी, लग्जमबर्ग, अर्जेंटिना समेत कई देशों में ये नियम है. वहीं अमेरिका में आंशिक तौर पर इसका अधिकार है. इसके तहत काम के घंटे खत्म होने के बाद एम्प्लॉयी अपना फोन और ऑफिस में काम आने वाली चीजें बंद कर सकता है. 

वहीं नीदरलैंड, स्वीडन और नॉर्वे जैसे देशों में खुद ही एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी ये तय कर लेते हैं कि काम का समय पूरा होने के बाद वे एक-दूसरे से संपर्क नहीं करेंगे. यहां का कल्चर भी ऐसा है कि इसके लिए अलग से कानून लाने की जरूरत ही नहीं पड़ी. भारत में भी साल 2018 में सांसद सुप्रिया सुले ने इस तरह के लॉ की बात उठाई थी लेकिन चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी. 

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